भारत यातायात में न केवल वैकल्पिक ऊर्जा की ओर विस्तार कर रहा है, अपितु मोदी सरकार उन कंपनियों के लिए सुविधाएं भी मुहैया करवा रही है कि जो कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। ऐसे में अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी टेस्ला ने भारत आने का ऐलान कर रखा है। इसके विपरीत कई ऐसी कंपनियां हैं, जिनकी कोशिश चीन में बनी गाड़ियों को भारत में बेचने की है। ऐसे में केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने टेस्ला को एक सख्त संदेश देते हुए कहा है कि यदि व्यापार करना है तो भारत में कारों का प्रोडक्शन करना होगा, चीन से भारत लाकर इलेक्ट्रिक कारें बेचने की अनुमति नहीं होगी। नितिन गडकरी का ये रुख न केवल टेस्ला अपितु अन्य सभी विदेशी कंपनियों के लिए सबक है कि यदि उनकी कुछ ऐसी मंशाएं हैं, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
नितिन गडकरी का ऐलान
इलेक्ट्रिक कारों को लेकर भारत सरकार का रुख सकारात्मक रहा है, लेकिन मोदी सरकार को पता है कि विदेशी कंपनियां इस सकारात्मक रवैए का फायदा उठा सकती हैं। इसको लेकर अब मोदी सरकार के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक आक्रामक बयान दिया है। उन्होंने कहा, “मैंने टेस्ला से कहा है कि भारत में वह चीन में बनी इलेक्ट्रिक कारें न बेचें। टेस्ला को भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करना चाहिए। यही नहीं, उसे भारत से इलेक्ट्रिक कारों का निर्यात भी करना चाहिए।” इतना ही नहीं उन्होंने इस दौरान भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स की तारीफ करते हुए कहा, “टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारें टेस्ला द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारों से कम अच्छी नहीं हैं।”
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भारत सरकार देगी मदद
भारत सरकार की इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति एक विशेष नीति है, जो कि इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माताओं को विशेष सुविधाएं भी प्रदान करती हैं। ऐसे में नितिन गडकरी ने कहा, “आप (टेस्ला) जो भी मदद चाहते हैं, वह हमारी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। कंपनी की कर रियायतों से जुड़ी मांग को लेकर वह अब भी टेस्ला के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं।” ध्यान देने वाली बात ये भी है कि टेस्ला के अधिकारियों ने भी भारत में शुल्क में रियायतें देने की मांग की थी। केवल नितिन गडकरी ही नहीं अपितु भारी उद्योग मंत्रालय ने भी टेस्ला से शुल्क संबंधी रियायतों को लेकर एक विशेष शर्त रखी है। मंत्रालय का कहना है कि पहले वह (टेस्ला) भारत में अपने प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करें। उसके बाद ही रियायत संबंधी मांगों को लेकर सरकार विचार करेगी।
इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार का लक्ष्य
भारत सरकार परिवहन क्षेत्र में नई इलेक्ट्रिक क्रांति के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है। इसको लेकर फिक्की के एक कार्यक्रम के दौरान नितिन गडकरी ने कहा था, “सरकार परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए 2030 तक निजी कारों में ई-कारों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 30 फीसदी करना चाहती है। वाणिज्यिक वाहनों में यह हिस्सेदारी बढ़ाकर 70 फीसदी और दोपहिया-तिपहिया वाहनों में 80 फीसदी करने का लक्ष्य है।”
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भारत सरकार का इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मार्केट को विस्तार देने का एक मकसद ये भी है कि इससे बड़े स्तर पर भारतीयों को रोजगार मिल सकेगा। इसके विपरीत यदि टेस्ला जैसी कंपनियां चीन से अपनी कारें भारत लाकर बेचेंगी, तो इससे भारत को आर्थिक मोर्चे पर झटका भी लग सकता है।यही कारण है कि टेस्ला के भारत आने से पहले ही परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कह दिया है कि टेस्ला भारत में तभी व्यापार कर सकेगा जब वो भारत में अपनी कारें बनाएगा।