Moody’s जो अभी तक भारत को नेगेटिव outlook दे रहा था, Modi के प्रकोप से उसे stable घोषित कर दिया

मूडीज रेटिंग भारत

ऐसे समय में जब अमेरिका जैसे देश कोविड -19 के बढ़ते मामलों से जूझ रहे हैं, भारत ने न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को खोल दिया है, बल्कि रिकॉर्ड गति से आगे भी बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इसी आर्थिक सुधार ने भारत के आलोचक Moody’s (मूडीज) को दो साल की अवधि के बाद भारत की रेटिंग को अपग्रेड करने के लिए मजबूर कर दिया है। 

दरअसल, रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग की पुष्टि की है और अर्थव्यवस्था तथा वित्तीय प्रणाली में बदलावों का हवाला देते हुए देश के दृष्टिकोण को ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ कर दिया है। मूडीज की सॉवरेन रेटिंग ‘BAA3’ है – जो कि सबसे कम निवेश ग्रेड है और यह जंक स्टेटस से सिर्फ एक पायदान ऊपर है। हालांकि, बाजार में स्थिरता देखने का मतलब है कि विदेशी रेटिंग एजेंसियां भी मोदी सरकार के कदमों को सराह रही हैं। 

मूडीज देश में “Modi”fication को देख रहा है

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार Moody’s ने अपने आउटलुक में बदलाव के साथ देश की प्रमुख क्रेडिट स्ट्रेंथ रेटिंग्स को Baa3 लेवल पर रखा है। ये रेटिेंग्स भारत के एक बड़ी और विविधीकृत इकोनॉमी होने की पहचान कराती हैं, जिसमें ऊंचे विकास की क्षमता और सरकार के कर्ज के लिए एक स्थिर स्थानीय वित्तपोषण की व्यवस्था है। भारत के आर्थिक परिदृश्य को स्थिर में बदलने का निर्णय मूडीज के दृष्टिकोण को दर्शाता है कि वास्तविक अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया से नकारात्मक जोखिम कम हो रहे हैं। 

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में आगे बताया कि उच्च पूंजी सम्पदा और अधिक लिक्विडिटी के साथ, बैंक तथा गैर-बैंक वित्तीय संस्थान मूडीज के पहले अनुमान की तुलना में संप्रभु राज्य के लिए जोखिम बहुत कम है। मूडीज को उम्मीद है कि आर्थिक वातावरण अगले कुछ वर्षों में सरकार के राजकोषीय घाटे को धीरे-धीरे कम करने की अनुमति देगा, जिससे सॉवरेन क्रेडिट प्रोफाइल में और गिरावट को रोका जा सकेगा। 

आपको बतातें चलें कि मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने पिछले साल भारत की सॉवरेन रेटिंग को ‘BAA2’ से घटाकर ‘BAA3’ कर दिया था और उस समय मूडीज ने यह कहा था कि कम विकास की निरंतर अवधि और बिगड़ती राजकोषीय स्थिति के जोखिमों को कम करने के लिए नीतियों के कार्यान्वयन में चुनौतियां आएंगी। 

आर्थिक ऋण बड़ी समस्या है 

मूडीज ने भारत के चुनौतियों को भी चिन्हित किया है। भारत की मुख्य ऋण चुनौतियां, इसकी प्रति व्यक्ति कम आय और इसकी कमजोर वित्तीय स्थिति है जो कोरोन वायरस के झटके से उबर चुकी हैं। भारत का सामान्य सरकारी ऋण बोझ 2019 में सकल घरेलू उत्पाद के 74 प्रतिशत से बढ़कर 2020 के सकल घरेलू उत्पाद का अनुमानित 89% हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। यह BAA श्रेणी से काफी ज्यादा है जिनका ऋण लगभग 48% रहता है। एजेंसी ने कहा, “भारत में ब्याज भुगतान सामान्य सरकारी राजस्व का लगभग 26% है, जो BAA-रेटेड देशों में सबसे अधिक है और 8% औसत के BAA से तीन गुना से अधिक है।” एजेंसी ने एक बयान में कहा, “आगे देखते हुए, मूडीज को उम्मीद है कि मध्यम अवधि में कर्ज का बोझ लगभग 91% पर स्थिर हो जाएगा, क्योंकि मजबूत नॉमिनल जीडीपी वृद्धि धीरे-धीरे सिकुड़ रही है, लेकिन फिर भी बड़े पैमाने पर प्राथमिक घाटे से संतुलित है।”

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वित्तीय संकट दूर होगी और अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल आयेगा

भारत का राजकोषीय घाटा अप्रैल-अगस्त की अवधि में 4.68 लाख करोड़ था जो कि बजट के अनुमान को पीछे छोड़ते हुए 31.1% को छू लिया था। सरकार वर्तमान में अपने राजकोषीय घाटे को पिछले साल के 9.3% से घटाकर 6.8% करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। अपने बजट अनुमानों के अनुरूप, केंद्र ने घोषणा की है कि वह अक्टूबर-मार्च की अवधि में 5.03 लाख करोड़ उधार लेगा। सरकार ने 2021-22 के बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए अपना सकल उधार का लक्ष्य 12.5 लाख करोड़ रुपये आंका था।

हालांकि, मूडीज ने भारत की रेटिंग को BAA3 पर बरकरार रखा है, जो सबसे कम निवेश ग्रेड रेटिंग को दर्शाता है। मूडीज ने कहा कि उसे उम्मीद है कि वास्तविक जीडीपी इस साल 2019-20 के पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर जाएगी, क्योंकि आर्थिक सुधार गतिविधियों में तेजी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर रही है।

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TFI ने पहले ही बदलाव के संकेत दिए थे

27 सितंबर को प्रकाशित लेख में TFI ने बताया था कि भारत सरकार, जिस तरह से मेक इन इंडिया के तहत कृषि से लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र, निजी क्षेत्र, शिक्षा, यातायात को बढ़ावा दे रही है और स्टार्टअपस को मौका दे रही वो पूरी दुनिया देख रही है। PLI स्कीम, रेट्रो टैक्स को खत्म करने जैसे बड़े निर्णय कई बड़े निवेशकों को आकर्षित कर रही है।

भारत की बढ़ती खपत और भारत विनिर्माण इकाइयों में होने वाले बदलाव भी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। भारत में वैक्सीनेशन की सफलता भी इसका बड़ा कारण है। सुबह का भूला शाम को घर आ जाए, तो उसे भूला नहीं कहते हैं। देर से ही सही, मूडीज ने भारत के असल प्रयासों को सराहा है।

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