उत्तर प्रदेश एटीएस (ATS) द्वारा बड़े पैमाने पर हो रहे धर्मांतरण का भंडाफोड़ किया जा रहा है। इस कड़ी में ATS ने महत्वपूर्ण बातें सार्वजनिक की है जो चिंताजनक है। ATS द्वारा यह बताया गया है कि लगभग 5 लाख लोगों का “जबरदस्ती धर्मांतरण” किया गया है। “हवाला नेटवर्क” और “यूके और खाड़ी देशों से” करोड़ों रुपये का निवेश भारत में धर्मातंरण के लिए आ रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह रैकेट असम समेत 24 राज्यों में चल रहा था।
Print की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार महीनों में एटीएस ने इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें मौलवी मौलाना कलीम सिद्दीकी शामिल हैं, जो मुजफ्फरनगर के फूलट में जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाता है। मौलवी मौलाना कलीम ने बताया कि उसके द्वारा संचालित ट्रस्टों से राशि प्राप्त हुई और ये विदेशी अधिनियम के अनुसार नहीं है जिसमें बहरीन से अवैध रूप से 1.5 करोड़ रुपये आये और अन्य खाड़ी देशों से 3 करोड़ रुपये के अलावा 20 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी। बता दें कि दिल्ली स्थित इस्लामिक दावा सेंटर (IDC) के संचालक उमर गौतम भी इसी मामले में गिरफ्तार हुआ था। वहीं, प्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में ये भी दिखाने का प्रयास किया है कि यूपी पुलिस की जांच तारकिक नहीं है। जैसे इस बिंदू को पढकर आप भी समझ जायेंगे, “दि प्रिंट ने उन 1,000 में से 25 लोगों का पता लगाकर उनसे संपर्क किया, जिन्होंने कहा कि उन्होंने ‘अपनी मर्ज़ी से’ मज़हब बदला है, और उन्हें ‘कभी मजबूर नहीं किया गया।”
वहीं पुलिस का कहना है यहां धन का लालच भी दिया गया है। एटीएस ने बताया कि इन लोगों ने आर्थिक लाभ और नौकरी का लालच देकर महिलाओं, बोलने और सुनने की क्षमता न रखने वाले लोगों सहित कमजोर और जरूरतमंद लोगों को लालच दिया और उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए राजी किया। ATS ने आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों ने भारत को “इस्लामिक राज्य” बनाने के लिए ऐसा किया है। ATS ने बताया है कि उसके पास उन 1,000 लोगों की सूची है, जिनका उमर गौतम ने जबरन धर्म परिवर्तन कराया था।
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20 जून को गौतम, IDC कार्यकर्ता काजी जहांगीर और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज हुए FIR में, ATS ने कहा कि उन्हें “राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक तत्वों” और कुछ “धार्मिक संगठनों” के बारे में जानकारी मिली है जो भारतीयों को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और अन्य विदेशी स्रोतों से धन का उपयोग कर रहे हैं। एटीएस के अनुसार, यह धर्मांतरण “जनसांख्यिकी को बदलने” और विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच “द्वेष पैदा करने” के लिए किया जा रहा था।
पिछले दो महीनों में पुलिस ने गिरफ्तार लोगों में से 10 के खिलाफ दो चार्जशीट दाखिल की है। इन व्यक्तियों के नाम गौतम, काजी जहांगीर, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, इरफान शेख, राहुल भोला, मन्नू यादव, प्रसाद रामेश्वर कावारे उर्फ आदम, कौसर आलम, भूरिया बंदो उर्फ अर्सलान और फ़राज़ शाह है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी एटीएस के पुलिस महानिरीक्षक गजेंद्र कुमार गोस्वामी ने इस मामले पर कहा, ‘भोला और यादव ख़ुद इस रैकेट के शिकार रहे हैं, और बाद में वो दूसरों को प्रभावित करने के काम में शामिल हो गए. वो सिद्दीक़ी और गौतम द्वारा चलाई जा रही इस मिली-भगत का मुख्य हिस्सा नहीं थे, बल्कि सिर्फ मोहरे थे’.
इन लोगों की चार्जशीट में कथित धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, दुश्मनी को बढ़ावा देने और अन्य धारायें शामिल हैं। उन पर उत्तर प्रदेश के नए गैरकानूनी धर्मांतरण कानून के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
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इससे पहले 28 सितंबर को भी उत्तर प्रदेश में हो रहे धर्मांतरण के चलते गिरफ्तारी हुई थी। वडोदरा अपराध शाखा ने दो आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी जिन्हें पहले उत्तर प्रदेश में एक कथित धर्म परिवर्तन रैकेट में गिरफ्तार किया गया था। वडोदरा के पुलिस आयुक्त शमशेर सिंह ने बताया था कि पिछले पांच सालों में आरोपियों को हवाला के जरिए 60 करोड़ रुपये मिले, जिसका इस्तेमाल सरकार विरोधी प्रदर्शनों में किया गया था।
शमशेर सिंह ने कहा था, “हवाला फंड दुबई के माध्यम से आता था। उन्हें एक ट्रस्ट के माध्यम से यूके, यूएसए और यूएई से विदेशी चंदा भी मिलता था। आरोपियों ने पांच राज्यों में 103 मस्जिदें भी बनाईं। उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनों के लिए हवाला फंडिंग का भी इस्तेमाल किया और सम्बंध जम्मू कश्मीर में भी है।”
उत्तरप्रदेश एटीएस द्वारा जिस प्रकार से खुलासे हो रहे हैं, ऐसा लगता है कि प्रदेश में भारी स्तर पर ऐसी गतिविधियों का बोलबाला है। अब जरूरी है कि सरकारी संस्थानों और पुलिस की सहायता से ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जाए और जबरन धर्म परिवर्तन को रोका जा सके।