पंजशीर में चल रही भीषण लड़ाई के बीच पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का मुखिया हामिद फ़ैज़ काबुल की यात्रा पर है। हामिद फ़ैज़ के अफगानिस्तान दौरे ने दुनिया के सामने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान तालिबान का सबसे बड़ा सहयोगी है। आईएसआई चीफ का अफगानिस्तान दौरा तालिबान की सरकार गठन में आ रही रुकावटें दूर करने के लिए और पंजशीर की लड़ाई को अंतिम रूप से समाप्त करने के लिए किया गया है। तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूर्ण विजय 15 अगस्त को प्राप्त कर ली थी और अब तक तालिबान को सरकार का गठन कर लेना चाहिए था। लेकिन तालिबान के अफगानी बड़े और हक्कानी संगठन में सत्ता का बंटवारा किस प्रकार किया जाये इस पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पा रहा।
तालिबान कोई अनुशासित संगठन नहीं है, बल्कि यह जिहादी मानसिकता से ग्रसित लोगों का समूह है, जो अमेरिका को अफगानिस्तान से खदेड़ने और वहां पर लोकतंत्र को समाप्त कर शरीयत का शासन लागू करने के लिए एक साथ लड़ रहे थे। इनमें सबसे मजबूत गुट में एक हक्कानी नेटवर्क है। दारुल उलूम हक्कानिया, हक्कानी विचारधारा पर चलने वाला मदरसा है। यह पाकिस्तान के अकोरा खट्टक, खैबर पख्तूनख्वा में स्थित है। इसे जिहादी विश्वविद्यालय भी कहा जाता है। तालिबान के लिए लड़ने वाले आतंकियों और प्रमुख नेताओं का एक बड़ा तबका हक्कानी मदरसे से जुड़ा है। यदि हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में गठित होने वाली नई तालिबानी सरकार में राष्ट्रपति सहित अन्य महत्वपूर्ण पद मिल जाते हैं तो अफगानिस्तान पूरी तरह से पाकिस्तान का एक उपनिवेश बन जाएगा।
सत्ता के बंटवारे के समय अधिक से अधिक हिस्सा कब्जाने के उद्देश्य से ही हामिद फ़ैज़ अफगानिस्तान गया है। इस समय पाकिस्तानी एयर फोर्स पंजशीर घाटी पर ड्रोन हमला कर रही है। मीडिया रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान ने अपने स्पेशल फोर्स के पैराट्रूपर युद्ध में उतार दिए हैं। पाकिस्तान स्पेशल फोर्स के लोगों को नॉर्दन एलायंस के विरुद्ध युद्ध में उतार रहा है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक रविवार को लड़ाई में पंजशीर के कई शीर्ष कमांडर मारे गए हैं। दावा तो ये तक किया जा रहा है कि पाकिस्तानी वायुसेना की ओर से पंजशीर में ड्रोन हमले किए गए जिसमें पंजशीर के प्रवक्ता और फहीम अहमद मसूद के करीबी फहीम दश्ती की मौत हो गई। पाकिस्तान एयरफोर्स की ओर से छोड़े गए ड्रोन हमलों में मसूद परिवार से जुड़े कमांडर भी मारे गए हैं जिनमें गुल हैदर खान, मुनीब अमीरी और जनरल वूदाद शामिल हैं। इस हमले के बाद से तालिबान ने दावा किया है कि पूरे अफगानिस्तान पर उसका कब्जा हो चुका है।
पाकिस्तान का यह रवैया US और अन्य पश्चिमी देशों के मुंह पर करारा तमाचा है। अमेरिका ने पाकिस्तान को नॉन नाटो एलाइ का दर्जा दे रखा है। उसे आधुनिक F-16 विमान सहित कई अन्य हथियार दिये हैं। अमेरिका ने पाकिस्तान को यह हथियार इसलिए दिए थे कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में अमेरिका का साथ देगा। आज उन्हीं हथियारों का इस्तेमाल करके पाकिस्तान अमेरिका के सबसे बड़े शत्रु तालिबान की सहायता कर रहा है। जिस हक्कानी नेटवर्क और अलकायदा को अमेरिका अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, पाकिस्तान उनके साथ मिलकर पंजशीर में पूर्ववर्ती अफगानिस्तान सरकार की बची कुची शक्ति को कुचलने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में नाटो के सदस्यों को पाकिस्तान के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की आवश्यकता है।
पंजशीर में तालिबान से युद्धरत नॉर्दन अलायंस अमेरिका के पूर्व सहयोगी हैं, इन्हीं को बचाने और अफगानिस्तान की सत्ता सौंपने के लिए अमेरिका ने 20 वर्षों तक युद्ध लड़ा था। नॉर्दन एलायंस अफगानिस्तान की आखिरी उम्मीद है, जिसे पाकिस्तान द्वारा कुचला जा रहा है।
पाकिस्तान ने खुलेआम पश्चिमी देशों के सीने में खंजर घोपा है। बची कुची शर्म को ताक पर रख पाकिस्तान ने एक प्रकार से घोषणा कर दी है कि वह खुलकर आतंकी संगठनों का साथ दे रहा क्योंकि वह स्वयं भी एक आतंकी राज्य है। ऐसे में पश्चिमी देशों को विचार करना चाहिए कि क्या पाकिस्तान को मिल रही आर्थिक मदद अब भी जारी रहनी चाहिए या फिर पाकिस्तान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसकी कमर तोड़नी चाहिए। यदि अब भी पाकिस्तान के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो फिर अमेरिका को भी स्वयं को लोकतंत्र और मानवाधिकार का रक्षक कहना बंद कर देना चाहिए।