कैसे चीनी मोबाइल ब्रांड्स भारतीय मोबाइल ब्रांड्स को खत्म कर रहे हैं और यूजर्स के Data को बेच रहें हैं

'चाइनीज मोबाइल मुक्त भारत' के लिए उठाया जाना चाहिए कदम!

चीनी मोबाइल ओप्पो

Source- Google

आपको याद होगा कि 2010 के शुरुआती दौर में माइक्रोमैक्स, कार्बन, लावा और इंटेक्स जैसे भारतीय मोबाइल कंपनियों ने भारतीय बाजार में अपना वर्चस्व कायम किया था। यह भी हो सकता है कि आपने इनमें से किसी एक भारतीय ब्रांड द्वारा निर्मित मोबाइल हैंडसेट का इस्तेमाल भी किया हो लेकिन अब स्थिति काफी बदल चुकी है। मौजूदा समय में भारतीय बाजार और ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर चाइनीज मोबाइल ब्रांड्स की बाढ़ आ गई है और ऐसे में भारतीय मोबाइल कंपनियां काफी पीछे छूट गई हैं। अधिकांश लोग कम कीमत और बेहतर फीचर के कारण चीनी मोबाइल फोन खरीदते हैं, यदि आप भी उनमें से एक हैं तो आपको भी अपने व्यक्तिगत डेटा को लेकर काफी सावधान रहने की आवश्यकता है। चीनी मोबाइल ब्रांड आपकी गोपनीयता के लिए एक बड़ा खतरा है।

और पढ़े- “मोबाइल बिक नहीं रहे तो चलो सूअर बेचते हैं”, बर्बाद होती Huawei ने खुद को बचाने का तरीका निकाला है

Bloatware के माध्यम से चुराता है डेटा

दरअसल, पिछले वर्ष गलवान में हुई झड़प के बाद भारत सरकार की ओर से चीन के 267 एप्लीकेशन पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसका उद्देश्य लोगों के निजी डेटा को सुरक्षित रखना था। हालांकि, लोगों के हाथों में पड़े चाइनीज हैंडसेट के माध्यम से चीन लोगों का डेटा चुराने का काम सबसे ज्यादा करता है। ‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी मोबाइल फोन Bloatware के माध्यम से लोगों का डेटा चुरा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार Bloatware को मोबाइल उपकरणों पर पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स की एक प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। Bloatware को हटाने पर फोन की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है, इसे हटाना काफी मुश्किल है और हटाने पर फोन की सुरक्षा के लिए गंभीर समस्या भी पैदा हो सकती है।

चीनी मोबाइल फोन कंपनियां अपने उपकरणों को कम दामों पर इसीलिए बेच पाती हैं क्योंकि वो मोबाइल फोन में पहले ही कई थर्ड पार्टी ऐप इंस्टॉल कर देती है और डिवाइस बेचने से उन्हें जितना लाभ नहीं होता उससे कहीं अधिक लाभ इन थर्ड पार्टी ऐप के जरिए मिल जाता है। चीनी कंपनियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला Bloatware, उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है और अधिकांश चीनी कंपनियां इसका उपयोग आज भी कर रही हैं, लेकिन इस पर कभी अधिक चर्चा नहीं हुई है। Bloatware के बल पर ये कंपनियां आम लोगों को सस्ता फोन दे पाती हैं और उनके डेटा को अन्य बड़ी कंपनियों को बेच पाती हैं। केवल OnePlus इस संदर्भ में अपवाद था लेकिन अब उसने भी Oppo के साथ मिलकर नए Os का निर्माण करना शुरू कर दिया है, जिसके बाद यह फोन भी लोगों की निजता के लिए चुनौती बन गया है।

