श्रीराम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया ज़ोरों शोरों से चल रही है। 2023 के दिसंबर माह तक इसे पूर्ण करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। इसी बीच एक ऐसी खबर भी आई है, जो कई लोगों को प्रफुल्लित कर देगी। हाल ही में श्रीलंका ने भारत को एक ‘ऐतिहासिक’ भेंट भेजा है, जिसकी पूजा अर्चना भी कराई है।
क्या है उपहार ?
लेकिन श्रीलंका द्वारा दिया ऐसा क्या उपहार है, जिसका सांस्कृतिक महत्व बहुत ही ऊंचा है? इसका महत्व स्वयं श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट के माध्यम से बताया गया। ट्वीट में कहा गया कि “श्रीलंका स्थित अशोक वाटिका में स्थापित सीता मन्दिर की एक शिला आज श्रीलंका के माननीय उच्चायुक्त एवं मंत्री महोदय ने अयोध्या आकर भगवान श्री रामलला जी के सम्मुख सन्त-महापुरुषों को भेंट की”-
श्रीलंका स्थित अशोक वाटिका में स्थापित श्री सीता मन्दिर की एक शिला आज श्रीलंका के माननीय उच्चायुक्त एवं मंत्री महोदय ने अयोध्या आकर भगवान श्री रामलला जी के सम्मुख सन्त-महापुरुषों को भेंट की। pic.twitter.com/SuGRP1rdQy
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) October 28, 2021
अशोक वाटिका का महत्व
ये वही अशोक वाटिका है, जहां दुष्ट रावण ने देवी सीता को बंदी बनाकर रखा था और जहां वीर हनुमान ने उनके दर्शन किये थे। इसी अशोक वाटिका को उजाड़ने के कारण हनुमान को रावण के समक्ष बंदी के रूप में पेश किया गया और उसके पश्चात उन्होंने किस प्रकार से ‘सुवर्ण लंका’ को भस्म कर अपने आप को ‘त्रैलोकस्वामी’ मानने वाले रावण का घमंड चकनाचूर किया था, ये विश्वविख्यात है।
ऐसे में इसी अशोक वाटिका के प्रसिद्ध सीता मंदिर की शिला को भारत भेजने से भारत और श्रीलंका के बीच पुनः सांस्कृतिक संबंध स्थापित हो सकते हैं। श्रीलंका में बौद्ध धर्म अवश्य व्याप्त है, परंतु सांस्कृतिक रूप से वो अब भी भारत से भली भांति जुड़ा हुआ है।
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श्री रामजन्मभूमि परिसर का सांस्कृतिक महत्व
श्रीलंका से अयोध्या के श्री राम मंदिर के पुनर्निर्माण में शिला की भेंट का अपना सांस्कृतिक महत्व भी है। जिस परिसर का सदियों पहले विध्वंस किया गया और जिसे धर्मांधता एवं छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पुनः निर्मित होने से अनेकों बार रोका गया, वो आखिरकार फिर से 2023 तक देशवासियों के अथक प्रयासों से बनकर दर्शन के लिए खुलने जा रहा है।
इसी के बारे में जनता को पुनः सूचित करते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अपने आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट किया, “श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। दिसंबर 2023 तक गर्भगृह में भगवान के दर्शन प्रारंभ हो जाएंगे। नींव हेतु भूमि को सुदृढ़ करने का प्रथम चरण पूर्ण हो चुका है। दूसरा चरण भी नवंबर मध्य तक पूर्ण हो जाएगा। ततपश्चात फर्श निर्माण का कार्य प्रारंभ किया जाएगा”–
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। दिसंबर 2023 तक गर्भगृह में भगवान के दर्शन प्रारंभ हो जाएंगे।
नींव हेतु भूमि को सुदृढ़ करने का प्रथम चरण पूर्ण हो चुका है। दूसरा चरण भी नवंबर मध्य तक पूर्ण हो जाएगा। ततपश्चात फर्श निर्माण का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) October 14, 2021
मुगल आक्रांता बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा तोड़े गए श्रीराम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण का मार्ग 9 नवंबर 2019 के ऐतिहासिक दिन प्रशस्त हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से श्री रामजन्मभूमि न्यास को मूल परिसर का अधिकार सौंप दिया गया। इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक भूमि पर मस्जिद के निर्माण का सुझाव भी दिया गया।
ऐसे में अयोध्या को श्रीलंका की ओर से दिया गया यह अनोखी भेंट न केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। अब भारत को आवश्यकता है कि इसका लाभ उठाते हुए श्रीलंका को पुनः अपने पाले में लाए।
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