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फेसबुक नहीं फेकबुक, Fb ने आख़िरकार किया स्वीकार

मार्क भैया: अमेरिका के वैश्विक जासूस या विश्व की चुगलखोर आंटी

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
27 October 2021
in तकनीक
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नूतन साम्राज्यवाद में आपका स्वागत है। 21वीं सदी के ईस्ट इंडिया उद्यमों का उदय हो रहा है जैसे Amazon, Google, Facebook इत्यादि। ये सभी धीरे-धीरे संप्रभुता को प्राप्त कर रहे हैं। आपकी निजता को ताक पर रख रहे हैं। आप को गुलाम बना रहे हैं। आपके विचार परिवर्तित कर रहे हैं। सत्य को धूमिल कर रहे हैं। शासन की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। राष्ट्रवाद, संस्कृति, परंपरा और समाज को कलुषित करते हुए सिर्फ अपने निजी आर्थिक स्वार्थ की पूर्ति हेतु निरंकुश शक्ति की ओर ये सभी बिग टेक अग्रसर हैं।

आपकी पसंद, नापसंद, प्रासंगिकता प्राथमिकता, आवश्यकता, आदत, उत्सुकता और जिज्ञासा, आपके बारे में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इन्हें ना पता हो। आपके बारे में इस जानकारी, सूचना, व्यक्तित्व और  निजता हनन के समीकरणों को ये लोग “डाटा” बोलते हैं। अंतरराष्ट्रीय नियमों के आवरण से प्राप्त अभेद्य कवच से अब यह एक राष्ट्र के शासन को ध्वस्त कर निरंकुश संप्रभुता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह विषय अत्यंत चिंताजनक है क्योंकि पूर्ववर्ती के साम्राज्यवादी और औपनिवेशिक शासन सिर्फ आपके तन और राजनीतिक व्यवस्था को अपना दास बनाते थे, परंतु नव साम्राज्यवाद और नव उपनिवेशवाद के जनक यह उद्यम ना सिर्फ आपके द्वारा चुने गए लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करते हैं बल्कि आपके निजता का हनन कर आपके संपूर्ण व्यक्तित्व का भक्षण कर लेते हैं।

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वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी यह दस्तावेज़ प्राप्त किए, जिसने पिछले महीने से फेसबुक के कुकृत्यों पर कई दुर्भावनापूर्ण शिकायतें पोस्ट की हैं।

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फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा प्राप्त एक दस्तावेज़ में एक फेसबुक कर्मचारी को यह दावा करते हुए दिखाया गया है कि फेसबुक की सार्वजनिक नीति टीम जब देखती है कि कोई पोस्ट शक्तिशाली राजनेताओं या अभिनेताओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो पोस्ट को हटाने के फैसले को रोक दिया जाता है।

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा, “इन कहानियों में एक झूठा आधार है। हां, हम एक कंपनी हैं और हम मुनाफा कमाते हैं लेकिन यह विचार कि हम लोगों की सुरक्षा या भलाई की कीमत पर ऐसा करते हैं ऐसा नहीं है क्योंकि इसमें हमारे व्यावसायिक हित नही हैं। सच तो यह है कि हमने 13 अरब डॉलर का निवेश किया है और 40,000 से अधिक लोग नौकरी कर रहे हैं ताकि फेसबुक से जुड़े लोगों की रक्षा हो सके। “

परंतु, अर्थ मद और सत्ता सनक में चूर ये भेड़िए बिना किसी उत्तरदायित्व के शक्ति संचयन करते हैं। फेसबुक वाले “जुकरबर्ग भैया” इसमें सबसे आगे हैं। वैश्विक स्तर पर वह मोहल्ले की उस स्त्री की तरह है जिसे अपने पड़ोसी के घर में ताक-झांक करने और उसकी चुगली करने में बड़ा आनंद आता है, भले ही स्वयं का घर लंका अग्नि में धूं-धूं कर जल रहा हो। इसी पुनीत उद्देश्य के कारण मार्क भैया ने न सिर्फ फेसबुक बल्कि व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को भी अपने नियंत्रण में ले लिया। उन्हें इसका लाभ भी मिला। उन्हें चुगली का चरम सुख प्राप्त हुआ। अप्रत्याशित आनंद ने अघोषित अराजकता का सृजन किया। उनके ऊपर अपने मातृभूमि के लोकतांत्रिक चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगा। भारत में भी उनके द्वारा सत्ता चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास किया गयाl दरअसल, यह सारे प्रयास अप्रत्यक्ष स्तर पर थे। इसे अज्ञानता वश हुई गलती बता कर क्षमा मांग ली गई।

परंतु, हालिया खुलासों ने इस तथ्य को स्थापित किया है कि फेसबुक का असल उद्देश्य गलत खबरों का प्रचार-प्रसार कर अव्यवस्था, अराजकता और निरंकुशता को बढ़ावा देना है। सत्य कड़वा होता है, उदासीन होता है अतः लोग पसंद नहीं करते। परंतु, झूठ करिश्माई विचारों से परे और मजेदार लगता है इसीलिए हम इसे आरण्य अग्नि की तरह ना सिर्फ इसे प्रसारित करते हैं बल्कि स्वयं के मस्तिष्क में भी इसे शिलालेख की तरह अंकित कर लेते हैं।

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