इस चित्र को ध्यान से देखिए –
इस चित्र में यह वृद्ध व्यक्ति हाथ जोड़ते हुए ‘रामायण’ में सीता का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका चिखालिया से क्षमा माँगता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन क्या आपको आभास है कि यह व्यक्ति कौन है? यह वही अरविन्द त्रिवेदी हैं, जिनकी हुंकार से जनता त्राहि-त्राहि कर उठती है। यह वही अरविन्द त्रिवेदी हैं, जिन्होंने लंकाधिपति रावण के रूप अपने चित्रण को ऐसा जीवट बनाया कि लोग आज भी उनके टक्कर का कोई भी रावण का किरदार नहीं निभा सका है। ये ओजस्वी व्यक्तित्व हमारे बीच अब नहीं रहे, उनका 82 वर्ष की आयु में हृदयाघात से निधन हो गया।
ऑन स्क्रीन रावण और वास्तविक जीवन में रामभक्त अरविन्द त्रिवेदी
इंदौर में 8 नवंबर 1938 में जन्मे अरविन्द त्रिवेदी ने गुजराती सिनेमा से मनोरंजन की दुनिया में अपना करियर प्रारंभ किया था। वे एक चर्चित गुजराती अभिनेता थे, जिन्होंने 300 से अधिक गुजराती फिल्मों में काम किया था। ‘पराया धन’, ‘त्रिमूर्ति’, ‘हम तेरे आशिक हैं’ जैसे कुछ हिन्दी फिल्मों में भी उन्होंने अपने अभिनय की छाप छोड़ी थी, परंतु उन्हें एक चर्चित गुजराती अभिनेता के रूप में अधिक पहचान मिली।
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रावण के लिए पहली पसंद नहीं थे अरविन्द त्रिवेदी
रामानन्द सागर के विश्व विख्यात धारावाहिक ‘रामायण’ में अरविन्द त्रिवेदी ने रावण का किरदार निभाया था और इसके बाद वो घर-घर में एक चर्चित चेहरा बन गये। आपको जानकर हैरानी होगी कि वे इसके प्रथम विकल्प नहीं थे। क्या आपको पता है कि रावण के रूप में रामानन्द सागर की प्रथम पसंद प्रसिद्ध अभिनेता एवं बॉलीवुड के सबसे चर्चित खलनायकों का किरदार निभाने के लिए विख्यात अमरीश पुरी थे? परंतु उस समय उनकी कार्यशैली इतनी व्यस्त थी कि वे इसके लिए पर्याप्त समय ही नहीं निकाल पाए। अब ये अलग बात है कि युगो साको और राम मोहन ने रामायण का एनिमेटेड संस्करण 1992 में प्रदर्शित किया, जिसमें अरुण गोविल ने पुनः श्रीराम के चरित्र को जीवंत किया और अमरीश पुरी ने रावण के चरित्र में जान डाल दी थी।
कई मंदिरों में नहीं मिला था प्रवेश
अमरीश पुरी अपने व्यस्त शेड्यूल के कारण इस कार्यक्रम जब नहीं जुड़ पाए, तो रामानन्द सागर ने अरविन्द त्रिवेदी को चिन्हित किया। दरअसल, रामानन्द सागर ने विक्रम और बेताल नामक टीवी सीरीज़ में ही अरविन्द त्रिवेदी की प्रतिभा पहचानी थी, और बस रामानन्द सागर की ‘रामायण’ को उनका ‘लंकेश’ मिल चुका था। ‘लंकेश’ के रूप में अरविन्द त्रिवेदी ने अपने किरदार को जीवंत कर दिया, और ऐसा किया कि कई लोग उन्हें वास्तव में रावण के रूप में देखने लगे थे। उन्हें कई मंदिरों में केवल इसलिए प्रवेश नहीं मिला, क्योंकि उन्होंने अपने किरदार में ऐसी तत्परता दिखाई, कि लोग उनसे वास्तव में अपने आराध्य के लिए अपमानजनक शब्द सुनकर कुपित हो गए। उदाहरण के लिए हनुमानगढ़ी के पुजारी ने उन्हें इसलिए प्रवेश नहीं करने दिया, क्योंकि अरविन्द ने ‘लंकेश’ के किरदार में पवनपुत्र बजरंगबली को ‘वानर’, ‘मर्कट’ जैसे ‘अपमानजनक’ शब्द कहे थे।
असल जीवन में रामभक्त
बस इसी के पश्चात अरविन्द त्रिवेदी ने राम नाम जपा, और दिन रात रामभक्ति में लीन रहे। वे इतने धर्मनिष्ठ थे कि उन्होंने सीरियल के दौरान और उसके बाद अनेक बार देवी सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखालिया से अपने ‘ऑनस्क्रीन आचरण’ के लिए क्षमा भी मांगी, जिसकी पुष्टि स्वयं उन्होंने एक साक्षात्कार में की। उनके बंगले का नाम अन्नपूर्णा है जिसके मुख्य द्वार के दोनों स्तंभों पर राम राम लिखा है। इस बंगले की नेम प्लेट पर उन्होंने अरविन्द त्रिवेदी के साथ में ‘लंकेश’ भी लिखा रखा है। वास्तविक जीवन में वे काफी आध्यात्मिक है राम भक्त हैं। उन्होंने गुजरात के जिला साबरकांठा, गांव इदर के अपने घर में श्रीराम भगवान की 6 फिट की मूर्ती की स्थापना की है। यह मूर्ती उन्होंने जयपुर से बनवाई थी और संत मुरारी बापू ने साल 2001 में इस मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की थी।’आज के समय में ऐसे कर्तव्यनिष्ठ अभिनेता आपको शायद ही देखने को मिलेंगे।
आज केवल अरविन्द त्रिवेदी का स्वर्गवास नहीं हुआ, उनके साथ एक युग का अंत हुआ है। आज अरविन्द त्रिवेदी के निधन से ऐसे लोगों का भी निधन हुआ है, जो ऑन स्क्रीन चाहे जैसे किरदार निभाए हों, परंतु ऑफ स्क्रीन अपने आचरण को सदैव शुद्ध रखते थे। ऐसे अभिनेता अब विरले ही भारतीय फिल्म उद्योग में देखने को मिलते हैं।