पेश है इस्लाम का ‘चीनी संस्करण’, विशेष ‘चीनी फीचर्स’ के साथ!

इस्लाम का Chinese वर्जन!

चीनी इस्लाम

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चीन के शिनजियांग प्रांत से अक्सर ही मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों की खबरें सामने आती रहती हैं। कभी उनकी मस्जिदों को तोड़कर वहां शौचालय बनाने की खबर सामने आती है, तो कभी यह पता चलता है कि ‛री-एजुकेशन कैंप’ के नाम पर चलाए जा रहे कॉन्सेंट्रेशन कैंप में लाखों की संख्या में उइगर मुसलमानों को बंदी बना लिया गया है। लेकिन अब चीनी दमन चक्र अन्य प्रांतों के उन मुसलमानों पर भी चल रहा है, जो उइगर मुसलमानों की अपेक्षा उदारवादी इस्लाम में विश्वास रखते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन की सरकार हर प्रांत में मस्जिदों का सर्वेक्षण करके यह तय कर रही है कि चीनी मस्जिदों पर से इस्लामिक प्रभाव को पूरी तरह समाप्त किया जाए। इसके लिए मस्जिदों के स्थापत्य में बदलाव कर, उन्हें अरबी और मध्य एशियाई प्रभाव से मुक्त करके चीनी स्थापत्य के अनुसार पुनःनिर्मित किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को सिनीसाइजेशन या चीनीकरण की मुहिम कहते हैं। सिनीसाइजेशन के आधार पर चीन के चिंगहई प्रांत की राजधानी शिनिंग में कई मस्जिदों में बदलाव किया गया है।

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10.5 मिलियन है ‘हुई मुसलमानों’ की संख्या

शिनिंग में हुई मुस्लिमों की आबादी 16 फीसदी है। ‘हुई मुसलमान’ चीन की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 55 जातिगत समूह ‛एथेनिक ग्रुप’ में एक हैं। यह चीन की मुस्लिम आबादी में सबसे बड़ी भागीदारी रखते हैं। इनकी संख्या 10.5 मिलियन है, जो जातीय समूहों में तीसरे स्थान पर है। ‘हुई मुसलमान’ उइगर मुसलमानों की अपेक्षा कम कट्टर हैं और उदारवादी इस्लाम को मानते हैं। यह लोग चीनी भाषा बोलते हैं और चीनी कपड़े पहनते हैं। ‘हुई मुसलमान’ काफी हद तक चीनी प्रभाव में हैं लेकिन बीजिंग इनके प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है और हुई मुसलमानों में व्याप्त थोड़े बहुत इस्लामिक प्रभाव को भी समाप्त करना चाहता है।

मस्जिदों को तोड़ कर किए गए बदलाव

बताते चलें कि शिनिंग में 700 साल पुरानी मस्जिद, जिसका अपना ऐतिहासिक महत्व था, उसे तोड़कर उसमें बदलाव कर दिया गया है। यह मस्जिद अपने हरे सफेद गुंबदों और मीनारों के कारण शिनिंग शहर की पहचान थी। सरकार ने इसके गुम्बद और मीनार तोड़ दिए और उसके स्थान पर पगोडा शैली में निर्माण कर दिया। गौर करने वाली बात है कि इसे लेकर हुई मुसलमानों की ओर से कोई व्यापक विरोध प्रदर्शन नहीं किया गया, क्योंकि चीनी शासन के खिलाफ विरोध करने का अर्थ आजीवन कारावास या री-एजुकेशन कैंप में जबरन भर्ती है।

शिनिंग की मुख्य मस्जिद के साथ जो हुआ वही शहर की अन्य मस्जिदों के साथ भी हो रहा है। यह बदलाव केवल शिनिंग तक ही सीमित नहीं है, किरा (Kira) शहर में भी चीन का ऐसा ही कृत्य देखने को मिला है। वहीं, निंग्जिया (Ningxia) प्रांत में भी वेइज़हौ ग्रैंड मस्जिद (Weizhou grand mosque) के साथ भी यही हुआ।

गौरतलब है कि चीन ने हाल ही में एप्पल मोबाइल कंपनी को उसके एप स्टोर से कुरान और बाइबिल हटाने का आदेश दिया था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का व्यवहार यह बताता है कि कम्युनिस्ट पार्टी, चीनी मुसलमानों को अपने विचारधारा के अनुरूप तैयार किए गए इस्लाम को अपनाने के लिए मजबूर करेगी और संसार की कोई ताकत उसे ऐसा करने से नहीं रोक पाएगी। मुसलमानों के बीच अलगाववाद की भावना न पनप सके, इसके लिए चीनी सरकार अपनी ताकत का प्रयोग कर रही है।

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