प्रियंका गांधी का एयर इंडिया ड्रामा: ये टाटा से नहीं, बल्कि प्रफुल्ल पटेल से जुड़ा है

कांग्रेस ने एयर इंडिया को बना दिया था निजी कमाई का जरिया!

एयर इंडिया कांग्रेस

Source- Google

स्वार्थ सिर्फ ईर्ष्या और मोह के अलावा शेष सबकुछ परे कर देता है। गांधी-नेहरू परिवार का एयर इंडिया के प्रति बर्ताव इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। नेहरू ने राष्ट्रीयकरण के नाम पर बलपूर्वक एयर इंडिया को टाटा समूह से छीना और गर्त की ओर उन्मुख कर दिया। उस समय टाटा के नेतृत्व में एयर इंडिया ना सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी अपनी उत्कृष्टता के झंडे गाड़ रहा था। साल 1980 में सत्ता में वापस आने के बाद इन्दिरा गांधी ने जेआरडी टाटा को एयरलाइन के बोर्ड में नियुक्त तो किया पर अध्यक्ष नहीं बनाया। इंदिरा के बाद राजीव गांधी ने मजबूरी में जेआरडी टाटा को एयरलाइन के बोर्ड में अध्यक्ष बनाया। इन सभी घटनाओं से यही परिलक्षित होता है कि एयर इंडिया, कांग्रेस के अहम और टाटा के प्रति उनकी दुराग्रह का भेंट चढ़ गया।

और पढ़े- किंगफिशर ने माल्या को और जेट एयरवेज ने नरेश गोयल को बर्बाद किया, क्या एयर इंडिया भी TATA के साथ ऐसा कर सकती है?

अब एयर इंडिया का दोहन नहीं कर पाएगी कांग्रेस

दरअसल, मोदी सरकार ने राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक एयर इंडिया को वापिस उत्थानोन्मुख करते हुए उसके पुराने मालिक टाटा को सौंप दिया है। ऋण में डूबे इस उद्यम के विक्रय का प्रयास अंततः पारदर्शी और लाभकारी तरीके से पूरा हुआ। परंतु स्वार्थ और ईर्ष्या से ग्रसित कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का दु:ख घरेलू विमानन के क्षेत्र में कांग्रेस के घटते प्रभाव और इस संकट के सफल निवारण के कारण छलक पड़ा है। प्रियंका गांधी वाराणसी में भाषण दे रही थीं, भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि मोदी ने 16 हज़ार करोड़ में अपने लिए दो विमान खरीदे और एयर इंडिया को 18000 करोड़ में बेच दिया। सुनने में ये बात बहुत अच्छी और तार्किक लगती है, परंतु यह हास्यास्पद कथन जनता को मूर्ख बनाने और मोदी सरकार द्वारा विमानन क्षेत्र में कांग्रेस के टूटते वर्चस्व के प्रति प्रियंका के क्रोध का प्रकटीकरण था।

किसी और से अपना भाषण लिखवाने का क्या परिणाम होता है ये हम प्रियंका के कथनों से समझ सकतें है! प्रियंका के ज्ञान के लिए उन्हें बता दें कि मोदी सरकार द्वारा 16000 करोड़ में जिन दो विमानों के खरीद की बात कही जा रही है, वह सौदा यूपीए सरकार के दौरान ही किया गया था। प्रियंका को यह भी समझना चाहिए कि विमान भारत के प्रधानमंत्री के लिए खरीदा गया है मोदी के लिए नहीं। नरेंद्र मोदी के बाद आनेवाले प्रधानमंत्री भी उससे यात्रा करेंगे। मोदी उसे लेकर गुजरात नहीं जाएंगे, प्रियंका इस बात के लिए निश्चिंत रहें।

इससे इतर प्रियंका गांधी को विक्रय और विनिवेश में अंतर समझना चाहिए। कांग्रेस ने एयर इंडिया को 70,000 करोड़ का ऋण दिया था उसके बावजूद भी मोदी सरकार ने उसे 18,000 करोड़ रुपये में एक दक्ष और अनुभवी उद्यम को सौंप दिया। प्रियंका गांधी को ये बातें समझ में नहीं आती, उनके दु:ख का वास्तविक कारण ये है कि कांग्रेस अब ना तो एयर इंडिया का दोहन कर सकती है और ना ही उसपर अपना वर्चस्व स्थापित कर सकती है। एयर इंडिया की ऐसी दुर्दशा के लिए कांग्रेस पार्टी ही जिम्मेदार है।

और पढ़े- चीन की धुलाई करने का खाका बुन रहा है भारत, अंडमान निकोबार में पूरी है तैयारी

कांग्रेस ने एयर इंडिया को बना दिया था निजी कमाई का जरिया

दरअसल, मनमोहन सरकार में एनसीपी के कोटे से मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल के माध्यम से कांग्रेस ने एयर इंडिया को अपने निजी कमाई का जरिया बना दिया था। इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब कथित तौर पर गिरफ़्तार दलाल दीपक तलवार ने कांग्रेस और प्रफुल्ल पटेल का कच्चा चिट्ठा खोल दिया। ईडी को इस संबंध में ईमेल भी प्राप्त हुए।

ईडी ने अदालत को बताया था कि एयर इंडिया के लाभ देने वाले मार्ग और समय को कतर एयरवेज, अमीरात एंड एयर अरेबिया समेत विदेशी एयरलाइनों को दे दिया गया। ईडी के अधिवक्ता ए आर आदित्य ने अदालत को बताया था कि इसकी वजह से राष्ट्रीय एयरलाइंस को मार्केट शेयरों को भारी नुकसान हुआ तथा निजी घरेलू और विदेशी एयरलाइंस को जबरदस्त फायदा भी हुआ। इतने बड़े राजनेता के खिलाफ इतनी बड़ी कारवाई का ये पहला मामला था जिसमें मुकदमेंबाज़ी सीबीआई और ईडी तक पहुंच गयी थी।

कांग्रेस अपने इसी कमाई के साधन और वर्चस्व के टूट जाने के कारण द्रवित है, लेकिन इस वजह से जनता में भ्रम फैलाकर शासन के प्रति दुराग्रह फैलाना लज्जाजनक है। यह एयर इंडिया के सौदे को खटाई और कानूनी पचड़े में भी डाल सकता है, जिससे दर्द से कराहता यह उद्यम अवश्य ही दम तोड़ देगा। कांग्रेस आलाकमान को अपनी इस हरकत पर शर्मिंदा होना चाहिए, अन्यथा, प्रियंका गांधी की बातों को कोई ज़िम्मेदारी से नहीं लेगा।

और पढ़ें: उत्तराखंड सरकार ने “लैंड जिहाद” पर शुरु की कार्रवाई

Exit mobile version