धार्मिक पतन की पराकाष्ठा देखिये। समाज किस तरफ उन्मुख हो रहा है ज़रा ये सोचिए। सिंघू सीमा पर एक दलित सिख लखबीर सिंह को बेरहमी से मार दिया गया जिसके पीछे का कारण गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करना बताया गया। राष्ट्रीय स्तर पर जब इस विभत्स घटना का विरोध प्रारंभ हुआ तो चार अपराधियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। ये अपराधी निहंग सिख निकले। आपको लगेगा उनके आत्मसमर्पण के साथ नृशंसता का ये नग्न नृत्य समाप्त हो गया तो कदाचित आप गलत हैं क्योंकि उनके समर्पण को समाज ने विजयोत्सव में परिवर्तित कर दिया जो बेहद शर्मनाक है। अब ये निहंग सिख पुलिस को धमकी तक दे रहे।
निहंगों की सीनाजोरी
खैर, तंत्र तीव्र हुआ और इस मामले में संलिप्त अन्य लोगों को पकड़ने की त्वरित कार्रवाई जैसे ही प्रारंभ हुई कुछ लोग पुनः इन दरिंदों के पीछे खड़ा हो गया। निहंग सिख अब चोरी के बाद सीनाजोरी पर उतार आए हैं। उनका कहना है कि हरियाणा सरकार शीघ्र कार्रवाई करे। अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा दोषियों के संदर्भ में कहा गया तो आप गलत हैं। निहंगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराते हुए लखबीर सिंह पर गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करने लिए कार्रवाई की मांग की है और जिन्होंने लखबीर को जान से मार दिया उन्हें रिहा करने की मांग की है। मांग नहीं की उन्हें छोड़ने का आदेश दिया है और ना मानने पर हरियाणा सरकार को परिणाम भुगतने की धमकी दी है। उनके आदेश की अवज्ञा होने पर पुलिस थाने पर आक्रमण कर उन्हें छुड़ाने की “विनम्र” धमकी दी।
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गुरुग्रंथि के अपवित्रीकरण क मामला
निहंग सिख अब जानबूझकर इस मामले को गुरु ग्रंथ के अपमान से जोड़कर इस नृशंसता से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि छह साल पहले 1 जून, 2015 को गुरु ग्रंथ साहिब जो सिख धर्म का एक प्रमुख पवित्र ग्रंथ, पंजाब के फरीदकोट जिले के बुर्ज जवाहरसिंह वाला गांव के एक गुरुद्वारे से गायब हो गया। महीनों बाद अक्टूबर में गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां पंजाब में कई ऐसी जगहों पर पाई गईं जो किसी अपमान से कम नहीं था, जिसमें फरीदकोट में बरगारी भी शामिल है। इस कारण पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर सिख विरोध शुरू हो गया। 14 अक्टूबर, 2015 को फरीदकोट में दो जगहों पर सिख प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की जवाबी कार्रवाई में दो सिख प्रदर्शनकारी मारे गए। निहंग सिख अब यही मसला उठा रहे है।
निहंग सिखों के नेता बाबा राम सिंह ने कहा, “2015 में पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को छह साल हो चुके हैं। हालांकि, आज तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है और किसी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। अगर कोई अब फिर से ऐसा करने की कोशिश करता है तो हम उसे सजा देंगे जैसे लखबीर सिंह को सजा दी गई थी।”
निहंग कौन है?
निहंग सिख, सिख धर्म में ये एक धार्मिक योद्धा के तौर पर जाने जाते हैं, जिन्हें आप नीले वस्त्र, तलवार और भाले जैसे प्राचीन हथियार तथा एक चक्र या स्टील क्वाइट्स के साथ सजाए गए पगड़ी (दस्तारबंगा) से पहचान सकते है। सिख इतिहासकार डॉ बलवंत सिंह ढिल्लों के अनुसार, 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा के निर्माण पश्चात इनका उद्भव हुआ। व्युत्पत्ति के अनुसार फ़ारसी में निहंग शब्द का अर्थ मगरमच्छ होता है, लेकिन निहंगों की विशेषताएँ संस्कृत शब्द “निहशंक” के समतुल्य अधिक प्रतीत होती है जिसका अर्थ है जो बिना भय, बेदाग, शुद्ध, लापरवाह और सांसारिक लाभ-आराम के प्रति उदासीन हो।
राजनेताओं के चुप्पी का कारण
सिखों के पवित्र ग्रंथ की बेअदबी का मुद्दा एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए राजनेता इसमें शामिल होने से बचते हैं। राजनेता निहंगों के साथ टकराव नहीं चाहते क्योंकि वो सिख धर्म के प्रतीक होने के साथ साथ बिना किसी संसारिक बंधन के जीते है। परंतु, अपराध करने वाला कोई भी क्यों न हो कानून का काम है कि अपराधी को उसके किये की सजा दे और यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो ये बेहद शर्मनाक है।
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