कश्मीर में इंटरनेट बैन पर छाती पीटने लगते हैं, ​लेकिन राजस्थान में इंटरनेट बैन हो तो मौन व्रत साध लेते हैं वामपंथी

गिरगिट की तरह बदलता है वामपंथियों का रंग!

राजस्थान इंटरनेट

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राजस्थान सरकार ने राज्य के कई जिलों में राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं प्रतियोगी (प्रारंभिक) परीक्षा 2021 (RPSC RAS Exam 2021) में नकल पर नियंत्रण के उद्देश्य से इंटरनेट सेवा बाधित रखने का निर्णय किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को ‘नेटबंदी’ है। जयपुर, भरतपुर, धौलपुर, सवाईं माधोपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, करौली, हनुमानगढ़ और नागौर आदि शहरों में इंटरनेट सेवा रोक दी गई है। दरअसल, पिछले दिनों राजस्थान में REET का पेपर लीक होने के कारण काफी हंगामा मचा हुआ था। उसके बाद पुलिस ने व्यापक अभियान के जरिए प्रतियोगी परीक्षाओं में सक्रिय नकल माफिया गिरोह का भंडाफोड़ कर कई लोगों को गिरफ्तार किया था। इस बार परीक्षा के पूर्व ही आदेश जारी करके ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जिससे नकल पर रोक लगाई जा सके।

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आजतक की रिपोर्ट के अनुसार जयपुर में 2G/3G/4G मोबाइल इंटरनेट, इंटरनेट सर्विस, बल्क में भेजे जाने वाले SMS/MMS, वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया सर्विस सुबह 9 बजे से दोपहर 1 तक बंद रहेंगे। अजमेर, भीलवाड़ा और नागौर जिले में इंटरनेट सेवा सुबह 6 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक ठप रहेगी। वहीं, भरतपुर, धोलपुर, करौली और सवाईं माधोपुर जिलों में इंटरनेट सेवा सुबह 8 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक बंद रहेगा।

कांग्रेस सरकार की नाकामी को प्रदर्शित करता है यह फैसला

इसे एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है कि सरकार नकल माफियाओं को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठा रही है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि राज्य में नकल माफिया इतने एक्टिव कैसे हो गए? यह सीधे तौर पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार की नाकामी को प्रदर्शित करता है। राजस्थान में नकल माफिया इतने ज्यादा एक्टिव हो गए हैं कि उन्हें नियंत्रित करने के लिए सरकार को इतने सख्त कदम उठाने पड़ रहे हैं, जिससे आम लोगों को भी असुविधा हो रही है। गहलोत सरकार का यह कदम राज्य की कानून व्यवस्था की पोल खोलते दिख रहा है।

एक ऐसे समय में जब शिक्षा से लेकर आपसी लेनदेन तक, सभी चीजें ऑनलाइन माध्यम से हो रही है, ऐसे में राजस्थान के कई हिस्सों में इंटरनेट पर रोक लगने के कारण आम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, ब्रॉडबैंड सर्विस पर रोक नहीं है, लेकिन घर से ऑनलाइन क्लास ले रहे बच्चों, दुकानदारों समेत काफी लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

इसे कांग्रेस का दोहरा चरित्र कहा जा सकता है, क्योंकि अपने द्वारा शासित राज्य में नकल माफिया जैसी छोटी समस्या से जूझने के लिए राज्य सरकार को इंटरनेट बैन करना पड़ रहा है। यही कांग्रेस पार्टी कश्मीर में आतंकवाद जैसी गंभीर समस्या को नियंत्रित करने के लिए होने वाले इंटरनेट प्रतिबंधों का विरोध करती है। इनके लिए राजस्थान में इंटरनेट पर प्रतिबंध लोकतंत्र को मजबूत करता है और कश्मीर में प्रतिबंध लोकतंत्र का गला घोटता है!

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मेनस्ट्रीम मीडिया की चुप्पी

बताते चलें कि CAA विरोधी आंदोलन के दौरान जब पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में हिंसा शुरू हो गई थी, तो केंद्र सरकार को अफवाहों पर नियंत्रण के लिए इंटरनेट पर रोक लगानी पड़ी थी। सरकार के इस निर्णय की आलोचना राजस्थान के मुख्यमंत्री ने भी की थी और अब वही अशोक गहलोत नकल माफिया पर नकेल कसने के लिए इंटरनेट प्रतिबंध का कदम उठा रहे हैं। कांग्रेस तो फिर भी राजनीतिक दल है लेकिन भारत की कथित मेनस्ट्रीम मीडिया भी राजस्थान के इंटरनेट प्रतिबंध मसले पर चुप है, लेकिन यही मीडिया कश्मीर के मामले में विपक्षी प्रोपेगेंडा को जोर शोर से आगे बढ़ाती है।

वहीं, दूसरी ओर देश के तमाम टीवी चैनल और पोर्टल्स को गोदी मीडिया कह कर संबोधित करने वाले रवीश कुमार जैसे पत्रकार राजस्थान समेत गैर-बीजेपी राज्यों में होने वाले बलात्कारों, दलित उत्पीड़न की घटनाओं, दंगों सहित सभी घटनाओं पर मौन रहते हैं, तो इंटरनेट पर क्या ही बोलेंगे! राजस्थान मसले पर वामपंथियों और कट्टरपंथियों के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा, जबकि देश तोड़ने और नैरेटिव सेट कर लोगों को बरगलाने में यह सबसे आगे रहते हैं।

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