प्रियंका वाड्रा के राजनीतिक ड्रामे ने उनके रिलॉन्च पर पानी फेर दिया

"अराजकतावादी है प्रियंका गांधी का रवैया"

Priyanka Gandhi, Lakhimpur

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लखीमपुर खीरी में हुई अराजकता के मुद्दे पर विपक्ष को लगा था कि ये उनके लिए योगी सरकार के खिलाफ हमलावर होने का बढ़िया मौका बन सकता है, जिसके कारण सभी राजनीतिक दलों ने शवों पर गिद्धों की भांति राजनीति करना शुरू कर दिया था। इस पूरे खेल में सबसे आगे रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, जिन्होंने तुरंत ही लखीमपुर जाकर अपने लिए माहौल बनाने की कोशिश की। अपनी नकारात्मक मंशाओं के चक्कर में उन्होंने कानून की खूब धज्जियां उड़ाई। नतीजा ये हुआ कि अब वो उत्तर प्रदेश पुलिस की गिरफ्त में हैं। कांग्रेस उन्हें अब एक क्रांतिकारी नेता की तरह पेश करने की कोशिश कर रही है, जबकि सच्चाई ये है कि प्रियंका का दांव अब फेल हो सकता है, क्योंकि उनके अपने सुरक्षा से जुड़े सीआरपीएफ के अधिकारी तक ये कहने लगे हैं कि प्रियंका ने प्रोटोकॉल का कोई पालन नहीं किया है।

कानून को ताक पर रखा

भाजपा शासित राज्यों में कोई भी अप्रिय घटना हो जाए तो कांग्रेस शासित सभी विपक्षी दलों का गिद्धों की भांति भ्रमण शुरू हो जाता है और यही एक बार फिर लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद देखने को मिला। योगी प्रशासन ने जिले में धारा-144 लगा रखी थी। इसके बावजूद प्रियंका वाड्रा वहां जाने की जिद्द पर अड़ी थीं। ऐसे में उन्हें गिरफ्तार किया गया और अब वो खुद के पीड़ित होने का कार्ड खेल रही हैं। कांग्रेस ये दिखाने की कोशिश कर रही है कि प्रियंका गांधी के राजनीतिक कद से योगी प्रशासन डरा हुआ है, जबकि हकीकत ये है कि योगी प्रशासन के जाल में प्रियंका गांधी वाड्रा बुरी तरह फंस गई हैं और उनके लिए अब मुश्किलें खड़ी होती दिख रही हैं।

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गृह मंत्रालय तक जाएगी शिकायत

प्रियंका गांधी वाड्रा समेत पूरी गांधी फैमिली खुद को सुरक्षा के घेरे में रखना चाहता है। यही कारण है जब मोदी सरकार ने एसपीजी सुरक्षा का घेरा हटाकर जेड श्रेणी की सुरक्षा का ऐलान किया था तो गांधी परिवार भड़क गया था। अब उनकी सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने भी लखीमपुर कांड को लेकर गृह मंत्रालय तक शिकायत पहुंचाने की बात कही है। सीआरपीएफ का कहना है कि प्रियंका ने तीन बार  सुरक्षा नियमों का उल्लघंन किया और बिना बताए ही वह लखनऊ से निकल गईं। उन्होंने किसी भी तरह के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। ऐसे में सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि गृहमंत्रालय को इस मुद्दे पर जानकारी दी जाएगी, जो कि प्रियंका गांधी वाड्रा की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

रिलॉन्चिंग की कोशिश

राहुल गांधी को कितनी बार लॉन्च करने की कोशिश की गई, ये सभी जानते हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी के साथ भी कांग्रेस पार्टी कुछ वैसा ही करने की कोशिश कर रही है। योगी सरकार सुरक्षा के मुद्दे पर सतर्क है। ऐसे में ड्रोन से भी अराजकता फैलाने वाले नेताओं और लखीमपुर खीरी की निगरानी की जा रही है। दूसरी ओर कांग्रेस नेता ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि योगी सरकार प्रियंका से डरी हुई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मुद्दे पर योगी सरकार पर सवाल खड़े करते दिख रहे हैं। ड्रोन से हो रही निगरानी को लेकर भी कांग्रेस नेता बेतुके बयान दे रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का रवैया ये बता रहा है कि प्रियंका वाड्रा को उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले रिलॉन्च करने की योजना थी, वो अब विफल होती दिख रही है।

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अराजकतावादी है प्रियंका का रवैया

लखीमपुर खीरी के मुद्दे पर प्रियंका का राजनीतिक भ्रमण का प्रयास बताता है कि वह अराजकतावादी राजनीति का पर्याय हैं। अपनी गिरफ्तारी के दौरान ही उन्होंने सीतापुर में पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी की और जब पुलिस की हिरासत में आ गईं तो कमरे में झाडू लगाकर नया ढोंग करने लगीं। सीआरपीएफ से लेकर पुलिस तक उनके इस रवैए से परेशान है। ऐसा पहली बार नहीं है कि प्रियंका ने अराजकता दिखाई हो, हाथरस कांड में प्रियंका का ऐसा ही चरित्र सामने आया था क्योंकि तब उन्होंने महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की थी।

इस पूरे प्रकरण को लेकर ये कहना गलत नही होगा कि लखीमपुर खीरी के जरिए प्रियंका गांधी लाशों पर राजनीतिक करना चाहती थी लेकिन उनका ये दांव अब पूरी तरह से उल्टा पड़ गया है, क्योंकि इस घटना पर न तो उन्हें मीडिया में ज्यादा अटेंशन मिला और न ही जनता ने उन्हें कोई भाव दिया।

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