स्पेस इंडस्ट्री का शुभारंभ अंतरिक्ष उद्यम के निजीकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है

इंडियन स्पेस एसोसिएशन

मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। इसी क्रम में अब प्रधानमंत्री मोदी का उद्देश्य स्पेस सेक्टर में बड़े परिवर्तन लाने का है। 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इंडियन स्पेस एसोसिएशन ‛ISpA’ का उद्घाटन कर रहे हैं। इंडियन स्पेस एसोसिएशन स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े सभी आयामों के लिए सिंगल विंडो की तरह काम करेगा।

इंडियन स्पेस एसोसिएशन ‛ISpA’ के संस्थापक सदस्यों में OneWeb, Bharti Airtel, मैप माई इंडिया, Walchandnagar Industries और Ananth Technology Limited सहित अन्य कई बड़े संस्थान हैं। उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘भारत सरकार उन सभी क्षेत्रों में पब्लिक सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक स्पष्ट योजना के साथ आगे बढ़ रही है, जहां सरकारी संस्थाओं की आवश्यकता नहीं है’।

इंडियन स्पेस एसोसिएशन ‘ISpA’ ISRO वह अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्य करेगा। इंडियन स्पेस एसोसिएशन ‘ISpA’ स्पेस सेक्टर में कार्य करने वाली प्राइवेट संस्थाओं की कार्य क्षमता के विकास के लिए कार्य करेगी और स्पेस सेक्टर को इकोनॉमिक हब के रूप में विकसित होने में सहयोग प्रदान करेगी।

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भारतीय स्पेस सेक्टर में निजी संस्थाओं की भागीदारी

इस सेक्टर में सरकारी संस्थान इसरो की सफलता के बारे में दुनिया जानती है। हालांकि, अब तक प्राइवेट सेक्टर को मैन्युफैक्चरिंग और रॉकेट निर्माण से संबंधित उपकरणों को बनाने के अतिरिक्त कोई विशेष कार्य नहीं सौंपा गया था। प्राइवेट कंपनियां केवल ISRO की सहयोगी की भूमिका में कार्यरत रही है। हालांकि, इसरो की सफलता के कारण भारतीय स्पेस सेक्टर के प्रति वैश्विक विश्वसनीयता में वृद्धि हुई है, ऐसे में प्राइवेट संस्थाओं के लिए विकास के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं।

मोदी सरकार ने इस सेक्टर में प्राइवेट संस्थाओं के लिए विकसित हो रहे अवसरों को पहचान रही है। पिछले वर्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार स्पेस सेक्टर में प्राइवेट संस्थाओं को बड़ी भूमिका देने के लिए तैयार है, जिसके अंतर्गत सैटेलाइट निर्माण, उसके लॉन्च और स्पेस से संबंधित अन्य सेवाओं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

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Space X, Blue Origins जैसे प्राइवेट संस्थान स्पेस सेक्टर में पहले से कार्यरत हैं

दुनिया भर में प्राइवेट प्लेयर्स स्पेस सेक्टर में पहले ही कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। अमेरिका में एलन मस्क की SpaceX स्पेस सेक्टर का बड़ा नाम है जो अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के साथ मिलकर काम कर रही है। पिछले वर्ष NASA के SpaceX का क्रू-1 दुनिया का पहला क्रू बन गया जिसने एक प्राइवेट संस्था द्वारा बनाए गए अंतरिक्ष विमान में रोटेशन मिशन को पूरा किया। यह पहला मौका था जब किसी प्राइवेट संस्था ने मनुष्यों को ऑर्बिट में रखकर अंतरिक्ष में भेजा।

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इसी प्रकार अमेजन के संस्थापक Jeff Bezos की संस्था Blue Origin एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था है। Blue Origin भी एक लूनर मिशन लांच करने की तैयारी कर रही है। जुलाई में स्वयं जेफ अपने स्पेसक्राफ्ट, न्यू शेफर्ड में अंतरिक्ष यात्रा कर चुके हैं।

निजी भागीदारी की आवश्यकता क्यों है

भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में सेवाओं और उपकरणों ( जैसे उपग्रह आदि ) की मांग तेजी से बढ़ रही है किंतु आपूर्ति उस अनुपात में नहीं बढ़ पा रही। पिछले कुछ वर्षों में भारत में जिस तेजी से वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति हो रही है एवं विभिन्न उद्योगों में अंतरिक्ष आधारित Apps की सेवाओं की मांग बढ़ गई है। इसका एक बड़ा कारण इसरो की प्रगति भी है, किन्तु अब मांग और पूर्ति के समन्वय आवश्यक है।

इसरो भारत के कुछ सबसे सफल सरकारी एजेंसियों में से एक है, जिसने लूनर मिशन, मंगलयान मिशन सहित कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इसरो ने सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा भारतीय स्पेस सिक्योरिटी को बढ़ावा देने के लिए NETRA जैसा सफल प्रोजेक्ट चलाया है। कई विदेशी सैटेलाइट को लॉन्चिंग की सुविधा देकर इसरो ने भारत को हजारों करोड़ का लाभ कराया है।

इसरो पर भी बढ़ती मांग का दबाव पढ़ रहा है। ऐसे में इसरो अकेले भारत की भावी मांग की पूर्ति नहीं कर सकता है। अतः यह आवश्यक है कि इंडियन स्पेस एसोसिएशन जैसे निजी संस्थाओं को स्पेस सेक्टर में मौका मिले जिससे भारत से तकनीकी विकास को और रफ्तार मिलेगी।

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