चीनी मोबाइल फोन को कूड़े में फेंको

गौरतलब है कि 2015 की शुरुआत में भारतीय कंपनियों का मार्केट शेयर 43% था लेकिन 2018 में यह घटकर इकाई के आंकड़े तक आ गया। इसका कारण यही था की चीनी कंपनियों ने कम दामों में ही 4G तकनीक के साथ ड्यूल कैमरा, फिंगर प्रिंट सेंसर आदि सुविधाएं दे दीं और भारत के स्मार्टफोन सेक्टर पर कब्जा जमा लिया। जबकि भारतीय कंपनियां उतनी ही कीमत पर केवल 3G तकनीक उपलब्ध करा रही थीं और यह समझने में नाकामयाब थीं कि चीनी फोन इतने कम दाम पर इतनी बेहतर सुविधा कैसे दे पा रहे हैं? लेकिन चीनी मोबाइल कंपनियां लोगों की सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए खतरा बनते जा रही हैं।

हाल ही में लिथुआनिया की सरकार ने भी अपने लोगों को चेतावनी दी थी कि वे चीनी कंपनियों के फोन इस्तेमाल न करें। लिथुआनिया के रक्षा मंत्रालय के नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर ने अपनी जांच में यह पाया है कि Xiaomi और Huawei जैसे स्मार्टफोन 449 शब्दों को लेकर सेंसरशिप रखते हैं। इन शब्दों में फ्री तिब्बत, लांग लिव ताइवान इंडिपेंडेंस, डेमोक्रेसी मूवमेंट इन चाइना आदि शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि चीनी कंपनियों द्वारा बनाए जा रहे स्मार्टफोन से इन शब्दों  को इंटरनेट पर खोजते ही स्मार्टफोन ऑटोमेटिक रूप से सेंसरशिप लागू कर देता है।

रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि Xiaomi एनक्रिप्टेड डाटा को चोरी-छिपे सिंगापुर स्थित एक सर्वर में ट्रांसफर कर रही है। एजेंसी ने कहा है कि ‛यह न केवल लिथुआनिया के लिए बल्कि उन सभी देशों के लिए महत्वपूर्ण है जो Xiaomi उपकरण का उपयोग करते हैं।’ साथ ही रिपोर्ट में Huawei P40 मोबाइल फोन को लेकर यह बात कही गई है कि यह उपयोगकर्ताओं को साइबर ब्रीच से सुरक्षा प्रदान नहीं करता है, अर्थात इसकी साइबर सुरक्षा समुचित नहीं है।

और पढ़े- “अपना फोन कूड़े में फेंको”, लिथुआनिया ने अपने नागरिकों को चीनी फोन ना खरीदने की सलाह दी

रक्षा मंत्रालय और साइबर सिक्योरिटी एजेंसी की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि ‛Huawei का आधिकारिक एप्लीकेशन स्टोर मोबाइल फोन के उपयोगकर्ताओं को एक तीसरे पक्ष के स्टोर पर भेजता है जहां कई ऐसे एप्लीकेशन हैं, जिन्हें एन्टी वायरस प्रोग्राम खतरनाक मानता है (malicious or infected with viruses)।’ अर्थात, लिथुआनिया की सरकारी रिपोर्ट बताती है कि Huawei लोगों के डेटा को थर्ड पार्टी एप्प पर संग्रहण से सुरक्षा नहीं देती।

लिथुआनिया की सरकार द्वारा व्यक्त की गई चिंताएं और Bloatware की समस्या भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न है और सरकार को इसे संज्ञान में लेना चाहिए। सरकार द्वारा चीनी कंपनियों के विकल्प में भारतीय कंपनियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे यदि मोबाइल फोन को सस्ते में उपलब्ध कराने के लिए Bloatware जैसी तकनीक का उपयोग करना आवश्यक भी हो, तो भी भारतीयों का डेटा भारत में ही सुरक्षित रहे। सरकार द्वारा इसे लेकर उचित कदम उठाए जाने चाहिए और साथ ही भारत को ‘चाइनीज मोबाइल मुक्त’ करने के लिए भी तत्काल फैसले लेने चाहिए।

Exit mobile version