भारत में पहली बार ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, CBSE के परिणामों से नहीं कर पायेगा कोई छेड़छाड

यह परिणाम को कागजी कार्रवाई रहित, प्रभावी और त्वरित बनाएगा!

ब्लॉकचेन तकनीक

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र के साथ मिलकर एक बड़ा कदम उठाया है। CBSE अपने परिणामपत्र, प्रमाण पत्र के साथ-साथ अन्य शैक्षणिक अभिलेखों को अंकित करने और इन प्रमाणपत्रों को पारदर्शी, छेड़छाड़ रहित और कागजी कारवाई रहित बनाने हेतु ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग कर रही है। CBSE अकादमिक ब्लॉकचैन दस्तावेज़ (एबीसीडी) नामक इस परियोजना को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के ब्लॉकचेन प्रद्यौगिकी उत्कृष्टता केंद्र के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है। इससे पहले साल 2016 में CBSE ने ‘परिनम मंजुषा’ नामक अपना डिजिटल अकादमिक भंडार विकसित किया था। इस भंडार को NEGD (राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन) डिजिटल लॉकर प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया गया है लेकिन अब CBSE ब्लॉकचेन तकनीक को आत्मसात कर रहा है। आइये जानते है कि आखिर ये ब्लॉकचेन तकनीक है क्या और इसकी जरूरत क्यों पड़ी और इस तकनीक से लाभ क्या है?

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ब्लॉकचेन की जरूरत क्यों पड़ी?

CBSE बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, परिणाम प्रमाणपत्रों और अन्य शैक्षणिक अभिलेखों को विभिन्न केंद्रों पर विस्तृत तरीके से रखा जाता है। इस प्रक्रिया में छेड़छाड़ की संभावना बनी रहती है। साथ ही साथ यह अत्यंत दुर्गम, जटिल और वृहद कागजी कार्रवाई युक्त होता है। पर अब बोर्ड ने परीक्षा परिणामों से संबंधित दस्तावेजों को सुरक्षित करने के लिए एक समाधान निकाला है जिसका नाम है- “ब्लॉकचेन तकनीक

ये ब्लॉकचेन तकनीक आखिर है क्या?

शुरुआती लोगों के लिए, ब्लॉकचेन डेटा भंडारण का एक तरीका है जिसका उपयोग क्रिप्टोकरेंसी विकसित करने के लिए तेजी से किया जा रहा है, और इसी तरह परीक्षा परिणाम जैसे डिजिटल डेटा भी बनाया जा रहा है, ।

एक ब्लॉकचेन समूह में एक साथ जानकारी एकत्र किया जाता है, जिसे ब्लॉक के रूप में भी जाना जाता है। ब्लॉक में कुछ भंडारण क्षमताएं होती हैं और जब वे भर जाते हैं, तो पहले से भरे हुए ब्लॉक पर चेन के साथ जुड़ जाते हैं। इन्हें ही “ब्लॉकचैन” के रूप में जाना जाता है।

ब्लॉकचेन तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि शैक्षणिक दस्तावेज सुरक्षित और छेड़छाड़ रहित प्रक्रिया से अंकित किए जाएं। इसके अनुसार जब नए दस्तावेज़ जारी किए जाएंगे तो उसकी एक डिजिटल कॉपी ब्लॉकचेन सिस्टम को भेजी जाएगी। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) अपने डेटा केंद्रों के स्थापित बेंगलुरु, पुणे और जयपुर के प्रबंधित नेटवर्क “नोड्स” का उपयोग सत्यापन हेतु करता है। यह प्रक्रिया सुरक्षा सुनिश्चित करती है और तीसरे पक्ष के सत्यापन की निर्भरता को समाप्त करती है क्योंकि डेटा को ‘क्रिप्टोग्राफिक सुरक्षा’ के साथ संग्रहीत किया जाता है, जो शैक्षणिक अभिलेख का लिंक्ड चेन संरचना में अंकन कर इसे स्थायी और छेड़छाड़ रहित बनाता है। व्यक्ति और संस्थान उस बोर्ड की मुख्य आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in या cbse.certchain.nic.in पर अभिलेखों को सत्यापित कर सकते हैं।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शुरुआत के लिए वर्ष 2019-2021 के लिए कक्षा 10 और 12 के डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए हैं और आने वाले महीनों में धीरे-धीरे पिछले वर्षों के प्रमाणपत्रों को भी आगे बढ़ाया जाएगा।

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ब्लॉकचेन तकनीक के लाभ

ब्लॉकचेन तकनीक से दो समस्याओं का निवारण सुनिश्चित होगा। यह तकनीक प्रवेश, नौकरी और ऋण के समय छात्रों के प्रमाणपत्रों की सत्यापन संबंधी समस्याओं को दूर करती है। अकादमिक ब्लॉकचैन यही काम शैक्षणिक स्तर पर करता है। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा उच्च अध्ययन के लिए प्रवेश के समय और कंपनियों द्वारा नौकरी की पेशकश के लिए भी ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है।

दूसरा, यह परिणाम को कागजी कार्रवाई रहित, प्रभावी और त्वरित बनाएगा। इसके पर्यावरणीय निहितार्थ भी है। साथ ही साथ कागज रहित होने के कारण यह सत्यापन प्रक्रिया को सुगम बनाएगा।

निष्कर्ष

शिक्षा मानव संसाधन को श्रेष्ठ बनाने का श्रेष्ठतम संसाधन है। मानव संसाधन राष्ट्र निर्माण की धुरी है। अतः शैक्षणिक प्रक्रियाओं में सुगमता, सुरक्षा और पारदर्शिता इनके क्षमताओं और संभावनाओं में वृद्धि हेतु नितांत आवश्यक है। “ब्लॉकचेन तकनीक“ को इसी क्रम में आत्मसात किया गया है। CBSE कोटिशः प्रशंसा की पात्र है।

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