कामधेनु दीपावली योजना : जल्द ही शरद ऋतु भारत में दस्तक देने वाली है, जिसके साथ ही नवरात्रि, विजयदशमी और दीपावली जैसे पावन उत्सव भी निकट आ जाएंगे। इसी दिशा में मोदी सरकार अब कुछ ऐसे कदम उठाने जा रही है, जो न केवल इस वर्ष के त्योहारों, विशेषकर दीपावली को और भव्य बनाएगी, बल्कि इन्हीं त्योहारों को अपना मंच बनाते हुए चीनी आयातों पर करारा प्रहार भी करेंगी।
क्या है कामधेनु योजना?
दरअसल, केंद्र सरकार ने दीपावली पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के स्वप्न को साकार करने हेतु ‘कामधेनु योजना’ को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना प्रारंभ किया है। परंतु ये है क्या? इससे क्या लाभ होगा और यह चीन के आयातों के लिए कैसे दीपावली के परिप्रेक्ष्य में हानिकारक होगा?
असल में ‘कामधेनु दीपावली योजना’ के अंतर्गत गाय के ‘पंचगाव्य’ यानि गाय से मिलने वाले पाँच उत्पाद – दुग्ध, दही, घृत यानि घी, गोबर एवं गौमूत्र के ज़रिए दीपावली पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बढ़ावा देने की योजना है। इसके ज़रिए एक विशाल प्रोडक्ट रेंज का उद्घाटन किया जाएगा, जिससे न केवल भारतीयता एवं उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा, अपितु चीनी आयातों पर भी करारी चोट पहुंचेगी।
इसकी पुष्टि टीवी9 भारतवर्ष ने भी की है, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में इस योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया, “कामधेनु दीपावली, देशी गाय को दूध, दही, घी के साथ-साथ गौमूत्र तथा गोबर के माध्यम से भी आर्थिक रूप से उपयोगी बनाने का अभियान है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंचगव्य से 300 से अधिक गौ उत्पादों का निर्माण शुरू हो चुका है। इसके तहत दीपावली उत्सव के लिए गोबर से दीयों, मोमबत्तियों, धूप, अगरबत्ती, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, साम्बरानी कप, हार्डबोर्ड, वॉल-पीस, पेपर-वेट, हवन सामग्री, भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां बनाने का काम शुरू हो चुका है।”
इसकी नींव 2020 में ही पड़ चुकी थी
सच कहें तो इस ‘महायज्ञ’ की नींव कहीं न कहीं 2020 में ही पड़ चुकी थी, जब इस संबंध में ‘राष्ट्रीय कामधेनु योजना’ के अंतर्गत वेबिनार और सेमिनार आयोजित किये गए। ‘वोकल फॉर लोकल’ के अंतर्गत गौपालन उद्योग ने इस अवसर को दोनों हाथों से लपका, और संयोगवश उसी समय गलवान घाटी में चीन ने धावा बोल दिया, जहां उसे मुंह की खानी पड़ी। चीन के इस आक्रमण के विरोध स्वरूप CAIT यानि Confederation of All India Traders ने निर्णय किया कि दिसंबर 2021 तक चीन को कुल 1 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाना है, जिसके लिए उन्होंने भारतीय त्योहार, विशेषकर रक्षा बंधन और दीपावली में विशेष रूप से भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया था।
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एक पंथ अनेक काज
अभी यह तो मात्र प्रारंभ है, क्योंकि भारत चीन को इस बार स्वदेशी दीपावली के ज़रिए बहुत बड़ा झटका देना चाहता है। उदाहरण के लिए पालक और गौ-उद्यमियों द्वारा बनाए गए गोमय (गोबर) दीये को प्रथिमकता दी जाएगी जो चीनी एवं रसायन युक्त हानिकारक दीयों से बचाएंगे। इको फ्रेंडली दीयों का प्रयोग बढ़ेगा, और पिछले वर्ष भारत से सभी राज्यों में करोड़ों गोमय दीये बनाए गए थे, लेकिन इस बार लक्ष्य इसे 100 करोड़ के पार ले जाने का है। इस बार कामधेनु दीपावली को और भी बड़े पैमाने पर मनाने का निश्चय किया गया है। ‘कामधेनु दीपावली योजना’ के ज़रिए उद्यमिता एवं कृषि उद्योग को उनका उचित सम्मान देना केंद्र सरकार का प्रमुख उद्देश्य है।
टीवी9 भारतवर्ष की ही रिपोर्ट के अनुसार, कामधेनु योजना से जुड़े वेबिनार को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने बताया, “हमने किसानों, बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, युवा उद्यमियों, गौशालाओं, गोपालकों, स्वयं सहायता समूहों आदि विभिन्न वर्गों में गोमय उत्पादों के प्रति काफी रुचि पैदा की है। गौ आधारित अर्थव्यवस्था से ही भारत को फिर से ‘विश्व गुरु’ बना पाएंगे। बंशी गौ-धाम के नीरज चौधरी ने उनके संस्थान में बन रहे विविध गोमय उत्पाद दिखाए, जिसमें मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला का गोमय से बना नाम प्लेट भी शामिल था। उन्होंने वेबिनार के दौरान मिनटों में गोमय दीपक और गोमय लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनाकर भी दिखाई।”
कुल मिलाकर सार यह है कि इस बार दीपावली को आकर्षक एवं रंगारंग बनाने के साथ साथ ‘चीन मुक्त’ बनाने की दिशा में भी मोदी सरकार व्यापक कदम उठा रही है। जिस प्रकार से ‘कामधेनु दीपावली योजना’ को बढ़ावा दिया गया है, उससे स्पष्ट होता है कि जो अभियान 2020 में प्रारंभ हुआ था, उसे मोदी सरकार तब तक नहीं छोड़ेगी, जब तक भारत हर क्षेत्र में सम्पूर्ण दृष्टि से ‘आत्मनिर्भर’ नहीं हो जाता।