चीन ने सदैव कोरोनावायरस को चीनी वायरस कहने पर विरोध जाहिर किया है, जबकि ये वायरस चीन की ही उपज है। सर्वविदित है कि चीन ने इसका प्रयोग जैविक हथियार के रूप में करना चाहा था, किन्तु विश्व स्वास्थ्य संगठन के चलते चीन को वैश्विक संरक्षण मिला। ऐसे में चीन को उस समय तो ज्यादा विरोध नहीं झेलना पड़ा, किन्तु आस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने चीन से अपने हुए नुकसान की भरपाई के साथ ही जांच की मांग की थी। वहीं अब भारत की चुनौतियों को लेकर सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भविष्य की कूटनीति का रोड मैप सामने रखा है। डोभाल के निशाने पर सीधे तौर पर चीन रहा। उन्होंने कोरोनावायरस को पूर्णतः चीन का जैविक हथियार और दुनिया में हुए इस संकट को जैविक युद्ध करार दिया है। डोभाल का ये बयान चीन के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
जैविक हथियार है कोरोनावायरस
अजीत डोभाल ने कोरोनावायरस को लेकर चीन की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं। अजीत डोभाल ने कहा, “खतरनाक जैविक हथियार दुनिया के लिए गंभीर परिणाम साबित हो सकते हैं। किसी जानलेवा वायरस को हथियार बना कर इस्तेमाल करना गंभीर बात है।” उन्होंने कहा, “COVID-19 महामारी की आपदा आर्थिक सामाजिक और मानवीय रूप से लोगों के अस्तित्व के खात्मे से जुड़ी आशंका पैदा करने की क्षमता रखने वाला है।” जैविक हथियार की बात करना और कोरोना का उल्लेख करना, अजीत डोभाल का मुख्य निशाना निश्चित तौर पर चीन ही था।
जैव सुरक्षा के रोड मैप की आवश्यकता
जैविक हथियारों के दुष्प्रभाव और दुनिया पर पड़ने वाले असर को लेकर अजीत डोभाल ने चिंता भी व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “यह सामाजिक असंतुलन उत्पन्न करता है जो राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक विकास और यहां तक कि एक राष्ट्र की बाहरी और आंतरिक खतरों का दृढ़ता से सामना करने की क्षमता को खत्म करने की वजह बन सकता है।” चीन ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के आर्थिक और चिकित्सीय ढांचे के लिए चुनौतियां खड़ी की है। नतीजा ये कि अब भी दुनिया के कई देश इस त्रासदी से उबर नहीं पाए हैं। ऐसे में भविष्य की सुरक्षा को देखते हुए डोभाल ने कहा, “खतरनाक रोगों को जानबूझकर हथियार बनाना गंभीर चिंता का विषय है। इसने व्यापक राष्ट्रीय क्षमताओं और जैव-रक्षा, जैव-सुरक्षा और जैव-सुरक्षा के निर्माण की आवश्यकता को बढ़ाने का उद्देश्य पैदा कर दिया है।”
COVID-19 pandemic and devastating natural disasters have the potential to impact collective psyche of people, their economic well-being & instill fears about their survival: NSA Ajit Doval at Pune Dialogue on National Security 2021, via video conference (1/2) pic.twitter.com/v0PEOm7BN8
— ANI (@ANI) October 28, 2021
नाम नहीं लिया पर उद्देश्य स्पष्ट
अजीत डोभाल ने अपने वक्तव्य में एक बार भी चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कोरोनावायरस का उदाहरण देते हुए जब उसके नुकसानों का जिक्र कर दिया, तो उससे स्पष्ट है कि वो चीन की हजामत कर रहे हैं। इस वक्तव्य से डोभाल ने आधिकारिक रूप से ये भी कह दिया है कि कोरोनावायरस एक जैविक हथियार था, जिसे प्राकृतिक आपदा का चोला पहनाने की कोशिश की गई है। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा, “बायोलॉजिकल रिसर्च करना बेहद जरूरी है, लेकिन इसकी आड़ में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।”
The deliberate weaponization of dangerous pathogens is serious concern. This has heightened the need to build comprehensive national capabilities & bio-defence, bio-safety, & bio-security: NSA Ajit Doval pic.twitter.com/ZecziDwf3t
— ANI (@ANI) October 28, 2021
भारत बढ़ाएगा अपनी क्षमता
भारत ने जैविक हथियार को लेकर अभी तक कोई विशेष प्रयास नहीं किए थे, साथ ही इसे शांति के लिए खतरा भी माना गया, लेकिन अब-जब अजीत डोभाल ने सांकेतिक तौर पर कोरोनावायरस को चीन का जैविक हथियार घोषित कर दिया है; और इनसे बचाव करने के लिए व्यवस्था करने की बात कही है, तो उनका संकेत स्पष्ट है कि अब जैविक हथियारों से निपटने के लिए भारत जल्द ही एक रोड मैप तैयार कर सकता है। यदि भारत ऐसा करता है तो यह चीन के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जाएगा।
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ऐसा नहीं है कि किसी देश ने पहली बार कोरोनावायरस को चीन का जैविक हथियार बताया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के राष्ट्र प्रमुख तक कोरोनावायरस को जैविक हथियार बता चुके हैं। हालांकि, इस मुद्दे पर भारत ने सटीक तौर पर चीन पर आक्रमण नहीं किया था, लेकिन अजीत डोभाल का ये हालिया बयान यह स्पष्ट करता है कि भारत भी अब कोरोनावायरस को चीन का जैविक हथियार मानता है, और वो इसे या इसके जैसे अनेकों जैविक हथियारों से लड़ने के लिए अपने सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ बना रहा है।