कश्मीर में भारतीय सेना ने शुरू की “अंतिम लड़ाई” की तैयारी, अब होगा आतंक का समूल नाश

मस्जिदों से करवाया ऐलान, महिलाओं की भी हुई तलाशी.....

भारतीय सेना आतंकवादियों के खिलाफ

“तू डाल-डाल मैं पात-पात” के तर्ज पर जम्मू कश्मीर में होती रही आतंकी गतिविधियों पर कार्यवाहियों का वक्त लद गया है। अब वह वक़्त आ गया कि मस्जिद, ओवर ग्राउंड वर्कर्स के घरों में कार्यवाही होगी। एक लंबे समय से नागरिक, आतंकी के तालमेल के चलते भारतीय पक्ष को मजबूरियों का सामना करना पड़ता था लेकिन अब आतंकियों के पूर्ण सफाए हेतु भारतीय सेना वृहद स्तर पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए तैयार है और इस बार जंगल, घर और महिलाएं भी इस प्रक्रिया में भागीदार होंगी।

इस कार्यवाही के लिए भारतीय सेना द्वारा आमजनों को लाउडस्पीकर से चेतावनी दी गई है कि वह घरों से बाहर ना निकलें। भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा कि भट्टा दुरियन और आसपास के इलाकों में स्थानीय मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को सतर्क किया गया है। सुरक्षा बल पुंछ जिले के मेंढर के वन क्षेत्र में छिपे हुए आतंकवादियों के खिलाफ अंतिम हमले की तैयारी कर रहे हैं।

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कश्मीर में 90 के दशक का माहौल वापस बन गया है। आमजनों को मार दिया जा रहा है। गैर स्थानीय, गैर कश्मीरी लोगों को मारकर वैसा ही माहौल बन रहा है, जैसा 90 के दशक में बना था और जिसकी वजह से कश्मीरी पंडितों को पलायन करने की नौबत आ गई थी। अब तक कुल 28 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। यह हमला सिर्फ भारतीय आमजनों पर नहीं हो रहा है। फौज भी इस हमलें का शिकार हो रही है।

11 अक्टूबर से पुंछ जिले के जंगलों में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में दो जूनियर कमीशंड अधिकारियों (JCO) सहित नौ सैनिक शहीद हुए हैं और यह पिछले 17 वर्षों में इस क्षेत्र में सबसे घातक मुठभेड़ है और जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद यह सबसे लंबी मुठभेड़ है।

इस बार विवशता का कारण राजनीतिक नहीं रणनीतिक है। भारतीय फौज पहली बार हाइब्रिड आतंकियों से निपट रही है। यह वह आतंकी है जो दिन में लोगों की हत्या करते है और रात में आम नागरिक बन जाते हैं। अब इन सारी समस्याओं का हल एक बार “आखिरी कार्यवाही” है जो कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्रों में की जाएगी और अब आतंकियों की खैर नही है!

मस्जिदों से हुआ एलान, मत निकलिये ए धनवान-

भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के जम्मू के दो दिवसीय दौरे के समाप्त होने और दिल्ली लौटने के कुछ ही घंटों बाद, भारतीय सेना के जवानों ने मंगलवार शाम से ही भाटा दुरियां के जंगलों के अंदर छिपे संदिग्ध आतंकवादियों पर अंतिम हमले की तैयारी शुरू कर दी गई है। पुंछ जिले के मेंढर तहसील का क्षेत्र इस योजना के केंद्र में है।

भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों से अपील की है कि वे अपने घरों में लौट जाएँ और आतंकवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान नागरिकों किसी भी तरह की क्षति से बचाने के लिए घरों में ही रहें।

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ग्रामीणों के अनुसार, घोषणाओं में कहा गया है कि, “सभी लोग जो अपने घरों से बाहर हैं, घास काट रहे हैं या मक्का की फसल काट रहे हैं, उनसे अपील की जाती है कि वे अपने बच्चों और मवेशियों के साथ तुरंत अपने घरों को लौट आएं।”

ग्रामीणों ने कहा कि मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से की गई अपील में कहा गया है कि वे जो भी काम कर रहे हैं उसे छोड़ दें और अपने बच्चों और मवेशियों के साथ तुरंत अपने घरों को लौट जाएं।

लाल चौक पर भी भारी तलाशी-

जहां एक ओर पूंछ में सेना पर हमले के विरोध में कार्यवाही चल रही है वहीं दूसरी ओर भारत के आमजनों की हत्या के मद्देनजर श्रीनगर में अलग स्तर पर कार्यवाही चल रही है। शहर के लाल चौक इलाके में  CRPF की महिला कांस्टेबलों द्वारा महिलाओं की तलाशी ली गई, जो कश्मीर में नागरिकों की हत्याओं के मद्देनजर पिछले 30 वर्षों में अपनी तरह का पहला अभ्यास है।

सीआरपीएफ की महिलाओं ने सिटी सेंटर लाल चौक से गुजरने वाली महिलाओं के बैग की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी हैं। PTI के अनुसार, कश्मीर में महिलाओं की तलाशी पहले नहीं की गई है और पिछले कुछ दिनों में गैर-स्थानीय मजदूरों को निशाना बनाने वाली कई अमानवीय हत्याओं के बाद यह काम किया जा रहा है।

हालांकि, इस प्रक्रिया पर कोई प्रतिरोध नहीं हुआ है लेकिन कुछ महिलाओं ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह अभ्यास सार्वजनिक चकाचौंध से दूर किया जा सकता था।

सौरा की एक महिला फरीदा ने कहा, “महिलाएं कई चीजें ले जाती हैं जिन्हें वे निजी रखती हैं। सीआरपीएफ की महिलाओं को एक अस्थायी कक्ष खड़ा करना चाहिए था ताकि गोपनीयता बनी रहे।”

भारतीय सेना द्वारा इस प्रकार की कार्यवाहियों से स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है। जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की आएगी तब कोई भी व्यक्ति हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। पुराने तरीकों से आतंकवादियों का शिकार करने के ऑपरेशन को अब तक बहुत कम सफलता मिली है और इसीलिए रवैये में बदलाव लाकर भारतीय सेना ने जंगल के इलाकों को रोशन करने के लिए, साथ ही पैरा कमांडो, ड्रोन और एक हेलीकॉप्टर के लिए रोशनी वाले बम तैनात किए हैं। पुलिस और भारतीय सेना ने इलाके की घेराबंदी कर दी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आतंकवादी भाग न जाएं।

ऐसे फ़ैसलों से तीन पक्षों का निराश होना बनता है, एक पाकिस्तानी ISI, दूसरा टुकड़े-टुकड़े गैंग और तीसरे वह जिनकी रोजी-रोटी आतंकवाद के सहारे चलती थी लेकिन अब बस, छोटे-छोटे कई घाव वाली पाकिस्तान की रणनीति को लात मारकर बाहर करने की तैयारी हो चुकी है जिसका स्वागत हम सबको करना चाहिए।

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