लखीमपुर खीरी घटना की सच्चाई: कैसे लोगों के शवों पर राजनीतिक रोटी सेंक रही हैं प्रियंका गांधी?

प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस

(PC: Patrika)

भूख सभी को लगती है, यह सजीव होने का प्रमाण है। भूख कई प्रकार की होती है जैसे सफलता की भूख, खाने की भूख, परंतु कांग्रेस पार्टी की अघोषित सर्वेसर्वा प्रियंका गांधी की सत्ता की भूख है। ज्यादा दिन तक सत्ता से बाहर रहने के बाद उनकी यह भूख सनक में परिवर्तित हो गयी है। इसी स्वार्थ, सनक और सत्ता की भूख नें उन्हें गिद्धा बना दिया है जहां वो सत्ता की क्षुधा मिटाने हेतु ओछी राजनीति आमजन के शवों पर कर रही है।

चलिये, पूरी कहानी का संक्षिप्तीकरण करते हैं। उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तिकुनिया तहसील जिला लखीमपुर खीरी में एक समारोह के प्रयोजन से पहुंचने वाले थे। उस कार्यक्रम में गृह मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अजय मिश्राा के सुपुत्र आशीष मिश्रा भी सम्मिलित होने वाले थे। अतः तथाकथित किसानों और वास्तविक रूप से असामाजिक तत्वों ने महाराजा अग्रसेन हेलीपैड को घेर लिया। देखते देखते भीड़ उग्र हो गयी और वाहनों पर पथराव करने लगी। अनियंत्रित वाहन से 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, फिलहाल मामले की जांच चल रही है। दोनों पक्षों के अपने अपने तर्क है, कानून और प्रशासन काम पर है।

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परंतु, प्रियंका ने इस खबर को भोजन के समान देखा जो उनकी राजनीतिक क्षुधा को तृप्त कर सकती है। लंदन और लुटियन्स का आनंद लेने वाली प्रियंका घटना के बाद त्वरित रूप से लखनऊ पहुंची। चूंकि, इस राजनीतिक भोजन में कई दल अपना दाव जाता सकतें है अतः कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी के अन्य नेता सोमवार तड़के घटनास्थल की ओर रवाना हुए और आरोप लगाया कि उन्हें किसानों के विरोध के दौरान हुई हिंसा के पीड़ितों से मिलने से रोकने की कोशिश हो रही है।

प्रियंका गांधी, पार्टी नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा व अन्य लोगों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्गों का सहारा लिया, क्योंकि हिंसा प्रभावित क्षेत्र में तनाव के बीच मुख्य सड़कों पर भारी सुरक्षा तैनात की गई थी।  कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के हरगांव से गिरफ्तार कर लिया गया। सोमवार की सुबह करीब छह बजे जैसे ही प्रियंका सीतापुर जिले के हरगांव पहुंची तो उन्हें रोक लिया गया। महिला कांस्टेबल से मामूली हाथापाई के बाद प्रियंका ने गिरफ्तारी वारंट दिखाने की मांग के साथ-साथ कुछ बेतुके तर्क और बच्चों वाली दलीलें भी दीं जैसे पुलिस पर अपहरण का केस करने संबंधी, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उन्हें जिले के पीएसी कार्यालय ले जाया गया। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि प्रियंका द्वारा जांच को बाधित करने के प्रयास को उनके समर्थक बहुत बड़ी फाइटर  बताने में जुटे थे।

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प्रियंका गांधी ने इस दौरान जांच को भी बाधित करने का प्रयास किया। वैसे प्रियंका गांधी के लिए ये की नई बात भी नहीं है। अपने सोशल मीडिया एकाउंट से आम जनता को भ्रमित करना हो या किसी भी मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटी सेकनी हो अक्सर प्रियंका गांधी यही करती हैं जो बेहद शर्मनाक है।

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