चीन के ऊर्जा संकट के बीच पीयूष गोयल भारत के टेक्सटाइल सेक्टर को पूरी तरह बदलने जा रहे हैं

टेक्सटाइल उद्योग भारत

PC: Patrika

कोरोना महामारी के बीच चीन को छोड़ निवेशकों की पसंद भारत बना हुआ है और अब रही सही कसर चीन में चल रहे ऊर्जा संकट ने पूरी कर दी है। चीन में कोयले के बढ़ते दामों के कारण पैदा हुए ऊर्जा संकट से भारत के टेक्सटाइल उद्योग को बड़ा लाभ हो सकता है। शनिवार को साउथ गुजरात चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सम्मेलन में Southern Gujarat Chamber Of Commerce and Industry (SGCCI) के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने यह बात कही है कि चीन में कोयले के बढ़े हुए दामों के कारण चीन के टेक्सटाइल निर्माताओं की प्रोडक्शन कॉस्ट अर्थात उत्पादन लागत बढ़ जाएगी जिसका सीधा लाभ गुजरात स्थित टैक्सटाइल इंडस्ट्री को मिलेगा।

शनिवार को SGCCI द्वारा आयोजित सम्मेलन का शीर्षक ‛Power Crisis in China and advantage for Surat and India’ था। इस सम्मेलन में निर्यात और इंडस्ट्री सेक्टर से जुड़े कई लोग सम्मिलित हुए थे। इसी दौरान आशीष गुजराती ने कहा कि “चीन में पैदा हुए ऊर्जा संकट के कारण सूरत, दक्षिण गुजरात और पूरे भारत के उद्योगों के लिए एक अच्छा अवसर प्राप्त हुआ है, यह सही समय है कि हम अवसर का लाभ उठाएं। उन सभी उद्योगों को जो चीन से आयातित कच्चे माल पर निर्भर हैं उन्हें तैयारियां शुरु करनी पड़ेगी क्योंकि जल्द ही चीनी निर्यात में कमी आने की संभावना है। ऐसे में उद्योग से जुड़े लोगों को कच्चे माल की सप्लाई के लिए अन्य स्त्रोतों की खोज भी शुरू कर देनी चाहिए।”

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उन्होंने कहा कि “चीन पूरे विश्व में कपड़ों और परिधान का एक बड़ा निर्यातक है। चीन में कोयला उत्पादन में आई कमी के कारण बिजली दर 30-40% बन सकती है जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन लागत भी बढ़ सकती है। चीन में आए ऊर्जा संकट का लाभ भारत के कई उद्योगों को और विशेष रूप से सूरत के टैक्सटाइल इंडस्ट्री को मिलेगा।

महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत सरकार ने टेक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पहले ही पीएलआई योजना को टैक्सटाइल इंडस्ट्री में लागू कर दिया है। टैक्सटाइल इंडस्ट्री को भारत सरकार PLI योजना के अंतर्गत 10683 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने वाली है।

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इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ‘कपड़ा क्षेत्र ने देखा है कि पिछले कई वर्षों में हम बड़े पैमाने पर कपास, ऊन, रेशम- पारंपरिक वस्त्रों में विकसित हुए हैं, लेकिन जब मानव निर्मित फाइबर या तकनीकी वस्त्रों की बात आती है, तो भारत अपेक्षाकृत पीछे रह जाता है। विश्व बाजार में हमारी ज्यादा हिस्सेदारी नहीं है।’ पीयूष गोयल बिजनस माइंडसेट वाले मंत्री माने जाते हैं और वो किसी भी स्थिति में चीन में चल रहे ऊर्जा संकट का फायदा अवश्य ही उठायेंगे। इससे मह ये कह सकते हैं कि जल्द ही भारत का टेक्सटाइल उद्योग और तेजी से विकास करने वाला है।

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सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में टैक्सटाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। भारत सरकार ने टेक्सटाइल उद्योग में तकनीकी गुणवत्ता को ऊंचा उठाने के लिए Amended Technology Upgradation Funds Scheme (ATUFS) शुरू किया है जिसका उद्देश्य टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े मशीनरी के निर्माण को बढ़ावा देना है। इसके अलावा भारत सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत समर्थ योजना की शुरुआत की गई है जिसका उद्देश्य टेक्सटाइल उद्योग में कुशल श्रम शक्ति के उत्पादन को सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत इस सेक्टर में कार्यरत श्रमिकों की स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल पार्क बनाने से भी भारतीय टैक्सटाइल इंडस्ट्री को बहुत मजबूती मिली है।

कोरोना महामारी के बाद वैसे भी दुनिया चीन से सप्लाई चेन के स्थानांतरण के लिए प्रयासरत है, इसी दौरान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों के कारण चीन ऊर्जा संकट में फंस चुका है। यह सारी परिस्थितियां भारतीय उद्योगों के लिए एक सुनहरा अवसर बन गई है।

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