जब से वुहान वायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया है work-from-home का चलन बढ़ गया है। दुनिया भर के लोगों को घरों में कैद होने पर मजबूर करने वाले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इन दिनों work-from-home कर रहे हैं और चीन में लगभग 600 दिनों से कैद हैं। चीनी राष्ट्रपति के वर्क फ्रॉम होम से हमारा तात्पर्य चीन द्वारा दूसरे देशों पर धौंस जमाने, अपनी सेना को दूसरे देशों के इलाकों को कब्जा करने के लिए भेजने और चीनी अर्थव्यवस्था को डुबाने से है। CCP के जनरल सेक्रेटरी जिनपिंग पिछले 20 महीनों से चीन के बाहर नहीं निकले हैं।
हालांकि, चीनी राष्ट्रपति के चीन से बाहर ना निकलने का कारण कोरोना को बताया जा रहा है, किंतु वास्तविकता यह है कि जिनपिंग को डर है कि चीन में उनकी अनुपस्थिति उनका तख्तापलट करवा सकती है। साथ ही उन्हें इस बात का भी भय है कि चीन द्वारा फैलाए हुए वुहान वायरस के कारण उनकी छवि दुनियाभर में इतनी चौपट हो चुकी है कि उन्हें किसी भी देश में विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ सकता है। चीनी राष्ट्रपति ने 20 महीनों तक अपने ही देश में बंद रहकर एक रिकॉर्ड कायम किया है। उनसे पहले आज तक कोई भी G20 लीडर यह कारनामा नहीं कर सका है, केवल जिनपिंग ही ऐसे कारनामे कर सकते हैं।
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जिनपिंग ने अंतिम बार 18 जनवरी 2020 को चीन के पड़ोसी देश म्यांमार का दौरा किया था। वहां से वापस आते ही वुहान में लॉकडाउन लग गया था और कोरोना ने दुनिया में पहली दस्तक दी थी। जिनपिंग चीन के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर रहे हैं क्योंकि किसी देश के सबसे बड़े नेता का इस तरह से अपने देश में कैद होना कूटनीतिक दृष्टिकोण से सही नहीं है।
एक ऐसे समय में जब चीन की महाशक्ति के रूप में छवि को बड़ा धक्का लगा है तथा दुनिया चीन को कोरोना के फैलाव का जिम्मेदार मान रही है, तब यह आवश्यक था कि चीन के सुप्रीम कमांडर दूसरे देशों का दौरा करें और संबंध सुधारे। पहले ही चीन ने हर उस देश के प्रति कड़ा रवैया अपनाया है जिसने वुहान वायरस को लेकर चीन से सवाल किए हैं, ऐसे में चीन के पास सहयोगी कम ही बचे हैं और जो बचे हैं उनके साथ संबंध तब तक प्रगाढ़ नहीं होंगे जब तक चीनी राष्ट्रपति उन देशों का दौरा नहीं करते।
चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के चीन में ही कैद होने के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि कोई महत्वपूर्ण देश उन्हें अपने यहाँ निमंत्रित नहीं करना चाहता। अमेरिका, जापान, भारत सहित यूरोप के महत्वपूर्ण देशों में आम जनता में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विरुद्ध व्यापक रोष है। ऐसे में कोई भी सरकार या नहीं चाहती कि चीनी राष्ट्रपति उनके देश में मेहमान बनकर आएं। यदि ऐसा हुआ तो वृहद स्तर पर विरोध प्रदर्शन होने की संभावना है, जो चीन की छवि और मेजबान देश के साथ चीन के कूटनीतिक संबंध दोनों के लिए प्रतिकूल है।
दूसरे देशों में संभावित विरोध प्रदर्शन का भय तो एक महत्वपूर्ण कारण है ही, साथ ही अपने देश में व्याप्त व्यापक असंतोष भी चीनी राष्ट्रपति को डरा रहा है। चीन का आम जनमानस यह जानता है कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने कोरोनावायरस से जुड़ी जानकारी को दबाने का प्रयास किया था। उनकी अक्षमता के कारण यह महामारी इतने व्यापक स्तर पर फैली। यदि कम्युनिस्ट पार्टी ने समय रहते दुनिया को कोरोना के प्रति सचेत कर दिया होता है और इस बीमारी को रोकने के लिए सभी देशों के वैज्ञानिकों से सहयोग मांगा होता तो यह बीमारी इतने बड़े स्तर पर नहीं फैलती।
इस महामारी के कारण ही आज पश्चिमी देशों द्वारा चीन को आर्थिक क्षेत्र में अलग-थलग करने के प्रयास शुरू हो गए। नतीजा कई बड़ी कंपनियों ने चीन में अपने व्यापारिक प्लांट बंद कर दिए। इस कारण चीन के आम लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
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कम्युनिस्ट शासन में पहले ही लोगों के नागरिक अधिकार न के बराबर थे, उसपर वुहान वायरस को नियंत्रित करने के लिए उनके साथ अमानवीय व्यवहार हुआ है। उनके आक्रोश को दबाए रखने में आर्थिक संपन्नता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन अब वह भी जाती दिख रही है।
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अपने विरुद्ध संभावित विद्रोह के भय से ही चीनी राष्ट्रपति ने जैक मा जैसे प्रमुख उद्योगपति को चुप कराने के लिए हर हथकंडा अपनाया था। जैक मा तो केवल एक उदाहरण हैं, सत्य यह है कि चीनी राष्ट्रपति का अनुत्तरदायी व्यवहार, उनकी नीतियों के कारण चीन का वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ते जाना और देश के आर्थिक पतन के कारण कम्युनिस्ट पार्टी में भी जिनपिंग के विरुद्ध गुस्सा बढ़ रहा है।
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इसके अतिरिक्त एक और बड़ा कारण है जिसने जिनपिंग को मजबूर किया है कि वह चुपचाप अपने देश में बैठे रहें। वर्तमान समय में चीन निवेश की कमी से जूझ रहा है। इस कारण चीन वित्तीय समस्याओं से जूझ रहा है। हाल ही में खबर आई थी कि चीन CPEC को फंड करने की स्थिति में नहीं है। BRI प्रोजेक्ट को फंड करने में भी चीन को समस्या हो रही है। ऐसे में चीनी राष्ट्रपति यदि किसी देश का दौरा भी करते हैं तो वह किसी बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान नहीं कर पाएंगे। पहले ही वुहान वायरस ने चीन की छवि को बट्टा लगा दिया है और उसे सुधारने के लिए चीन के पास देने के लिए आर्थिक पैकेज नहीं है।
जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी के लिए उनकी अपनी छवि ही सबसे बड़ा बोझ बन चुकी है। अपनी छवि के कारण ही पहले कोरोना की जानकारी को छुपाने का प्रयास किया, जब महामारी फैल गई और दुनिया ने प्रश्न करना शुरू किया तब अपनी छवि के कारण ही लगभग हर बड़े देश से शत्रुता मोल ली, और अब अपनी छवि बचाने के लिए ही जिनपिंग अपने आलीशान राष्ट्रपति भवन में कैद होकर रह गए हैं। ऐसे में इस समय जिनपिंग की मानसिक अवस्था क्या होगी इसका केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।