पेश है ईसाईयों के धर्मान्तरण को रोकने हेतु कर्नाटक की भाजपा सरकार का मास्टर प्लान

मस्त प्लान है!

कर्नाटक धर्मांतरण

भारत के दक्षिणी हिस्से में ईसाई मिशनरियों द्वारा किया जा रहा हिंदुओं का धर्मांतरण एक प्रमुख समस्या बन चुका है। प्रतिदिन ही धर्मांतरण की खबरे सामने आती रहती हैं, किंतु अब कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी की सरकार तथा प्रदेश इकाई के प्रयासों के कारण ईसाई मिशनरियों को नियंत्रित करने के लिए अभियान शुरू हो चुका है। कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने न केवल राज्य में चर्चों और पादरियों के ‘सर्वेक्षण’ का आदेश दिया था, बल्कि कम से कम एक जिले के सामान्य ईसाइयों के सर्वे का भी आदेश दिया है।

The Quint की रिपोर्ट के अनुसार चित्रदुर्ग जिले के होसदुर्ग तालुक के तहसीलदार ने एक आदेश जारी कर राजस्व अधिकारियों को “ईसाई धर्म में परिवर्तित हिंदुओं” को का पता लगाने के लिए “डोर-टू-डोर” सर्वे करने के लिए कहा। यानी इस जिले में घर घर जा कर यह पता लगाया जाएगा कि किन लोगों ने अपना धर्म परिवर्तन किया है।

पहले ही दिया जा चुका है राज्य में चर्चों और पादरियों के ‘सर्वेक्षण’ का आदेश

इससे पहले भाजपा सरकार ने आधिकारिक रूप से आदेश जारी करते हुए चर्च व पादरियों की गतिविधियों के संदर्भ में सर्वे एवं जांच के आदेश दिए थे। सर्वे का उद्देश्य उन हिन्दूओं के बारे में पता करना था जो परिवर्तित होकर ईसाई बन गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक में पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण संबंधी विधायी समिति ने जबरन धर्मांतरण की शिकायत आने पर अधिकृत और अनधिकृत चर्च, उनके पुजारियों का सर्वेक्षण करने और मामले दर्ज करने का आदेश दिया था। समिति के एक सदस्य गुलिहत्ती शेखर ने शुक्रवार को बताया, ‘हमने जिला अधिकारियों से अधिकृत और अनधिकृत चर्चों और पादरियों की संख्‍या के बारे में भी रिपोर्ट देने को कहा है।’ तालुकेदार को दिए गए आदेश पहले राज्य की माइनॉरिटी कमीशन और इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा दो बार सर्वे किए जा चुके हैं।

21 सितंबर कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा जनेंद्र ने राज्य विधानसभा में घोषणा की कि सरकार धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए एक नया कानून लाने की योजना है। मंत्री ने बताया कि यह ईसाई धर्म में ‘अवैध और जबरन’ धर्मांतरण के आरोपों के जवाब में था।

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विपक्षी नेताओं को भी अब मजबूरन उठाना पड़ रहा है आवाज

स्पष्ट है कि कर्नाटक सरकार ने ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जाने वाले हिंदुओं के परिवर्तन के विरुद्ध युद्ध स्तर पर अभियान छेड़ रखा है। इसका प्रभाव पूरे राजनीतिक विमर्श पड़ रहा है जिस कारण कांग्रेस के वीरशैव लिंगायत नेताओं को भी खुलकर ईसाई मिशनरियों के विरुद्ध आवाज उठानी पड़ रही है। इसके लिए न केवल प्रशासनिक स्तर पर प्रयास हो रहा है बल्कि जनजागृति के दबाव में विपक्षी दलों को भी धर्मांतरण के मामले पर भाजपा की लाइन पकड़नी पड़ रही है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया वीरशैवा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कांग्रेस के बड़े नेता तथा वर्तमान विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा ने राज्य स्तर जिला स्तर और तालुके स्तर पर कार्य करने वाले सभी बड़े अधिकारियों को पत्र लिखकर उनसे हिंदुओं के धर्मांतरण की जांच करने को कहा है। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि जो लोग हिंदू धर्म को छोड़कर ईसाई बने हैं, उन्हें पुनः हिंदू धर्म में प्रवेश दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर सहायता का प्रबंध होना चाहिए।

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15 नवंबर को लिखा यह पत्र तब सामने आया है जब कर्नाटक की भाजपा सरकार विधानसभा में धर्मांतरण के विरुद्ध एक कड़ा कानून लाने वाली है। पत्र में लिखा है, “यह चिंता का विषय है कि राज्य के कुछ हिस्सों में, हमारे लोग विभिन्न प्रभावों के कारण ईसाई और अन्य मतों में परिवर्तित हो रहे हैं।” पत्र में आगे लिखा है “आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने वाले तथा व्यक्तिगत मुद्दों से जूझ रहे… निर्दोष लोगों को दूरदर्शिता की कमी के कारण हमारी महान परंपरा को छोड़ने और अन्य धर्मों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, आपको अपने क्षेत्र के मठाधीशों, संतों के संपर्क में रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह के मतांतरण न हों। आपको उन लोगों को वापस लाने के लिए भी कार्यक्रम तैयार करना चाहिए जो परिवर्तित हो गए हैं।”

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कर्नाटक भाजपा के प्रयास भारत के दक्षिणी हिस्से के लिए क्रांतिकारी सिद्ध हो सकते हैं। अगर एक बार ईसाई मिशनरियों के प्रयासों को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कार्यवाही शुरू हो जाएगी तो दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी राज्य सरकार से ऐसी मांग उठाई जाएगी। हम पहले भी देख चुके हैं कि कैसे तेलंगाना में भाजपा की ओर से आक्रामक हिंदुत्व की राजनीति आगे बढ़ाने के कारण TDP को भी सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पकड़नी पड़ी है। अतः यह भी संभव है कि कर्नाटक के बाद तेलंगाना में हिंदुओं की ओर से ईसाई मिशनरियों के विरुद्ध इसी प्रकार की कार्यवाही की मांग उठी तथा अन्य राज्य भी इसी मार्ग का अनुसरण करें।

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