सहवाग और गंभीर ने पाक प्रेमियों को धोया, अब वामपंथी उन्हें कॉन्सेंट्रेशन कैंप में भेजना चाहते हैं

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सहवाग और गंभीर

2011 विश्व कप के फाइनल मैच में गौतम गंभीर का प्रदर्शन कैसा था, यह आज भी हमारी यादों में ताजा है। वहीं, सहवाग की बात करें तो उनकी बल्लेबाजी के सामने अच्छे से अच्छा बॉलिंग अटैक भी टूट कर बिखर जाता था। दोनों खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट टीम को कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट और द्विपक्षीय प्रतियोगिताओं में जीत दिलाई लेकिन आज भारत में कई ऐसे ढोंगी विचारक और मुस्लिम समर्थक लोग मौजूद हैं जो सहवाग और गंभीर को फासीवादी घोषित कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग उन्हें कंसंट्रेशन कैंप में डालने की बात कर रहे हैं।

दरअसल, T-20 विश्वकप 2021 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए मैच में पाकिस्तान की जीत के बाद भारत के विभिन्न शहरों में मुस्लिम समुदाय द्वारा पटाखे फोड़ कर खुशियां मनाई गईं। केरल, मध्यप्रदेश, दिल्ली, पंजाब सभी राज्यों से ऐसी खबरें सुनने को मिली। ऐसे में पूर्व खिलाड़ियों में सहवाग और गंभीर ने इस व्यवहार पर प्रश्न उठाया।

सहवाग ने दिवाली पर पटाखों को लेकर होने वाले दोहरे रवैये पर सवाल उठाया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि “दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध है लेकिन कल भारत के कुछ हिस्सों में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने के लिए पटाखे (जलाए गए) थे। अच्छा! वे क्रिकेट की जीत का जश्न मना रहे होंगे। तो दीपावली पर पटाखों में क्या हर्ज है। पाखंड क्यों? सारा ज्ञान तब ही याद आता है।”

 

वहीं गंभीर ने सीधे तौर पर पाकिस्तान की जीत पर खुश होने वालों को पाकिस्तानी बता दिया। उन्होंने लिखा “पाक की जीत पर पटाखे फोड़ने वाले भारतीय नहीं हो सकते!  हम अपने लड़कों के साथ खड़े हैं! #Shameful”

 

सहवाग और गंभीर ने जैसे ही ट्विटर पर सच्चाई सामने रखी, बहुत से लोगों को मिर्ची लग गई। पंजाब यूथ कांग्रेस ने सहवाग से प्रश्न करते हुए उन्हें भाजपा का एजेंट बता दिया। PYC ने लिखा “भारत के रंगों से लेकर सांप्रदायिक रंग तक। वीरू पाजी, यह कैसा पाखंड है कि जब किसानों के बेटे सरहद पर मरते हैं और पिता सिंघू पर, आपका ध्यान नहीं जाता। बल्कि पटाखे फोड़ने की यह सब बकवास सहित अन्य बातों पर आपका ध्यान चला जाता है। आप एक समय रोल मॉडल थे, बीजेपी मॉडल नहीं।”

इसके साथ ही किसी ने सहवाग और गंभीर को वैमनस्य फैलाने वाला घोषित किया, तो किसी ने लिखा कि वे अल्पसंख्यकों पर हमले के समर्थक हैं। किसी ने यह कहा कि सहवाग और गौतम गंभीर लोकतंत्र के लिए खतरा है तो वहीं कुछ लोगों ने उन्हें कंसंट्रेशन कैंप डालने की बात तक कही।

देश के ऐसे पूर्व खिलाड़ियों, जिन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का सिर ऊंचा किया हो, को केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने भारतीय मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग के अलगाववादी चरित्र पर प्रश्न उठा दिया है। जो लोग सहवाग और गंभीर को कोस रहे हैं, वही लोग यह दुष्प्रचार भी कर रहे हैं कि मोहम्मद शामी को क्रिकेट समर्थकों द्वारा उनकी खराब गेंदबाजी के कारण निशाना न बना कर उनके मुसलमान होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है। जबकि सत्य यह है कि पूरी भारतीय क्रिकेट टीम के खराब प्रदर्शन पर उन्हें समर्थकों की आलोचना का सामना करना पड़ता है।

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भारत में कुछ लोग अपने राजनैतिक स्वार्थों के कारण हर बार मुस्लिम सांप्रदायिकता के प्रति आंख मूंद लेते हैं और हर छोटी बात को मुस्लिम उत्पीड़न की कहानी से जोड़कर दिखाते हैं। इनकी घटिया राजनीति ने क्रिकेट को भी नहीं छोड़ा है। यहां तक की सम्मानित पूर्व खिलाड़ीयों को भी यह लोग अपनी दूषित मानसिकता के कारण निशाना बना रहे हैं।

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