देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में एडमिशन हासिल करना, छात्रों के लिए किसी जंग लड़ने से कम नहीं रह गया है। इसकी वजह ये है कि DU के अधिकतर कॉलेजों में दाखिले के लिए कट-ऑफ लिस्ट शत्-प्रतिशत अंकों तक पहुंच गई है। इन प्रतिष्ठित कॉलेजों में रामजस से लेकर हंसराज, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स तक शामिल हैं। देश के विभिन्न क्षेत्र से आए छात्रों के लिए यहां एडमिशन पाना इसलिए भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि इन कॉलेजों में केरला के छात्रों का वर्चस्व बढ़ रहा है। इसका एक मात्र कारण वहाँ की राजकीय बोर्ड द्वारा छात्रों को शत्-प्रतिशत अंक देना है। ऐसे में उन छात्रों के लिए परेशानियां खड़ी हो गई हैं, जो कि केरला के अलावा किसी अन्य राज्य से हैं। इस तरह से अन्य राज्यों के लिए खड़ी हो रही परेशानियों को देखते हुए यह आवश्यक है कि देश के अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की तरह ही DU में भी प्रवेश परीक्षा से दाखिले का प्रावधान किया जाए।
एडमिशन में विषमता
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों ने अलग-अलग कोर्सेज़ के लिए एडमिशन देना शुरु कर दिया है। ऐसे में एक बार फिर छात्रों के लिए कट-ऑफ मुसीबतों का सबब बनाता दिख रहा है। इसको लेकर इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि कैसे दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग-अलग कॉलेजों में एक ही इलाके के छात्रों का आसानी से हो रहा एडमिशन, अन्य राज्यों के छात्रों के लिए संकट खड़ा कर रहा है। रिपोर्ट बताती है कि रामजम कॉलेज से लेकर श्रीराम कॉलेज और हंसराज कॉलेजों में सर्वाधिक केरला के छात्रों ने आवेदन किया है, जिन्हें शत्-प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे। ऐसे में विश्वविद्यालयों का कट-ऑफ 100 अंक तक चला गया है।
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खबरों के मुताबिक हिन्दू कॉलेज की राजनीति शास्त्र की 120 सीटों में 20 सीटें ही सामान्य छात्रों के लिए हैं। ऐसे में कुल में से 2 को छोड़ दें तो अन्य सभी सीटों पर केरला के छात्रों का एडमिशन हुआ है। इसके साथ ही इस कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लिए दाखिले बंद हो गए हैं। इसी तरह हंसराज कॉलेज मे 100 प्रतिशत कटऑफ की स्थिति है। यहां कंप्यूटर साइंस को लेकर स्थिति बदतर है। यहां 13 आवेदनों को प्रधानअध्यापक द्वारा स्वीकृति किया गया है, जबकि अन्य करीब 50 सेल अधिक आवेदन अभी लंबित हैं। वहीं यहां के ही एक अध्यपाक ने बताया है कि जिन भी छात्रों का चयन हुआ हैं, वो सभी केरला से ही थे।
केरला के छात्रों की अधिकता
रामजस कॉलेज के एक प्रोफेसर ने बताया है कि कैसे बीकॉम जैसे कोर्सेज के लिए भी कट-ऑफ 99 प्रतिशत से अधिक का जा रहा है। इतना ही नहीं आवेदन करने वाले छात्रों में सर्वाधिक संख्या केरला के छात्रों की है। कुछ ऐसा ही हाल श्रीराम कॉलेज से लेकर हंसराज कॉलेज का भी है। जहां सीटों के अनुपात से अधिक आवेदन तो आ ही रहे हैं, साथ ही केरला के छात्रों के शत प्रतिशत अंक, कट ऑफ के इस खेल में अन्य राज्यों के छात्रों का सपने भी तोड़ रहे हैं।
इसको लेकर किरोड़ीमल कॉलेज के प्रोफेसर राकेश पांडे ने ‘मार्क्स जिहाद’ नामक टर्म का प्रयोग करते हुए एक साजिश का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि केरला बोर्ड द्वारा एक साजिश के तहत ही छात्रों को शत प्रतिशत मार्क्स दिए गए हैं।
हालांकि इस पर अब कांग्रेस नेता शशि थरूर भड़क गए हैं। उन्होंने कहा, “अगर जिहाद का मतलब संघर्ष करना है तो डीयू में आने के लिए केरला को छात्र-छात्राओं ने 100 प्रतिशत स्कोर करने के लिए संघर्ष किया है, इसलिए पहले उनका इंटरव्यू करो; लेकिन कमतर मत समझो। एंटी केरलाा बायस को खत्म करो। DU के प्रोफेसर की ‘मार्क्स जिहाद’ वाली टिप्पणी से नाराज़ NSUI किरोड़ीमल कॉलेज के सामने विरोध प्रदर्शन करेगा।”
केरला बोर्ड की ढुलमुल नीति
इस पूरी विपत्ति की मुख्य जड़ केरला में दिल खोलकर मिलने वाले अंक हैं। केरला बोर्ड के मूल्यांकन को सवाल खड़े होते रहे हैं। ये माना जाता है कि केरला में छात्रों को शत प्रतिशत अंक दिए गए, अर्थात बोर्ड द्वारा छात्रों का मूल्यांकन एक ढुलमुल तरीके से किया गया। इसके विपरीत देश में कई ऐसे बोर्ड हैं जो कि छात्रों के मूल्यांकन में सर्वाधिक सख्ती बरतते हैं। इसका नतीजा ये हैं कि वहां के छात्र बड़ी ही मुश्किल से 80 से 85 प्रतिशत के आंकड़ों तक पहुंच पाते हैं। इसके विपरीत ये कहने में तनिक भी गुरेज नहीं होना चाहिए कि इन 80 से 85 प्रतिशत वाले छात्रों के पास 100 प्रतिशत लाने वाले छात्रों कम प्रतिभाशाली नहीं होते हैं।
भले ही अन्य बोर्ड के छात्रों के पास कितनी भी प्रतिभा हो किन्तु यदि ढुलमुल नीति के कारण पहले ही कॉलेजों मे दाखिले का कट ऑफ शत प्रतिशत की ओर चला जाएगा, तो 80-85 प्रतिशत वाले छात्रों के लिए किसी भी विश्वविद्यालय में दाखिला पाना असंभव हो जाएगा। ऐसे में आवश्यक हैं कि जिस तरह NEET से लेकर आईआईटी, BHU आदि में दाखिला प्रवेश परीक्षा के जरिए होता है, वैसी ही प्रवेश परीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के लिए भी होनी चाहिए, जिससे प्रत्येक प्रतिभावान छात्र को बड़े कॉलेजों में एडमिशन के लिए समान अवसर मिलेंगे।