कट्टरपंथी समूह Muslim Brotherhood ने सोशल मीडिया पर शुरू किया भारत विरोधी अभियान

PC: Disinfo lab

भारत को अस्थिर करने के प्रयासों में पाकिस्तान हमेशा ही अपने लिए मुसीबतें खड़ी करता है और हर प्रयास में असफल हो जाता है। ख़ास बात ये है कि पाकिस्तान अपने भारत के खिलाफ चलने वाले इस खेल में इस्लामिक एकता के नाम पर तुर्की और कतर जैसे देशों को भी जोड़ लेता है। हालिया उदाहरण की बात करें तो असम में सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ जो पुलिसिया कार्रवाई हुई, उसे मुद्दा बनाकर एक बार फिर भारत को अस्थिर करने के लिए सोशल मीडिया के जरिए कैंपेन चलाया गया। मुख्य बात ये है कि एक बार फिर इसका केन्द्र पाकिस्तान, तुर्की और कतर जैसे देश रहें, जो कि इस्लामिक भाईचारे के नाम पर भारत को अस्थिर करने के साथ ही आर्थिक एवं सामाजिक रुप से नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। इस बार ये देश इस्लामिक भाईचारे का ढोंग कर भारत और सऊदी अरब के बीच गहरे कूटनीतिक रिश्तों को नुकसान पहुंचाने के फिराक में है।

इस मामले में रिपोर्ट्स बताती हैं कि तुर्की, पाकिस्तान और कतर ने भारत में हिंसात्मक घटनाओं को विस्तार देने के लिए एक अभियान चलाया था जिसका माध्यम एक बार फिर सोशल मीडिया ही था। इसके लिए दो प्रमुख मीडिया संस्थानों अल जजीरा और टीआरटी वर्ल्ड ने सर्वाधिक भारत विरोधी एजेंडा चलाया था, जिससे सऊदी में भारत विरोधी भावनाओं को जन्म दिया जा सके।

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने की कोशिश

गौरतलब है कि ट्विटर पर एक हैशटैग #BoycottIndianProducts कुछ दिन पहले शुरु किया गया था और तब से अब तक यह चलता आ रहा है। यह असम में अवैध कब्जा करने वाले लोगों पर हुई कार्रवाई के संबंध में हैं, इसके हैशटैग के माध्यम से पुलिसिया कार्रवाई को निंदनीय बताया गया था। इस अभियान का मकसद केवल इतना सा है कि भारतीय सामानों का बहिष्कार करके भारतीय अर्थव्यवस्था पर चोट किया जा सके और भारत के कूटनीतिक रिश्तों को चोट पहुंचाई जा सके। यद्यपि पाकिस्तान समर्थक देश आए दिन इस तरह का कोई न कोई कैंपेन चलाते रहते हैं।

खास बात ये है कि ऐसा अभियान कोई पहली बार नहीं चला है, अपितु प्रत्येक वर्ष भारत के खिलाफ अभियान चलाने का एक चलन बन गया है। अपने इस अभियान को सही साबित करने के लिए भारत विरोधियों को नकली समाचारों और प्रचार के पूरे माध्यमों की आवश्यकता थी। ऐसे में अल-जजीरा से लेकर पाकिस्तानी मीडिया संस्थान तक भारत विरोधी अभियान चला रहे थे। वहीं, सोशल मीडिया पर ये अपेक्षित था कि जो हैशटैग चलाने के पीछे मुख्य तौर पर बहुत से हैंडल पाकिस्तान और तुर्की से चलाए जा रहे हैं, जिसमें कतर के खास ट्विटर हैंडल्स की भी विशेष भूमिका थी।

भले ही इस मुद्दे पर भारत निशाने पर दिख रहा हो किंतु मुख्य निशाना भारत और सऊदी अरब की दोस्ती है। भारत और सऊदी अरब के बीच गहरी कूटनीतिक मित्रता और प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत से नजदीकियां इन एजेंडाधारियों के मुख्य निशाने पर थीं। तुर्की, पाकिस्तान और कतर जैसे देश तो इस्लामिक भाईचारे के नाम पर भारत के खिलाफ अभियान चलाते ही हैं, लेकिन इस बार कुछ मीडिया संस्थानों ने भी असम की घटना को इस्लामिक एकजुटता से जोड़कर सऊदी को निशाने पर लिया।

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फ्रांस के खिलाफ भी कट्टरुपंथियों ने चलाया था अभियान

डिस इसिनफो लैब की रिपोर्ट बताती है कि कैसे एर्दोगान सउदी अरब के प्रिंस को भारत के खिलाफ केवल इस लिए आक्रोशित करना चाहते हैं, जिससे भारत से उसके रिश्ते खराब हों। इसमें कोई शक नहीं है कि भारत इस सोशल मीडिया की आक्रामकता का शिकार होने वाले देशों में पहला नहीं है, कुछ इसी तरह अभियान इस्लामिक कट्टरता के विरुद्ध कार्रवाई करने वाले फ्रांस के खिलाफ भी चलाया गया था।

इन तीनों ही देशों का उद्देश्य स्पष्ट है कि भारत को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए और इसके लिए पाकिस्तान, तुर्की और कतर जैसे इस्लामिक देश प्लानिंग के तहत इस्लामिक भाईचारे का झंडा बुलंद कर रहे हैं। हालांकि, इस पूरी नौटंकी से भारत की न आर्थिक स्थिति को कोई फर्क पड़ने वाला है और न ही सऊदी के साथ भारत के रिश्ते…क्योंकि इन देशों के पहले के अभियान भी औंधे मुंह ही गिरे हैं।

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