त्रिशूल और वज्र: भारतीय सेना अब सनातनी हथियारों से चीनी सेना के छक्के छुड़ाएगी

PLA की अब खैर नहीं!

एस्ट्रान कंपनी त्रिशूल

अंतरराष्ट्रीय नियम कानून यह है कि अगर दो देशों की सीमा पर तनाव बढ़ता है तो उसे तब तक युद्ध नहीं माना जाएगा जब तक गोली नहीं चलती। इसी कायदे कानून के चलते गलवान में तनाव चर्म पर होने के बावजूद पर भी बंदूक नहीं चलाई गई क्योंकि दोनों ताकतवर देश युद्ध के परिणामों से बचना चाहते थे। खैर उस दौरान भी कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। अब आपके मन में भी ये सवाल होगा कि जब गोली चली ही नहीं तो वीरगति को प्राप्त कैसे हुए? असल में ऐसी स्थिति के लिए अन्य प्रकार के हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गलवान में चीनी पक्ष द्वारा कंटीले तारों का उपयोग किया जाना। भारतीय सेना लंबे समय से ऐसा ही कुछ ढूंढ रही थी जिसका इस्तेमाल कुछ परिस्थितियों में किया जा सके और अंत में वह त्रिशूल, व्रज के रूप में मिल गई है।

पिछले साल गलवान घाटी संघर्ष में चीनियों द्वारा इस्तेमाल किए गए नुकीले क्लबों और Tasers से मेल खाने के लिए “गैर-घातक हथियार” विकसित करने के कंपनी के दावे ने सोमवार को सोशल मीडिया पर बहुत ध्यान खींचा।

नोएडा स्थित एस्ट्रान कम्पनी के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, मोहित कुमार ने वज्र नाम से मेटल रोड, Tasers और त्रिशूल का प्रदर्शन किया और उसे भगवान शिव के हथियार से प्रेरित बताया। यह हथियार चीनी हथियारों को बौना बना देंगे। यह हथियार घातक है क्योंकि वह पौराणिक मान्यताओं के साथ-साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं।

मोहित कुमार ने यह बताया कि उनकी कंपनी को भारतीय सुरक्षा बल द्वारा चीनियों से निपटने के लिए इन हथियारों को विकसित करने के लिए कहा गया था।

उन्होंने ANI को बताया, ” चीन ने जब हमारे सैनिकों के खिलाफ गलवान संघर्ष में तार की छड़ें और Tasers का इस्तेमाल किया था तब हमें भारतीय सुरक्षाबलों के लिए गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था। हम तैनाती के दौरान अपने सैनिकों को पारंपरिक हथियार दे सकते हैं।”

यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन द्वारा इस्तेमाल किये गए पुराने हथियारों को बैलेंस करने के लिए यह बनाया गया है। अब इन तीन हथियारों के बारे में जान लीजिए।

वज्र और त्रिशूल

मोहित कुमार ने बताया, ” वज्र नाम से स्पाइक्स के साथ एक मेटल रोड Tasers विकसित किया गया है। इसका इस्तेमाल दुश्मन सैनिकों पर आक्रामक रूप से हमला करने के लिए, हाथ से मुकाबला करने के साथ-साथ उनके बुलेट प्रूफ वाहनों को पंचर करने के लिए भी किया जा सकता है।”

दूसरा हथियार त्रिशूल है जो भगवान शिव के हाथों में देखा जा सकता है। इस हथियार का इस्तेमाल दुश्मनों के वाहनों को रोकने के साथ-साथ रिस्ट्रिक्टेड एरिया में प्रवेश करने की कोशिश को रोकने के लिए किया जा सकता है।

सैपर पंच (Sapper Punch)

सैपर पंच उन्नत तकनीक की मिसाल है। यह एक दस्ताना है जिसमें करंट दिया जाता है। मोहित ने सैपर पंच दिखाते हुए कहा, “ऐसे उपकरण जिन्हें सर्दियों की सुरक्षा के दस्ताने की तरह पहना जा सकता है और “आक्रामक दुश्मन को वर्तमान निर्वहन के साथ एक या दो झटका देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अपने पारंपरिक हथियारों से प्रेरित ऐसे ही Tasers और गैर-घातक भी विकसित किए हैं।”

इन हथियारों का सामना करने के लिए चीन छोड़िए, कोई भी देश तैयार नहीं होगा। इतिहास से प्रेरित इन हथियारों से गैर घातक परिस्थितियों में सेना को बहुत लाभ प्राप्त होगा और यह चीनियों हथियारों को बेकार साबित करने में सक्षम साबित होगा।

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