राजस्थान में पायलट कर सकते हैं सिद्धू जैसा विद्रोह, गहलोत का दावा- सब ठीक है

ये दावा बुरी तरह बैकफायर करने वाला है!

सचिन पायलट मुख्यमंत्री

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देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की परेशानियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। कांग्रेस के साथ समस्या यह है कि पार्टी में जमीन पर सक्रिय लोगों का समूह अलग और केंद्रीय कमान की चाटुकारिता करने वालों का अलग समूह बन गया है। पार्टी का ये समूह अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को भी ताक पर रखने को तैयार नहीं है। हर कार्यकर्ता ऐसा चाह रहा कि वह नेता बने, हर नेता ऐसा चाहता है कि वह मंत्री बने और ताकत के नजदीक रहे लेकिन राज्य में सीमित संसाधन के कारण सबकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना आसान नहीं है।

कांग्रेस पार्टी काफी पहले से ही ऐसे तमाम कारणों से मात खाती आई है और अपने नेताओं पर नियंत्रण रखने में नाकाम रही है। कांग्रेस आलाकमान की अपरिपक्वता इस डूबते राजनीतिक दल की रही-सही कसर को पूरी कर रही है। इन सारे गठजोड़ों से पंजाब संकट का हश्र पूरे देश ने देख लिया है। अब यही हश्र राजस्थान में होने वाला है क्योंकि अशोक गहलोत ने हाल ही में कहा है कि वह अगले 15 से 20 वर्षों तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहने वाले हैं। इससे राजस्थान में मजबूत और लोकप्रिय सचिन पायलट के खेमे को बड़ा झटका लगा है।

15-20 साल तक मैं ही मुख्यमंत्री बना रहूंगा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को अपने विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी सरकार न केवल अगले विधानसभा चुनावों में फिर से सत्ता में आएगी, बल्कि वह खुद अगले 15-20 वर्षों तक सत्ता में बने रहेंगे। राजस्थान सरकार के जनसंपर्क कार्यक्रम “प्रशासन गांव/शहरों के संग” कार्यक्रम काे उद्घाटन के दौरान उन्होंने यह बात कही। गहलोत ने कहा, “अब मुझे कुछ नहीं होगा। 15-20 साल तक मुझे कुछ नहीं होने वाला है। अब दु:खी होना हो तो हो दु:खी, मेरे बस की बात नहीं है।”

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हाल ही में हुई अशोक गहलोत की एंजियोप्लास्टी सर्जरी के बाद से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रदेश की कमान किसी और के हाथों में सौंप दी जाएगी। इस बात की चर्चा भी तेज थी कि सचिन पायलट जल्द ही मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। अब गहलोत ने ये बयान देकर इन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है।

गहलोत ने कहा, उन्हें विश्वास है कि उनकी सरकार अगले विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में होगी और यह हर पांच साल में मौजूदा सरकार के हारने वाले पैटर्न को तोड़ देगी। आपको बताते चलें कि 1998 से कांग्रेस और भाजपा ने हर पांच साल में राजस्थान में बारी-बारी से सत्ता संभाली है।

गहलोत के मुताबिक अभी तक जनता के बीच कांग्रेस के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। उन्होंने कहा, “जनता ने फैसला किया है कि सरकार बदलने की यह परंपरा वह समाप्त करेंगे, हम इस बार जो सुन रहे हैं वह यह है कि कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है लेकिन हमारी पार्टी के कुछ दोस्त दाएं-बाएं बातें कह सकते हैं।”

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राजस्थान में भी हो सकती है पंजाब वाली स्थिति

गहलोत का यह बयान हाल ही में पंजाब के नेतृत्व परिवर्तन के बाद आया है, जहां अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। अब इस बात की अटकलें लगाई जा रही है कि पंजाब के बाद कांग्रेस आलाकमान राजस्थान पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ हालिया बैठकों से भी नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों को हवा मिली है। पिछले दो वर्षों में राजस्थान कांग्रेस पायलट और गहलोत के वफादार गुटों के बीच अंदरूनी कलह से जूझ रही है।

गहलोत का दावा है कि आने वाले दो दशकों तक उन्हें कुछ नहीं होगा, यह पायलट और उनके वफादारों पर हमला बताया जा रहा है जो लंबे समय से राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर सीएम के इस बयान पर पायलट गुट की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है। पायलट गुट की ओर से कहा गया है कि “मुख्यमंत्री का बयान कांग्रेस आलाकमान की स्पष्ट अवहेलना है क्योंकि यह उन्हें तय करना है कि सरकार में कौन होगा। वह अगले कार्यकाल के लिए खुद को मुख्यमंत्री कैसे बता सकते हैं और यह कैसे बता सकते हैं कि वह किसे विभागों का आवंटन करेंगे?”

पंजाब में जो काम नवजोत सिंह सिद्धू ने किया है, वही काम राजस्थान में सचिन पायलट कर सकते हैं। सचिन पायलट लंबे समय से अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा को किनारे करके काम करते रहे हैं लेकिन अब ऐसा लगता है कि उन्हें भी सीएम की कुर्सी पसंद आ गई है। अब देखना यह है कि कांग्रेस आलाकमान अपने राज्यों के राजनीतिक संकटो से कैसे निपटती है क्योंकि भाजपा इन राज्यों में पहले से तैयार बैठी हुई है। कांग्रेस देश के अब गिने-चुने राज्यों में ही सरकार में है, ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के सामने इन राज्यों पर पकड़ मजबूत करने की चुनौती है। अगर कांग्रेस ऐसा करने में नाकाम होती है तो राजस्थान और छतीसगढ़ जैसे राज्यों में आने वाले समय में बीजेपी की जीत सुनिश्चित है।

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