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ICCR के डायरेक्टर जनरल के लिए बांग्लादेश में हुआ हिंदुओं का नरसंहार ‘तुच्छ’ मामला है

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
22 October 2021
in चर्चित
दिनेश पटनायक
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किसी ने बड़ा सही कहा है, ‘इस देश के लिए सबसे बड़ा श्राप है ब्यूरोक्रेसी’। मोदी सरकार ने अनेकों सुधार किए हैं, पर जनता तक इसका आधा ही असर पहुंच पाता है, क्योंकि बीच में नौकरशाहों का ऐसा मायाजाल फैला हुआ है, जो हर जगह भारत की नाक कटवाने के लिए आतुर हैं। आप कभी कभी उद्वेलित होते होंगे कि मोदी सरकार राष्ट्रवादी होते हुए फलाने व्यक्ति को कैसे नियुक्त कर सकती है? वजह स्पष्ट है – नौकरशाह ही ऐसे हैं, जिनके मायाजाल को हटाने में मोदी सरकार पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है। अब इन्हीं में से एक व्यक्ति ने दावा किया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं का जो नरसंहार हुआ है, वो एक तुच्छ मामला है और इस पर लोगों को अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए।

अभी हाल ही में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा में इस्लाम के ‘अपमान’ को लेकर जो बांग्लादेशी हिंदुओं के विरुद्ध अत्याचार हुआ, उसको लेकर ICCR यानि Indian Council of Cultural Relations के अध्यक्ष दिनेश पटनायक ने कहा कि ‘ये एक तुच्छ मामला है जिसको लेकर अधिक हो हल्ला नहीं होना चाहिए।’

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कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

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दिनेश पटनायक के अनुसार, “हम बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्य कर रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है। बांग्लादेश के स्वतंत्रता पूरे होने के 50 वर्ष के उपलक्ष्य में भारत ने बहुत अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि हमारे कूटनीतिक रिश्तों में ऐसी तुच्छ घटनाएँ कोई मायने रखेंगी”।

और पढ़ें : भगवान गणेश के चरणों में कुरान रखने के कारण मारे गए बांग्लादेशी हिंदू, लेकिन कुरान रखने वाला निकला ‘मुसलमान’

यदि बांग्लादेश में अभी जो त्राहिमाम मचा है, वो इनके लिए तुच्छ है, तो डायरेक्ट एक्शन डे भी इनके लिए बेहद तुच्छ घटना होगी। यह जानते हुए भी कि बांग्लादेश में किस प्रकार से कट्टरपंथी मुसलमानों ने एक सुनियोजित ढंग से बांग्लादेशी हिंदुओं को अपने जाल में फंसाया और कुमिला से लेकर फेनी तक हर जगह बांग्लादेशी हिंदुओं पर बेहिसाब अत्याचार किए। ये सभी घटनायें भी कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा अंजाम दी गईं। उदाहरण के लिए कुमिला के दुर्गा पूजा पंडाल में मूर्ति के नीचे जो कुरान रखी गई थी वो किसी हिन्दू ने नहीं, अपितु इकबाल हुसैन ने रखी थी, जिसकी पहचान ढाका पुलिस ने हाल ही में की।

लेकिन दिनेश पटनायक जैसे कई भारतीय हिंदुओं के लिए ये एक ‘तुच्छ घटना’ है क्योंकि इससे उनके निजी जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ तो परमब्रता चटर्जी जैसे भी होते हैं, जिन्होंने निर्लज्जता की सभी सीमाएँ लांघते हुए इन नरसंहारों को उचित ठहराने का प्रयास किया, क्योंकि यदि इन्हें अधिक ‘कवरेज’ मिलती, तो भारत के हिंदुओं को बल मिलता।

और पढ़ें : शेख हसीना सिर्फ एक ‘सेक्युलर’ चेहरा हैं, बांग्लादेश को चलाते हैं कट्टरपंथी

शेख हसीना जैसी ‘धर्मनिरपेक्ष’ महिला भले ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हो, परंतु सच्चाई तो यही है कि बांग्लादेश में इस समय कट्टरपंथियों का बोलबाला है। इस पर प्रकाश डालते हुए TFI ने अपने लेख में बताया था,

“ मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि कुमिला अमूमन शांत रहने वाला क्षेत्र है और यहाँ साम्प्रदायिक हिंसा का कोई पुराना इतिहास नहीं है। ऐसे में केवल एक फेसबुक पोस्ट पर इतना बवाल होना साफ दिखाता है कि बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथ के विस्तार को रोकने के प्रयास पूरी तरह विफल हो चुके हैं। हिंसा में 4 हिंदुओं की मौत हुई है और 60 लोग घायल हुए हैं।

जिले के एक अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा कि कुछ धार्मिक चरमपंथियों ने दुर्गा पंडालों में पहले कुरान की प्रति रख दी और कुछ तस्वीरें लीं, फिर भाग गए। कुछ घंटों के भीतर उन सभी ने फेसबुक का उपयोग करते हुए भड़काऊ तस्वीरों को वायरल कर दिया। साफ है कि हिंसा योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दी गई थी। हिंसा में मुख्य रूप से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लाम के कुछ कार्यकर्ताओं की भूमिका थी”।

इतना सब कुछ होने के बावजूद यदि दिनेश पटनायक जैसे नौकरशाह ये दावा करते फिरते हैं कि बांग्लादेश के हिंदुओं की हत्या एक तुच्छ घटना है। हम भी उस Macaulay रूप मानसिकता से उबर नहीं पाए है, जो तुष्टीकरण को बढ़ावा देता है, और अपनी ही संस्कृति का क्षय अपने आँखों से होते हुए देखता  है।

Tags: पीएम मोदीबांग्लादेश
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