उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की तिथि जिस तरह से निकट आ रही है, ठीक उसी तरह से प्रदेश में राजनीतिक पारा बढ़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश का चुनाव वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के सेमी फाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश के तमाम राजनीतिक दल चुनाव के प्रचार- प्रसार में जुट गए हैं ।
यह चुनाव सिर्फ भाजपा के लिए हीं महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है क्योकिं भाजपा जैसी विशाल पार्टी से सामना करना दूसरी पार्टियों के लिए थोड़ा-सा भी आसान नहीं आ रहा है। अभी हाल के दिनों में अखिलेश यादव ने 31 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और मुहम्मद अली जिन्ना जैसे नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाई थी।
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अखिलेश यादव ने देश के वीर जननेताओं का अपमान किया है
इस टिप्पणी के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा नेताओं ने अखिलेश यादव को निशाना बनाया और उनसे इस मुद्दे पर देश से माफी मांगने को कहा। इस मुद्दे को भाजपा ने हाथो-हाथ लिया और सपा मुखिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गाँधी,नेहरू और पटेल की तुलना देश का बंटवारा और हिन्दुओं का जनसंहार करने वाले जिन्ना के साथ करके अखिलेश यादव ने देश के वीर जननेताओं का अपमान किया है।
अभी मामला पूरा ठंडा भी नहीं हुआ था कि समाजवादी पार्टी के एक और सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि देश का कोई विभाजन नहीं होता अगर मुहम्मद अली जिन्ना को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया जाता। समाजवादी पार्टी (SP) द्वारा पाकिस्तान के संस्थापक पर अखिलेश यादव की टिप्पणी और ओम प्रकाश राजभर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, यूपी के कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता अनिल राजभर ने आरोप लगाया कि ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के कहने पर बयान दिया।
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भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में फायदा पहुंचेगा
पिछले कुछ दिनों में, जिन्ना के नाम की चर्चा से भारतीय जनता पार्टी को एक ब्रह्मास्त्र मिल गया है, जिसे भाजपा ने राष्ट्रवाद से जोड़ दिया है और तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर करारा प्रहार कर रही है। भाजपा राजभर जैसे नेताओं को देश विरोधी तक बता रही है। अब जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को होने में कुछ महीने हीं बाकी है, विपक्षी पार्टियों के तरफ से इस तरह के बयान का सामने आना, भारतीय जनता पार्टी को अंदर ही अंदर खुश कर रहा है। वहीं राजभर जैसे क्षेत्रीय नेता द्वारा जिन्ना समर्थित सोच वाले लोगों को लुभाने के लिए दिए गए बयान को देशभक्त समाज कभी सहन नहीं करेगा और ऐसे मुद्दे के कारण भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में फायदा पहुंचेगा।
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में कमल खिलेगा या साइकिल चलेगा?
अब तो जैसे-जैसे चुनाव का दिन निकट आ रहा है, नेताओं द्वारा इस तरह के भाषण सामने आते रहेंगे किन्तु इससे यह स्पष्ट हो गया है कि जिन्ना का नाम लेकर अखिलेश और राजभर ने बैठे-बिठाए भाजपा को एक चुनावी मुद्दा दे दिया है, हालाकिं, इस मुद्दे के उछलने के बाद, हिन्दू-मुस्लिम का ध्रुवीकरण होगा। वहीं भाजपा राष्ट्रवादी भावनाओं को ठेस ना पहुचें इसको लेकर सजग है। अंततः चुनाव होने के बाद हीं पता चलेगा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कमल खिलेगा या साइकिल चलेगा।