इंडिगो के पक्ष में सब कुछ है, बस अपना स्वामित्व का झगड़ा सुलझाले तो बल्ले-बल्ले हो जाये

राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच का मामला अब अदालत में फंस चुका है

राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया

इंडिगो के दोनों अरबपतियों राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच की लड़ाई बहुत पुरानी है। यह लड़ाई दो सहयोगियों के बीच कंपनी पर वर्चस्व और अधिकार की लड़ाई है। दोनों एक दूसरे से सोशल मीडिया, कंपनी की वार्षिक सम्मेलन से लेकर मध्यस्तता न्यायालयों तक में भीड़ चुके है। लेकिन अब ये मामला कोर्ट में फंस चुका है।

इंडिगो के दो प्रमोटर राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच कानूनी लड़ाई 8 जुलाई, 2019 को शुरू हुई, जब गंगवाल ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, प्रधान मंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की। कॉर्पोरेट प्रशासन के मुद्दे, तृतीय पक्ष लेनदेन और एयरलाइन पर राहुल भाटिया समूह का नियंत्रण विवाद का मुख्य कारण था।

जून 2021 तक गंगवाल समूह की 36.63 प्रतिशत हिस्सेदारी थी और राहुल भाटिया की lnter Globe Enterprises Private Ltd की इंडिगो में 38.2 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।

राकेश गंगवाल ने एयरलाइन पर IGE ग्रुप के अधिकारों को हटाने के लिए कंपनी के एसोसिएशन के अनुच्छेद में संशोधन की मांग की थी। उन्होंने तीसरे पक्ष के लेनदेन, वर्तमान अध्यक्ष की गैर-स्वतंत्रता और असाधारण आम बैठक आयोजित करने से इनकार करने के मुद्दों को भी उठाया था। जवाब में, IGE समूह ने कहा था कि IGE और एयरलाइन के बीच संदिग्ध तृतीय-पक्ष लेनदेन के संबंध में कोई सबूत नहीं है।

गंगवाल को 31 अगस्त, 2021 को इंडिगो के निदेशक के रूप में फिर नियुक्त किया गया था। हालांकि, लगभग एक-तिहाई सार्वजनिक संस्थागत निवेशकों ने पुनर्नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि प्रमोटर, गैर-संस्थागत निवेशकों और अन्य संस्थागत निवेशकों ने नियुक्ति के विपक्ष में मतदान किया था।

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इंडिगो की बीएसई फाइलिंग के अनुसार आईजीई समूह ने 1 अक्टूबर, 2019 को लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में शेयरधारकों के समझौते के तहत 23 अप्रैल, 2015 के तहत मध्यस्थता के लिए एक अनुरोध भेजा था। IGE समूह ने RG समूह के खिलाफ कुछ राहत अर्थात “arbitrational award” की मांग की थी, जिसमें शेयरधारकों के समझौते का अनुपालन, कंपनी के एसोसिएशन के लेख और हर्जाना शामिल था।

23 सितंबर को लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ने राकेश गंगवाल के खिलाफ राहुल भाटिया द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में अंतिम फैसला गंगवाल के पक्ष में सुनाया। 24 सितंबर को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में एक फाइलिंग में इंडिगो ने कहा था कि कंपनी को कोई निर्देश नहीं दिया गया है। हालांकि, आरजी ग्रुप और इंडिगो की मूल कंपनी आईजीई ग्रुप दोनों को एक-दूसरे के खिलाफ राहत की मांग के संबंध में निर्देश जारी किए गए थे।

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इंडिगो ने कहा कि यह पुरस्कार आईजीई समूह द्वारा मध्यस्थता के संबंध में कंपनी द्वारा किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति का भी निर्देश देता है। हालांकि, राकेश गंगवाल ने समय सीमा से पहले उच्च न्यायालय का रुख किया और 90 दिन की अवधि से पहले आदेशों को लागू करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मध्यस्थता को लागू करने की मांग वाली याचिका को अनुमति देने से इनकार कर दिया जिसे लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन द्वारा प्रदान किया गया था। अदालत ने कहा कि राकेश गंगवाल द्वारा मांगे गए निर्देश प्रवर्तन के समान हैं और इस स्तर पर इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। अदालत ने गंगवाल को 25,000 डॉलर के हर्जाने का भुगतान करने को कहा। इस बीच, इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (आईजीई) के सह-प्रवर्तक राहुल भाटिया के वकील ने कहा कि इंडिगो मध्यस्थ पुरस्कार को चुनौती देगी।

इंडिगो भारत की एक प्रतिष्ठित कंपनी है। मोदी सरकार के प्रयासों से उड्डयन क्षेत्र में आपार संभावनाओं का सृजन हो रहा है। टाटा, झुंझुंवाला, गोयल के निवेशों से भारतीय विमानाक्षेत्र के दिन बहुरने के पूर्ण आसार है। अपनी उत्कृष्ट सेवा और बजट किराया के कारण सबसे सफल घरेलू विमानन कंपनी इंडिगो से उम्मीद है कि वो इस अभियान का नेतृत्व करेगी। लेकिन इस प्रकार का अंतर्कलह वर्चस्व की जंग को और गहरा कर इंडिगो के अवसर को ध्वस्त कर देगा। इससे भारतीय हितों को भी हानी होगी। सरकार और इंडिगो प्रबंधन को मिलकर मामले को संभालना चाहिए इससे पहले की देर हो जाए।

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