भारत में जल्द होंगे 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क, थैंक्स टू पीयूष गोयल

अब जल्द ही "ग्लोबल एक्सपोर्ट हब" बन जाएगा भारत

टेक्सटाइल पार्क

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भारत कपड़ा उद्योग में दुनिया का छठा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। मोदी सरकार इस क्षेत्र को और ज्यादा बेहतर बनाने की ओर कदम बढ़ा चुकी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में पांच वर्षों में कुल 4,445 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 7 पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (PM-MITRA) पार्क स्थापित करने को मंजूरी दी है। अब एक स्थान पर ही कताई, बुनाई, प्रसंस्करण/रंगाई और छपाई से लेकर परिधान निर्माण आदि काम हो सकेंगे। टेक्सटाइल पार्क के जरिये सरकार का उद्देश्य इस सेक्टर की एक्सपोर्ट रैंकिंग सुधारना है।

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10 राज्य दिखा चुके हैं रुचि

मोदी सरकार की ओर से 2021-22 के बजट में टेक्सटाइल पार्क बनाने की घोषणा की गई थी, अब सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। यह पार्क विभिन्न इच्छुक राज्यों के ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड स्थलों पर स्थापित किए जाएंगे। कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “10 राज्यों ने पहले ही पार्क स्थापित करने में रुचि दिखाई है। यह राज्य तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, मध्य प्रदेश और तेलंगाना हैं। पार्क के लिए स्थलों का चयन सरकार द्वारा तय मानदंडों के आधार पर “चैलेंज मेथड” द्वारा किया जाएगा।“

पीयूष गोयल ने कहा कि टेक्सटाइल पार्क से 7 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार और 14 लाख के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सरकार की ओर से सामान्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ग्रीनफील्ड पार्कों को 500 करोड़ रुपये और ब्राउनफील्ड क्षेत्र के पॉर्कों वाले को अधिकतम 200 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। यह पीएम मोदी के “5F विजन- फार्म टू फाइबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन” से प्रेरित कदम है।

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क्यों जरूरी हैं टेक्सटाइल पार्क?

मोदी सरकार का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में वस्त्रों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला देश के विभिन्न भागों में बिखरी और बंटी हुई है। कपास गुजरात और महाराष्ट्र में उगाया जाता है, उसकी कताई तमिलनाडु में होती है और प्रसंस्करण राजस्थान और गुजरात में होता है। इसके अलावा एनसीआर, बैंगलोर और कोलकाता संचयन और संग्रहण के लिए महत्वपूर्ण हैं जबकि निर्यात मुंबई और कांडला से किया जाता है।

अब सरकार के इस कदम से एक स्थान पर एकीकृत वस्त्र मूल्य श्रृंखला उद्योग की रसद और लागत भी कम होगी। श्रमिकों के लिए कौशल विकास पहल और अन्य कल्याणकारी उपाय प्रदान करना भी इसके प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। राज्य सरकार अगर चाहे तो भविष्य में PM-MITRA पार्क का विस्तार करके क्षेत्र में कपड़ा उद्योग को बढ़ावा दे सकते हैं।

बताते चलें कि दशकों पहले कपड़ा उद्योग भारत का एक वृहद और विस्तृत आर्थिक स्तम्भ था, भारतीय कपड़ों की पहचान विदेशों तक थी, परंतु समय के साथ-साथ इस उद्योग में गिरावट आंकी गई। अब मोदी सरकार की यह परियोजना इस उद्योग के लिए अमृत के समान काम करेगी। यह परियोजना हमारे बुनकरों और व्यवसायियों को अंतर्राष्ट्रीय मंच भी प्रदान करेगा। सरकार का यह कदम सराहनीय है।

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