कुछ लोगों के जीवन का खर्चापानी ही ‘कौवा कान ले गया’ जैसी अफवाहें फैलाकर चलता है। कुछ ऐसे ही लोग हमारे कथित पर्यावरण कार्यकर्ता, जो बातें तो पर्यावरण के रक्षा की करते हैं, पर इनका असल उद्देश्य तो कुछ और ही है। किसी भी अपरिचित घटना को पर्यावरण को होने वाले नुकसान से जोड़ने का जो नशा इन लोगों के सर पर सवार रहता है, उसके बारे में जितना बोलें, उतना कम पड़ेगा। ऐसा ही एक गुट अब सामने आया है, जो बर्ड फ्लू से मारे जा रहे पंछियों को जिओ के 5जी ट्रायल से जोड़ने का प्रयास किया है।
जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। रिलायंस जिओ के प्रस्तावित 5 जी तकनीक के ट्रायल को हाल ही में मारे जा रहे पक्षियों से जोड़ा गया है। इन 5 स्टार पर्यावरण कार्यकर्ताओं, जिनके पास हर परियोजना को पर्यावरण के कथित नुकसान के तराजू से तोलकर उसे प्रतिबंधित कराने के अलावा कोई काम नहीं है, एक बार फिर एक कंपनी के मोबाइल तकनीक ट्रायल्स को निशाना बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि आपको विश्वास नहीं होता तो इन ट्वीट्स को गौर से समझिए
Birds die.
Is there bird flu or 5G testing is going on. Because the large number of pigeons that suddenly died in Korba do not have symptoms of bird flu. Such animal ornithologists say.— Santosh Yadav (@yogasarthi) January 9, 2021
#jio की 5G network टेस्टिंग से पंछी मर रहे हैं!!
और कमबख्त बोल रहे हैं #bird_Flu 🕊️ चल रहा है!!@prof_shak ✍️— Dr Mohd Shakir Khan ( 25K ) (@prof_shak) January 11, 2021
कुछ व्यक्तियों का मानना है कि बर्ड फ्लू तो बस बहाना है, असल में ये पक्षी रिलायंस जिओ के 5जी ट्रायल्स से मार रहे हैं। एक ट्विटर यूजर मोहम्मद शाकिर खान ने यहाँ तक ट्वीट किया, “जिओ की 5जी टेस्टिंग से पंछी मर रहे हैं, और कमबख्त बोल रहे हैं कि बर्ड फ्लू चल रहा है।”
लेकिन क्या यही सच है? बिल्कुल भी नहीं। ट्रायल कराना तो दूर की बात, रिलायंस जिओ के 5 जी ट्रायल्स को अभी सरकार से आधिकारिक स्वीकृति भी नहीं मिली है। स्वयं मुकेश अंबानी ने पिछले वर्ष एक ट्वीट में कहा था कि रिलायंस जिओ के 5 जी ट्रायल्स सभी स्वीकृतियाँ मिलने के बाद 2021 के मध्य में शुरू होंगे
मतलब सूत न कपास और जुलाहे में लट्ठम लट्ठ। अभी ट्रायल को स्वीकृति भी नहीं मिली है, और पहले से ही जिओ को पक्षियों के मारे जाने के लिए कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। इसके अलावा इनका एजेंडा भी ओरिजनल नहीं है। 2018 में नीदरलैंड्स में भी 5जी तकनीक के ट्रायल से पहले कुछ इस प्रकार से अफवाहें फैलाई गई थी। तब स्नोप्स नामक वेबसाइट ने एक विस्तृत विश्लेषण में इन अफवाहों को ध्वस्त किया था
लेकिन इन मौसमी पर्यावरणविदों को हल्के में लेने की भूल न की जाए। इन्ही लोगों के कारण भारत के तांबे उद्योग को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है, और इन्ही के कारण आज भारत तांबे के निर्यातक से तांबे के आयातक में परिवर्तित हो चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को इन मौसमी पर्यावरणविदों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।