कोरोना की दो विनाशकारी लहर के बाद भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है

कोरोना के आरंभ के बाद से ही भारत सरकार द्वारा जो सार्थक प्रयास किया जा रहा है, यह उसी का प्रमाण है!

भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि

कोविड की दूसरी लहर सभी को याद है। भारतीय इतिहास में कई लोगों ने उस महामारी को बंटवारे के बाद सबसे अधिक मृत्यु देने वाले कारण के रूप में बताया था। हमारे देश में मात्र 2 महीनों में कई हजार लोग काल के गाल में समा गए थे। देश की सड़कों पर एम्बुलेंस की आवाजें सुनी जा सकती थी। उस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था भी बीमार हो गई थी। पहली लहर के आंकड़े आए तो पता चला कि हमारी अर्थव्यवस्था गिर रही है। चिंताओं का दौर शुरू हुआ। बहुत से लोगों ने हमारी अर्थव्यवस्था में बड़े सकारात्मक बदलाव की सम्भावनाओं को नकार दिया। दूसरे दौर में आंकड़े और नीचे गए। हालांकि, अब जब उस विपदा को 4 महीने होने को है तो IMF ने कल बताया है कि भारत दुनिया में आर्थिक रूप से सबसे तेजी से बढ़ने वाला राष्ट्र है। IMF के नए आंकड़ों के अनुसार वह इस वर्ष 9.5% की दर से बढ़ेगा और 2022 में विकास दर 8.5% रहने की उम्मीद है।

IMF का नया डाटा

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा मंगलवार को जारी नवीनतम अनुमानों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था, जिसका आकार कोविड-19 महामारी के कारण 7.3 प्रतिशत कम हुआ है, उसमें 2021 के दौरान 9.5 प्रतिशत और वार्ष 2022 के दौरान 8.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है। भारत की जीडीपी वृद्धि के लिए WEO (WORLD ECONOMIC OUTLOOK) का दीर्घकालिक पूर्वानुमान 2026 में 6.1 प्रतिशत है।

रिपोर्ट जारी करते हुए IMF प्रमुख गोपीनाथ ने कहा, “भारत, एक बहुत ही कठिन दूसरी लहर से बाहर आया है और जिसके कारण जुलाई में एक बड़ी गिरावट आई थी। भारत टीकाकरण दरों के मामले में अच्छा कर रहा है और यह निश्चित रूप से मददगार है।” हालांकि रिपोर्ट जारी करते हुए गीता गोपीनाथ ने चुनौतियों को भी उल्लेखित किया है। गोपीनाथ ने कहा, “आप जानते हैं कि वित्तीय बाजार के संबंध में भारतीय अर्थव्यवस्था हमेशा कई चुनौतियों का सामना करती है, यह नहीं भूलना चाहिए कि वायरस अभी तक नहीं गया है।”

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भारत के पड़ोसियों और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का क्या हाल है?

जुलाई महीने के दौरान पूर्वानुमान की तुलना में 2021 के लिए वैश्विक अनुमान में 0.1 प्रतिशत की कमी पाई गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2021 में 5.9 प्रतिशत और 2022 में 4.9 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। WEO के अनुसार, चीन इस वर्ष आठ प्रतिशत और अगले वर्ष 5.6 प्रतिशत की वृद्धि देख सकता है। इसके साथ ब्रिटेन इस साल 6.8 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है, वहीं फ्रांस की अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत से वृद्धि कर सकती है और अमेरिका छह प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है। WEO के अनुसार, पाकिस्तान की जीडीपी इस साल 3.9 फीसदी और अगले साल 4 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज कर सकती है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था इस साल 4.6 फीसदी और अगले साल 6.5 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। श्रीलंका की विकास दर इस साल 3.6 और अगले साल 3.3 रहने का अनुमान है, जबकि नेपाल की जीडीपी इस साल 1.8 फीसदी और अगले साल 4.4 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। यानी देखा जाए तो भारत की टक्कर में कोई भी देश नहीं हैं।

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पहले और दूसरे लहर के बाद निराशाओं का दौर

महामारी के साथ-साथ निराशाओं की बीमारी भी खूब चली। यह बार-बार बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था एकदम गिर गई है। इसके साथ यह भी अप्रत्यक्ष रूप से कहा गया कि सुधार की सम्भावनाएं एकदम नदारद है। फाइनेंसियल एक्सप्रेस ने अपने रिपोर्ट में लिखा था कि चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 10.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है लेकिन दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियों ने COVID-19 की दूसरी लहर के प्रभाव के कारण इसे डाउनग्रेड कर दिया है।

मूडीज ने शुरू में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 13.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था लेकिन बाद में इसे घटाकर 9.3 प्रतिशत कर दिया। S&P ग्लोबल रेटिंग ने भी दूसरी लहर के मध्यम प्रभाव को देखते हुए 11 प्रतिशत की वृद्धि को घटाकर 9.8 प्रतिशत कर दिया है और इसके यह भी बोला गया कि सबसे खराब स्थिति में यह 8.2 प्रतिशत होगा। देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा तमाम आंकड़े दिए गए। यह माहौल बनाने की कोशिश की गई कि सरकार इससे निपटने में विफल होगी। खैर अब जब आंकड़े आ गए हैं तो वो शुतुरमुर्ग की तरह मुंह जमीन में छुपा लिए होंगे।

भारत ने जब उछाल देखा

इसके बाद तमाम स्वघोषित बुद्धिजीवियों के आंकड़े ध्वस्त हो गए। देश में वित्तमंत्री द्वारा जो पैकेज दिया गया था तथा जो योजनाएं तैयार की गई थी, उसका सकारात्मक प्रभाव दिखना शुरू हो गया था। कोरोना की लहरों से पस्त होने के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था का दुनिया में सबसे तेजी से विकास, हमारी आर्थिक नींव और संरचना के लचीलेपन को दिखाता है। उद्योग मंडल CII ने उस समय कहा था कि आर्थिक गतिविधियों पर महामारी की दूसरी लहर के प्रभाव के बावजूद जीडीपी वृद्धि के प्रभावशाली उछाल को ध्यान में रखना अच्छा है। वहीं PHDCCI ने कहा था कि पिछली कई तिमाहियों में सरकार द्वारा किए गए सार्थक और सक्रिय सुधारों ने अर्थव्यवस्था को 2020-21 की पहली तिमाही के निचले स्तर से खींच लिया है और इसके परिणामस्वरूप अब तेज सुधार हुआ है। ASSOCHAM ने कहा था कि वैश्विक महामारी के खिलाफ, भारतीय अर्थव्यवस्था अप्रैल-जून 2021-22 में 20.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि के साथ तेजी से कैच-अप मोड में बदल रही है।

कोरोना के आरंभ के बाद से ही भारत सरकार द्वारा जो सार्थक प्रयास किया जा रहा है, यह उसी का प्रमाण है! बाजार में तेजी दिख रही है। भारत सरकार द्वारा सही समय पर किसानों को, MSME को सहयोग दिया गया था, जिसके चलते कम्पनियों पर बोझ नहीं पड़ा और काम होता चला गया। आज उन्हीं प्रयासों के दमपर IMF ने भारत को सबसे तेजी से विकसित होने वाले बड़ी अर्थव्यवस्था बताया है। सरकार द्वारा बाजारों को और सशक्त करके और ज्यादा वृद्धि दर्ज की जा सकती है। भारत जल्द ही अपने 5 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा, और आईएमएफ के अनुमानों को देखते हुए, देश जल्द ही एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा।

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