इस समय कोविड के कारण प्राकृतिक संसाधनों की विकराल समस्या विश्व भर में उत्पन्न हुई है। इंग्लैंड में तेल की भारी किल्लत देखने को मिल रही है, तो वहीं चीन में कोयले की कमी के कारण बिजली का भारी संकट देखने को मिल रहा है। इसी बीच में भारत में भी खबरें आने लगी कि भारी कोयला संकट उत्पन्न हो गया है और इसके संबंध में दिल्ली, राजस्थान और पंजाब ने ‘स्थिति बिगड़ने’ पर बिजली कटौती की भी घोषणा कर दी है। लेकिन इन अफवाहों पर विराम लगाते हुए केंद्र सरकार ने इन अफवाहों को कोरी बकवास बताया, जिसके लिए उन्होंने अनेक तथ्य भी पेश किए।
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह एवं कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनता से तथ्य साझा करते हुए बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है। भारत के पास जो पावर स्टेशन में स्थित कोयला रिजर्व है, वो औसतन 4 दिनों से भी अधिक टिक सकता है, और इसे हर दिन बदला जा सकता है। केवल कोल इंडिया लिमिटेड [जो भारत को सर्वाधिक कोयला प्रदान करता है] के पास 43 मिलियन टन से अधिक का स्टॉक है, जो देश के समस्त पावर प्लांट्स की आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु 24 दिनों के लिए पर्याप्त है। ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने ये भी स्पष्ट बताया कि कोयला संकट की बात तो दूर, इसके कारण बिजली कटौती की अफवाहें भी कोरी बकवास हैं, जो केवल लोगों को भ्रमित करने हेतु फैलाई जा रही हैं –
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आरके सिंह अपने विश्लेषण में गलत भी नहीं है, क्योंकि इस विषय पर सर्वप्रथम हायतौबा मचाने का काम दिल्ली प्रांत के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने किया था। ‘कोयला संकट’ पर कथित तौर पर चिंता जताते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर दिल्ली की चिंताओं को ‘अनदेखा’ करने का आरोप लगाया –
लेकिन ऑक्सीजन सिलिन्डरों के फर्जी संकट की भांति केजरीवाल सरकार की पोल जल्द ही खुल गई। सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने तुरंत केजरीवाल सरकार के पुराने और नये ट्वीट खोज निकाले, जहां वे कोयला आधारित ऊर्जा का दिल्ली एवं दिल्ली के बाहर दोनों जगह विरोध करते हुए दिखाई दी थी। ये वही आम आदमी पार्टी है जो 2019 में छाती ठोंक के कहती थी कि दिल्ली में कोई भी कोयला आधारित बिजली संयंत्र नहीं है –
इसके अलावा अभी हाल ही में आम आदमी पार्टी गोवा में कोयले के उत्पादन के विरुद्ध विरोध करती नजर आई थी। इन दोहरे मापदंडों पर सोशल मीडिया यूज़र्स ने जमकर चुटकी ली और दिल्ली सरकार की आलोचना भी की –
https://twitter.com/hehehihi619/status/1447127811441889281?s=20
लेकिन अकेले दिल्ली सरकार नहीं है जो इस प्रकार की अफवाहें फैला रही हैं। पूरा वैश्विक मीडिया इस प्रकार की भ्रांतियाँ कई दिनों से फैला रहा है, मानो कुछ ही दिनों में भारतीयों के पास उपलब्ध सारा कोयला खत्म हो जाएगा और पूरा भारत अंधेरे में डूब जाएगा। क्या रॉयटर्स, क्या वाशिंगटन पोस्ट, सभी पोर्टल्स ऐसे कवरेज कर रहे हैं मानो भारत में बहुत भारी किल्लत है, जबकि भारी बरसात के बाद भी कोयले के उत्पादन में बढ़त दर्ज की गई है। विश्वास नहीं होता तो इन ट्वीट्स और लिंक्स को देखिए –
Energy is so hard to come by right now that some provinces in China are rationing electricity, power plants in India are on the verge of running out of coal, and the average price of a gallon of regular gasoline in the U.S. stood at $3.25 on Friday. https://t.co/a5X8MwUJOs
— The Washington Post (@washingtonpost) October 10, 2021
Global energy crisis: Gas prices soar in Europe as India and China warn of blackouts and Lebanon runs out of fuel completelyhttps://t.co/zY7u50ckYS
— LBC (@LBC) October 10, 2021
North Indian states have suffered electricity cuts and face further outages because of a lack of coal, an analysis of government data and interviews with residents found, contradicting government assurances there is enough power https://t.co/iRf6WUzX7L pic.twitter.com/EvwlEySOmr
— Reuters Asia (@ReutersAsia) October 8, 2021
ऐसे में स्थिति स्पष्ट है, समस्या पूरे संसार में है, परंतु भारत को बदनाम करने में वामपंथियों और भारत के विपक्षियों को जाने क्या विशेष आनंद मिलता है। सरकार के लाख आश्वासन देने के बाद भी वे जानबूझकर लोगों में एक फर्जी कोयला संकट का भय दिखाना चाहते हैं, ताकि उसके बल पर वे अपना उल्लू सीधा कर सकें।