जम्मू-कश्मीर में लगातार बढ़ रही आतंकी गतिविधियों और नए तौर तरीकों से हो रहे आतंकी हमलों से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने अपनी कार्यव्यवस्था में बदलाव किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जम्मू-कश्मीर पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर आतंकवादी अभियानों में शामिल “ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) के नेटवर्क को तोड़ने” के लिए एक ऑपरेशन शुरू किया है।
सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के मुताबिक पिछले दो हफ्तों में कश्मीर में हुए नागरिकों की हत्याओं के सिलसिले में रणनीति तैयार की गई है, जिसके तहत सुरक्षा एजेंसियों को केंद्र शासित प्रदेश में 1,000 से अधिक OGWs और नए शामिल किए गए उग्रवादियों की पहचान करने में सफलता मिली है। ये वैसे आतंकी हैं जो आम नागरिकों पर हमला करते हैं और फिर स्थानीय नागरिकों के बीच गुम हो जाते हैं। खबरों के मुताबिक अभी तक 800 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि 9 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है।
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एक्शन में मोदी सरकार
अक्टूबर के पहले सप्ताह में घाटी में एकाएक बढ़े हिन्दुओं की हत्या जम्मू-कश्मीर के 90 के दशक की याद दिलाती हैं, जब चरमपंथी उग्रवादियों ने हजारों कश्मीरी पंडितों को घाटी से भागने पर मजबूर कर दिया था। अब पीएम मोदी की सरकार में स्थिति में कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है। घाटी में हाल में बढ़ी घटनाओं के बाद सरकार पूरी एक्शन में दिख रही है। खबरों की मानें तो मोदी सरकार संस्थागत तरीके से स्थानीय आतंकियों के ताबूत में आखिरी कील ठोकने की तैयारी कर रही है।
द प्रिंट के मुताबिक, अक्टूबर के पहले सप्ताह में सात नागरिकों की हत्याओं के बाद, “इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई और यह निर्णय लिया गया कि OGW के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया जाना चाहिए।”
बताया जा रहा है कि हिरासत में लिए गए लोग कट्टरपंथी हैं और विभिन्न आतंकवादी समूहों में शामिल हैं और वो सभी आधारभूत कार्य करते हैं। साथ ही ये लोग आतंकियों को छिपाने के लिए जगह, पैसा और अन्य चीजों सहित सभी रसद सहायता प्रदान करते हैं। OGW आधार हैं जिस पर आतंकवाद पनपता है और इससे निपटने की जरूरत है। उनके नेटवर्क को तोड़ने के लिए सुरक्षा एजेंसियां अपने काम पर लग गई हैं।
गहरी संलिप्तता वाले होंगे गिरफ्तार
बीते रविवार को कश्मीर में बिहार के दो मजदूरों की मौत हो गई और आतंकवादियों की गोलीबारी में एक व्यक्ति घायल हो गया। शुक्रवार को भी दो लोगों की हत्या हुई थी, जिनमें कश्मीर में गोलगप्पे बेचने वाले बिहार के अरविंद कुमार शाह मारे गए थे और उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई सगीर अहमद को आतंकवादियों ने पुलवामा में गोली मार दी थी। लगातार बढ़ रही हत्याओं और कश्मीर में फिर से पनप रही आतंकी गतिविधियों को लेकर सरकार एक्शन में आई और अब अज्ञात लोगों के खिलाफ एक संगठित अपराध का मामला दर्ज करते हुए कार्यवाही शुरू की गई है।
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द प्रिंट के मुताबिक सरकार के पास उपलब्ध इनपुट की मदद से OGW की एक सूची बनाई गई और 1,000 लोगों की पहचान की गई, जिनमें से 800 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। हिरासत में लिए गए 800 लोगों में से आतंकवादी गतिविधि में “गहरी संलिप्तता” वाले लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा और NIA द्वारा उनकी जांच की जाएगी। अन्य संदिग्ध लोगों की “कम भागीदारी” वाले मामलें जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जांच किए जाएंगे और उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जाएगा। वहीं, संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड वाले लोगों की गैर संलिप्तता होने पर उन्हें छोड़ दिया जाएगा और उनकी “निगरानी” की जाएगी।
टूट गई है आतंकियों की कमर
सरकार की मानें तो आतंकियों द्वारा की गई ये हत्याएं लोगों को हताश करने के लिए थी, क्योंकि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के निरंतर और प्रभावी प्रयासों के कारण पिछले कुछ महीनों में कश्मीर में आतंकी संगठनों के काफी आतंकी मारे गए हैं और विशेष रूप से उनके नेतृत्व और उनके समर्थन ढांचे को नष्ट किया गया है। द प्रिंट के अनुसार, “सीमा पार के हैंडलर निराश हो गए हैं और उन्होंने अपनी रणनीति बदल दी है और निहत्थे पुलिसकर्मियों, निर्दोष नागरिकों, राजनेताओं और अब महिला सहित अल्पसंख्यक समुदायों के निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।”
FIR के मुताबिक NIA को “विश्वसनीय जानकारी” प्राप्त हुई कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, अल-बद्र और अन्य प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगी पूरे जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं और पाकिस्तान से उन्हें संचालित किया जा रहा हैं।“ प्राथमिकी में कहा गया है कि “वे शारीरिक और साइबर स्पेस दोनों में साजिश कर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर और नई दिल्ली सहित भारत के प्रमुख शहरों में हिंसक आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं।”
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, इस साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक आतंकवादियों ने कुल 28 नागरिकों की हत्या कर दी, जिसमें स्थानीय हिंदू/सिख समुदाय के पांच लोग थे। सरकार द्वारा ऐसे षडयंत्र रचने वालों को चुन-चुन कर बाहर निकाला जा रहा है और उनके खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। सरकार की इन कोशिशों को देख ऐसा लग रहा है कि आने वाले कुछ ही महीनों में जम्मू-कश्मीर का कायाकल्प बदलने वाला है।
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