सनातन संस्कृति के आधुनिक संवाहक और राष्ट्रवादी नेटिजंस ने विरोध, दबाव और एकता की नयी विधा को जन्म दिया। यह विधा हिंदुओं के धार्मिक संस्कृति और परम्पराओं के अपमान के प्रतिकार स्वरूप सृजित हुई। सितंबर 2021 में आलिया भट्ट अभिनीत ‘कन्यामान’ विज्ञापन पर हिंदू भावनाओं को आहत करने का आरोप लगने के बाद भारतीय परिधान ब्रांड मान्यवर को नेटिज़न्स से आलोचना मिली। यह पहली बार नहीं था जब किसी ब्रांड को भारतीयों की ओर से ऐसी प्रतिक्रिया मिली हो। इससे पहले साल 2020 में ज्वेलरी ब्रांड तनिष्क को अपना विज्ञापन हटाना पड़ा था, जिसमें एक मुस्लिम परिवार हिंदू बहू के लिए गोद भराई की तैयारी कर रहा था। विज्ञापन पर ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था और जल्द ही “बॉयकॉट तनिष्क” ट्विटर पर वायरल हो गया था।
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फैब इंडिया का मामला
हाल ही में एक और परिधान ब्रांड को हिंदू भावनाओं को आहत करने के लिए सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया मिली। कुर्ता, साड़ी और भी तमाम परिधान बेचने वाले ‘फैब इंडिया’ ने भारतीय कपड़ा बाजार में अपनी पहचान बनाई है लेकिन इस कंपनी के एक ट्वीट से सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। फैब इंडिया की ओर से एक ट्वीट शेयर किया गया, जिसमें दीपावली के आगामी त्योहारी सीजन के दौरान खरीदारों को आकर्षित करने हेतु ‘जश्न-ए-रिवाज’ नामक कपड़ों के नए संस्करण की घोषणा की गई। कंपनी का उद्देश्य दिवाली परंपरा को तथाकथित “गंगा-जामुनी तहज़ीब” के माध्यम से इस्लामीकरण करना था।
जैसे ही नेटिजंस ने ट्वीट देखा दिवाली संग्रह को ‘जश्न-ए-रिवाज़’ कहने के लिए फैब इंडिया को सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ मिली। नेटिजंस ने दिवाली के इस्लामीकरण के लिए ‘फैब इंडिया’ को जिम्मेदार ठहराया। एक यूजर ने ट्वीट किया, “फैब इंडिया का स्वामित्व विलियम नंदा बिसेल के पास है…धर्मांतरित हिंदू, धर्म विरोधियों से ज्यादा खतरनाक होते हैं..वे भारत की हिंदू पहचान को कितना कम कर रहे हैं..चाहे तनिष्क ज्वेलरी हो या फैबइंडियान्यूज, सभी हिंदू विरोधी हैं..”
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एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा, “हमारा त्योहार दिवाली है लेकिन @FabindiaNews (फैब इंडिया) के अनुसार दिवाली को जश्न-ए-रिवाज कहा जाता है। इसलिए #BoycottFabIndiaNow वैसे भी उनके पास घटिया श्रेणी का संग्रह है।” इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर भाजपा नेताओं जैसे तेजस्वी सूर्या और एमएलए राजकुमार ने भी बड़े ही ज़ोर शोर से उठाया। हालांकि, फैब इंडिया ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि दिवाली के लिए हमारा अलग परिधान संग्रह है, जिसका नाम झिलमिल सी दिवाली है।
विराट कोहली विवाद
दूसरी ओर भारतीय कप्तान विराट कोहली ने रविवार को ट्विटर पर एक घोषणा करते हुए कहा कि अपने प्रियजनों के साथ “सार्थक” दिवाली कैसे मनाएं, इस पर जल्द ही “व्यक्तिगत सुझाव” साझा करेंगे। कोहली ने कहा, “यह दुनिया भर में हम सभी के लिए एक कठिन वर्ष रहा है, विशेष रूप से भारत में महामारी के दूसरे लहर के साथ। जैसा कि हम इस त्योहारी सीजन में दिवाली के लिए तैयार हो रहे हैं, मैं आपके साथ जश्न मनाने के लिए अपने कुछ सुझाव साझा कर रहा हूं।“
उनका यह ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और प्रशंसकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। कोहली को जमकर ट्रोल भी किया गया। कुछ नेटिजंस ने कोहली पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा कि भारत के कप्तान दिवाली के दौरान अनुष्का की ‘नो क्रैकर’ नीति को बढ़ावा दे रहे थे, लेकिन आईपीएल समारोह, नए साल और अन्य कार्यक्रमों के दौरान पटाखे फोड़ने पर वह कुछ नहीं कहते हैं। हालांकि, लोगों की प्रतिक्रिया के बाद कोहली को अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा।
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इन्हें स्टार हम बनाते हैं लेकिन अपमानित होने के लिए नहीं
उपर्युक्त दोनों घटनाओं में अनेकों समानताएं है, समानता दो प्रभावशाली लोगों के उद्यम का दिवालियापन और उनके चरित्र का…जिससे हिंदू दुराग्रह का भाव उपजा और दूसरा हिंदू जागृति और एकता के कारण इनमें डर का माहौल। डर होना भी चाहिए, डर जरूरी है, अगर आप हिंदू धर्म को अपमानित करने का कुत्सित प्रयास करते है। गौरतलब है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार है, यहां का प्रगतिशील समाज स्वयं को धार्मिक वर्गीकरण के आधार पर नहीं देखता परंतु, अगर हम ऐसे उद्यमों और नायकों के ब्रांड वैल्यू की बात करें तो यह सिर्फ और सिर्फ हिन्दू जनमानस द्वारा समर्थित हैं।
हिंदू समाज ने ही इन्हें सफलता और ऊंचाइयों के शिखर पर आसीन किया है। अगर हम हिंदू और मुस्लिम समाज के सामाजिक परिस्थिति का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो पाएंगे कि हिंदुओं की सामाजिक स्थिति जैसे- प्रति व्यक्ति आय, प्रसारण और व्यय मात्रक का औसत मुसलमानों से कहीं ज्यादा है। इसका मतलब हिंदुओं द्वारा अर्जित धन ही इनके उद्यम संचालन और प्रबंधन का आधार है। आप विराट कोहली को ही ले लीजिये, उनकी एक इंस्टाग्राम पोस्ट से होने वाली आय 2.5 करोड़ है। हाल ही में कोहली 120 मिलियन क्लब में शामिल होने वाले प्रथम भारतीय एथलीट हैं।
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आप स्वयं सोचिए इन्हें आधार कौन देता है? कौन इन्हें स्टार बनाता है? हम बनाते है, पर अपमानित होने के लिए नहीं। इनके तथाकथित बौद्धिकता की आड़ में हम अपने संस्कारों और पुरखों की सीख को नीचा नहीं दिखाने देंगे। यह सीख सिर्फ कोहली और फैब इंडिया के लिए नहीं है, यह सीख उन धर्मांध धर्म समर्थकों के लिए भी है, जो एक गुश्ताखी पर गर्दन उड़ाने की परंपरा का पालन करते है।
हमने उन्हें सिखाया की ‘आपका सम्मान तब तक, हमारा स्वाभिमान जब तक’ और विरोध का तरीका मर्यादित परिधि के अंदर तक। अगर आप जहर उगलते हैं तो देश की जागरुक जनता आपको छोड़ेगी नहीं।