पिछले दिनों मोहम्मद इफ्तिखारुउद्दीन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था जिसमें वह लोगों को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करते देखा जा सकता है। मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन IAS है और उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है। वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा SIT गठित की गई थी। SIT ने अपनी जांच में जो खुलासे किए हैं वह चौंकाने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इफ्तिखारुद्दीन का मतांतरण का रैकेट 8 जिलों में फैला था।
यह भी पढ़ें :- एक मुस्लिम लड़के ने मदद की तो श्याम बन गया उमर, उमर अब तक 1000 से अधिक हिंदुओं का धर्मांतरण करवा चुका है
रिपोर्ट के अनुसार पूर्व मंडलायुक्त ने प्रदेश के आठ से ज्यादा जिलों में बड़ी संख्या में मतांतरण कराए। कई साक्ष्य एसआइटी के हाथ लगे हैं। एसआइटी की जांच में धार्मिक कट्टरता के आरोप सही पाए गए थे और यह भी पता चला था कि वायरल वीडियो मंडलायुक्त आवास पर ही बनाए गए थे। अर्थात मंडलायुक्त अपने सरकारी आवास को मस्जिद की तरह इस्तेमाल कर रहा था। एसआइटी के पास ऐसे लगभग 80 वीडियो और पूर्व मंडलायुक्त द्वारा लिखी गई सात किताबें हैं। इन वीडियो और किताबों में मजहबी कट्टरपंथ की बाते हैं। कानपुर के अतिरिक्त उन्नाव, औरैया, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर सहित उत्तर प्रदेश के कुल 8 जिलों में मतांतरण का कार्य किया गया है।
यह भी पढ़ें :- श्याम उर्फ मोहम्मद उमर ने बच्चों तक का धर्म परिवर्तन करवाया, विरोध करने पर शिक्षिका को स्कूल से निकाला
महत्वपूर्ण बात यह है कि दैनिक जागरण की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एसआईटी की जांच में पर्याप्त सबूत हैं और रिपोर्ट कई दिनों से प्रशासन के पास लंबित है किंतु प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ाई जा रही है। यदि यह सत्य है तो यह एक गंभीर बात है।
यह भी पढ़ें :-5 लाख धर्मांतरण, UK-Gulf देशों से आया करोड़ों’, अवैध मतांतरण मामले में यूपी पुलिस की जांच मे आया सामने
UPSC की परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। निश्चय ही यह भारत की सबसे बड़ी परीक्षा है। UPSC का सिलेबस तैयार करने वाले लोगों का मानना है कि वह पंथनिरपेक्ष और लोकतंत्र के लिए समर्पित अधिकारियों को तैयार करते हैं, लेकिन मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन का मामला बताता है की इस्लामिक कट्टरपंथी UPSC के तमाम दावों के बाद भी अपनी विषाक्त सोच के साथ, देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी पा रहे हैं। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।
पिछले दिनों सुदर्शन न्यूज़ ने UPSC जिहाद का मामला उठाया था तो सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने भी यही कहा था कि ‛UPSC जिहाद’ कार्यक्रम पर रोक लगाने के पक्ष में हलफनामा देते हुए कहा था कि कार्यक्रम “अच्छे दृष्टिकोण में नहीं है, ये आक्रामक है और इससे सांप्रदायिकता को बढ़ावा मिलने की संभावना है।” इसके बावजूद मोहम्मद इफ्तेखारुद्दीन का मामला बताता है कि सुदर्शन न्यूज ने जो मुद्दा उठाया था वह गलत नहीं था, बल्कि अच्छा होता यदि इस पर खुले मन से चर्चा होती है। देश के प्रशासनिक अधिकारियों को संभवत अपनी छवि अधिक प्रिय है और शायद यही कारण है कि मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के मामले में कार्रवाही की गति भी धीमी है।