वो गेहूं पिसवाने की बात कर रहे थे, लेकिन यहां तो सीधे रोटी ही सिक गई, लेकिन आप सोच रहे होंगे, कि ये क्या बात हो गई, ये बात है 5G और 6G से जुड़ी। देश तैयारी कर रहा है, कि कैसे 5G नेटवर्क को तैयार किया जाए, इसके लिए सेटअप तैयार किया जा रहा है। इसी बीच अब खबरें आ रही हैं कि देश 6G की ओर बढ़ सकता है। एक तरफ 5G रोलआउट की तैयारी हो रही है, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार 6G की ओर बढ़ चली है। ऐसे में डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशंस (DoT) ने 6G (सिक्स्थ जेनरेशन) टेक्नोलॉजी पर फोकस करने के लिए एक टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप बनाया है, जो देश में 6G के आगमन का इशारा कर रहा है।
बना दी गई है कमेटी
6G के लिए केंद्र सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। इस कमेटी को लेकर ख़बरें हैं कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में टेलीकॉम सेक्रेटरी के. राजारमन बतौर चेयरपर्सन इस टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप की अगुवाई करेंगे। खबरों के मुताबिक यह फोरम, 6G टेक्नोलॉजी के लिए विजन और ऑब्जेक्टिव्स तैयार करने का काम करेगा। इसके साथ ही, 6G टेक्नोलॉजी के रिसर्च एंड डिवेलपमेंट (R&D) का रोडमैप डिवेलप करेगा। इसके अलावा, यह ग्रुप 6G के लिए प्री-स्टैंडर्डाइजेशन, एप्लीकेशंस और प्रॉडक्ट्स डिवेलपमेंट की रूपरेखा भी तैयार करेगा।
इस मामले में मंत्रालय द्वारा जो मेमोरेंडम बताया गय, “भारत को 6G स्पेस में अगुवा बनने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए सरकार, इंडस्ट्री और टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स की तरफ से सहयोगपूर्ण प्रयास की जरूरत होगी।” खास बात ये है कि सरकार द्वारा बनाए गए टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप में 22 मेंबर शामिल हैं। जुलाई 2020 में पुणे इंटरनेशनल सेंटर के संस्थापक ट्रस्टी लेफ्टिनेंट जनरल एसएस मेहता (सेवानिवृत्त) द्वारा लिखे गए एक ओपिनियन पीस में भारत में 6G तकनीक को अपनाने की आवश्यकता को इंगित किया था।
महत्वपूर्ण है तकनीक
जनरल मेहता ने इस मुद्दे पर कहा, “6G एक महान कदम है, यह एक संकेत है कि हम दूरसंचार में वैशिष्ट्य स्तर पर नेतृत्वकर्ता बनने की भूमिका में आने की तैयारी कर रहे हैं। भारत में रक्षा सेवाओं के पास 6G के लिए प्रायोगिक परियोजनाओं को शुरू करने, विस्तार करने और क्षेत्र में लाने और फिर उन्हें अपने सिद्धांतों में एकीकृत करने की क्षमता और क्षमता है।”
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गौरतलब है कि अप्रैल में, अमेरिका और जापान के एक संयुक्त बयान में 6G को विकसित करने के लिए $4.5 बिलियन के प्रयास का ऐलान किया है। खास बात ये है कि भारत का यह कदम ऐसे समय में आया है जब यूएस हाउस कमेटी ऑन एनर्जी एंड कॉमर्स ने एक विधेयक पारित किया है, जिसके लिए फेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन (FCC) को 6G को डिजाइन और तैनात करने के तरीके की जांच के लिए “6G टास्क फोर्स” स्थापित करने की आवश्यकता का उल्लेख किया गया है।
भारत सरकार का ये रवैया दिखाता है कि भारत को डिजिटल माध्यम में वैश्विक शक्ति बनाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जो कि भारत को अमेरिका और चीन के बराबर न केवल खड़ा करेंगे, अपितु उनसे आगे निकलने में भी मददगार होंगे।