किसी ने सही ही कहा है, कभी भी उस युद्ध को प्रारंभ न करें, जहां आपकी विजय सुनिश्चित न हो। लेकिन इस बात को कांग्रेस ने कभी भी आत्मसात करने का प्रयास नहीं किया। चाहे असम में हिमन्ता बिस्वा सरमा हो, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया हो, या फिर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, हर जगह कांग्रेस हवा से लड़ने को उद्यत होती है और हर बार उसे मुंह की खानी पड़ती है, जैसे अभी कैप्टन अमरिंदर सिंह के विषय में उसे झेलना पड़ा है।
आखिर विवाद किस बात पर है? दरअसल, जब से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ी है, वे पार्टी के तौर तरीकों, विशेषकर उनके देशद्रोही गतिविधियों पर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने कई बार नवजोत सिंह सिद्धू के ‘खालिस्तानी कनेक्शन’ को लेकर गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी बातचीत की है। अब इसी को लेकर कांग्रेस ने उनकी पाकिस्तानी महिला मित्र एवं लेखिका अरूसा आलम के विषय पर उन्हें घेरने का प्रयास किया है।
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पंजाब कांग्रेस के शीर्ष नेताओं, यहां तक कि स्वयं सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने अरूसा आलम के पाकिस्तानी इंटेलिजेंस सेवा ‘ISI से संबंध होने के आरोप लगाए और अप्रत्यक्ष रूप से कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी निशाना साधने का प्रयास किया। कांग्रेस का ध्येय स्पष्ट था कि कैप्टन अमरिंदर की छवि एक राष्ट्रवादी नेता की रही है, ऐसे में इस छवि को ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाए। वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने यहां तक कह दिया कि अरूसा अपने आप में ‘सुपर सीएम’ थी, जिनकी स्वीकृति के बिना कोई मंत्री नहीं नियुक्त होता था।
कैप्टन निकले दो कदम आगे
परंतु, वे भूल गए कि वो किससे भिड़ रहे थे। यदि कांग्रेस शेर है, तो कैप्टन सवा शेर। उन्होंने आक्रामक रुख अपनाते हुए अरूसा आलम के अनेक फोटो प्रकाशित किए, जिसमें अरूसा आलम सोनिया गांधी, मुलायम सिंह यादव, फिल्मकार महेश भट्ट सहित कई अहम हस्तियों के साथ दिखाई दी हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिल्कुल आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा, “यह जितने भी लोग इनके साथ हैं, क्या सब के सब ISI से जुड़े हुए हैं? लोगों को कहने से पहले थोड़ा सोचना चाहिए”।
अमरिंदर की बारी है कि कांग्रेस को उखाड़ फेंकें
वास्तव में ये कांग्रेस को एक करारा जवाब नहीं, बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की एक खुली चेतावनी है कि यदि मेरे साथ कुछ भी गड़बड़ की, तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। ये कैप्टन अमरिंदर सिंह ही थे, जिन्होंने कांग्रेस को पंजाब में विजयी बनाने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया, परंतु गांधी वाड्रा परिवार की जी हुज़ूरी में कांग्रेस ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा! अब इसकी कसर वो पार्टी के हर सदस्य से चुन-चुन कर निकाल रहे हैं और अरूसा आलम प्रकरण पर उनका आक्रामक रुख भी इसी का एक प्रमाण है।
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कांग्रेस ने कुछ नहीं सीखा
इस प्रकरण से कांग्रेस को लेकर एक बात और भी सिद्ध होती है कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। कांग्रेस ने हिमन्ता बिस्वा सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे कई सुयोग्य नेताओं को यूं ही जाने दिया और एक बार भी उन्हें अपने किए पर पछतावा नहीं हुआ। हिमन्ता बिस्वा सरमा मौजूदा समय में बीजेपी की ओर से असम के सीएम हैं। वहीं, मध्यप्रदेश की राजनीति में जबरदस्त पकड़ रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अब मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं और अब अगला नंबर कैप्टन का हो सकता है। कैप्टन ने ऐलान कर दिया है कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में वो अलग पार्टी बनाकर, बीजेपी के साथ जुड़ेगे और कांग्रेस को मजा चखाएंगे। राज्य की मौजूदा सियासी हालात को देख कर ऐसा प्रतीत भी होता है कि पंजाब से अब कांग्रेस की छुट्टी होने वाली है।