एक वक्त था जब कांग्रेस पार्टी का पूरे देश की राजनीति में सिक्का चलता था, नेहरू गांधी परिवार की विरासत अब ऐसी स्थिति में आ गई है कि पार्टी का भविष्य अंधकारमय है। पंजाब में जहां एक तरफ पार्टी बिखरी हुई है, तो दूसरी ओर केन्द्रीय नेता भी पार्टी पर हमला बोलने लगे हैं। कांग्रेस की इस स्थिति के चलते अन्य राजनीतिक दल भी कांग्रेस के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं, जो कभी कांग्रेस के सामने छोटे दिखते थे। इसका हालिया उदाहरण महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन साथी शिवसेना है, जिसने कहा है कि वो गोवा में भी चुनाव लड़ेगी। भाजपा कांग्रेस की लड़ाई में अन्य दलों का आना कांग्रेस के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर सकता है। शिवसेना ही नहीं एनसीपी की भी मांग है कि गोवा में कांग्रेस गठबंधन करे। ऐसे में ये दोनों ही पार्टियां कांग्रेस का खेल खराब कर सकती हैं, जिसमें मुख्य फायदा भाजपा का ही है।
शिवसेना का बड़ा ऐलान
महाराष्ट्र में भले ही शिवसेना एनसीपी औ कांग्रेस के महाविकास अघाड़ी के नेतृत्व में सरकार चल रही हो, किन्तु एक बड़ा सत्य ये भी है कि इन तीनों ही पार्टियों की विचारधारा के कारण आए दिन राज्य में पार्टी को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए उसके दोनों साथियों शिवसेना और एनसीपी ने मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने ऐलान किया है, कि शिवसेना गोवा विधानसभा की 40 में से 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, “शिवसेना 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हम गठबंधन नहीं चाहते हैं। हमारा संगठन काफी मजबूत है। अगर कोलकाता से तृणमूल कांग्रेस गोवा में चुनाव लड़ सकती है, तो महाराष्ट्र तो साथ में ही है, आपने देखा है कि हमने महाराष्ट्र में कितना अच्छा प्रदर्शन किया है।”
राउत ने ऐसे ऐलान किए हैं जो कि कांग्रेस के लिए राजनीतिक खतरा है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में शिवसेना ने जिस तरह का काम किया है, हम उसी तरह गोवा में भी काम करेंगे। शिवसेना और गोवा एक भावनात्मक बंधन साझा करते हैं।” संजय राउत ने एक महत्वपूर्ण बात ये भी कही है कि शिवसेना का गोवा में किसी भी राजनीतिक दल के साथ कोई गठबंधन नहीं होने वाला है। भले ही शिवसेना का गोवा में लेश मात्र भी राजनीतिक प्रभाव नहीं है। इसके बावजूद पार्टी का रवैया कांग्रेस के लिए राजनीतिक खतरा बन सकता है।
एनसीपी भी है रेस में
शिवसेना के अलावा कांग्रेस की पुरानी साथी एनसीपी भी गोवा में चुनाव लड़ने को आतुर है। इसको लेकर कांग्रेस और एनसीपी के बीच में लगातार जुबानी जंग जारी है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने गोवा में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। भले ही कांग्रेस के साथ एनसीपी का गठबंधन हो, किन्तु सर्वविदित है कि कांग्रेस का जनाधार कमजोर करने के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार सदैव सक्रिय रहते हैं। ऐसे में पार्टी अब गोवा में अपना जनाधार मजबूत करने के लिए प्रयासरत है, जिसके चलते ये माना जा रहा है कि गोवा में एनसीपी का यदि कांग्रेस से गठबंधन नहीं भी हुआ, तो भी पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का दांव खेल सकती है।
और पढ़ें- पंजाब में सुर्खियों में आने के साथ ही गोवा में कांग्रेस की धूम
कांग्रेस की बढ़ेगी मुसीबत
गोवा की राजनीति में मुख्य तौर पर जंग भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होती है, वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुश्किल परिस्थितियों में बहुमत किया था। इसके बाद कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा भी भाजपा में ही शामिल हो गया था। आज की स्थिति की बात करें तो राष्ट्रीय राजनीति की तरह गोवा में भी कांग्रेस सिकुड़ गई है, क्योंकि राज्य में पार्टी के नेता अब कांग्रेस से ज्यादा टीएमसी पर भरोसा कर रहे हैं, जिसके चलते कई नेताओ ने टीएमसी की सदस्यता भी हासिल कर ली है। वहीं, आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के वोट बैंक पर ही अपनी नजर डालकर बैठी है।
ऐसे में पहले ही कांग्रेस गोवा की राजनीति में पूर्णतः बिखरी पड़ी है, और अब इसी का फायदा उठाने की तैयारी शिवसेना और एनसीपी ने कर ली है। यदि कांग्रेस का एनसीपी के साथ गठबंधन होता है, तब भी पार्टी का जनाधार घटेगा, और नहीं किया तो पार्टी में बिखराव के साथ ही उसका वोट बैंक भी बंट सकता है। एनसीपी की भांति ही शिवसेना भी आक्रामक है, इन दोनों ही परिदृश्यों में सर्वाधिक नुकसान कांग्रेस का ही दिखाई दे रहा है, क्योंकि उसका जनाधार भी घटेगा और वोट बैंक भी।