यशराज फिल्म्स के बहुप्रतिष्ठित प्रोजेक्ट ‘पृथ्वीराज’ से निकले यह संवाद बताने के लिए पर्याप्त है कि भारतीय सिनेमा देश के वास्तविक नायकों के चित्रण की दिशा में किस प्रकार से सकारात्मक कदम ले रहा है। यशराज फिल्म्स द्वारा बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पृथ्वीराज’ 21 जनवरी 2022 से प्रदर्शित होने को तैयार है, जिसमें अक्षय कुमार भारत के प्रख्यात योद्धा, पृथ्वीराज चौहान के रूप में दिखाई देंगे। परन्तु यही एकमात्र बात नहीं है। इस फिल्म का लेखन और निर्देशन एक ऐसे व्यक्ति ने किया है जो अपने तथ्यपरक एवं प्रभावशाली फिल्मों एवं सीरियलों के लिए भारत समेतकई अन्य देशों में काफी चर्चित हैं, ये कोई और नहीं, डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी हैं, जो अब बॉक्स ऑफिस पर ‘पृथ्वीराज’ लेकर आने वाले हैं।
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‘सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ की भूमिका में दिखेंगे अभिनेता अक्षय कुमार
अगर बाते करें फिल्म के पठकथा की, तो अभिनेता अक्षय कुमार अपनी मुख्य भूमिका‘पृथ्वीराज’ के रूप में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कथा को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करेंगे, वहीं पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर राजकुमारी संयोगिता की भूमिका निभाएंगी, और इनका साथ देंगे आशुतोष राणा, संजय दत्त, सोनू सूद, मानव विज जैसे कलाकार।
भारतीय सिनेमा के चाणक्य हैं डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी
डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी कौन हैं? यदि आप इन्हें नहीं जानते, तो भारतीय सिनेमा, विशेषकर भारतीय टेलिविज़न के एक गौरवशाली युग से आप अपरिचित हैं। डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने ही 1990 के दशक में आचार्य चाणक्य पर आधारित सुप्रसिद्ध टीवी सीरीज़ ‘चाणक्य’ को लेकर आये थे। अनेक बाधाओं और तत्कालीन वामपंथी प्रशासन द्वारा अनेक प्रकार की अडचनें और प्रतिबन्ध डालने के बाद भी डॉक्टर द्विवेदी अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए। स्वयं आचार्य चाणक्य की भूमिका निभाते हुए डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने इस सीरीज़ को विश्वप्रसिद्ध बनाया, और आज भी लोग इस सीरीज़ की प्रशंसा करते नहीं थकते हैं।
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‘चाणक्य’ के अलावा डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने ‘उपनिषद गंगा’, ‘मृत्युंजय’ जैसे सीरियल और ‘पिंजर’, ‘मोहल्ला अस्सी’ जैसे फिल्मों का निर्देशन भी किया। ‘पिंजर’ के लिए इन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है, क्योंकि ‘ग़दर’ के अलावा ये एकमात्र ऐसी फिल्म है, जिसने कम से कम पूर्ण निष्पक्षता से भारत के विभाजन को चित्रित भी किया।
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भारतीय सिनेमा में अपनी अलग छाप छोड़ने में सफल रहेंगे डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी
डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी उन निर्देशकों में भी शामिल हैं, जो सही को सही और गलत को गलत दिखाने का साहस भी रखते हैं। 2018 में प्रदर्शित उनकी अंतिम फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ का विषय और चित्रण जैसा भी हो, पर भारतीय सिनेमाई इतिहास के उन चन्द फिल्मों में से एक है, जिसमें उन्होंने न केवल राम जन्मभूमि आन्दोलन का निष्पक्ष चित्रण किया, अपितु ये भी प्रदर्शित किया कि कैसे निहत्थे, निर्दोष रामभक्तों पर तत्कालीन प्रशासन ने क्रूरता से गोलियां चलवाई थी। ऐसे में, जब ऐसे स्पष्ट सोच के व्यक्ति स्वयं इतने महत्वपूर्ण फिल्म के निर्देशन और लेखन का कार्य संभाल रहे हों, तो आप स्पष्ट समझ सकते हैं कि ‘पृथ्वीराज’ में इतिहास का कैसा रूप देखने को मिल सकता है।
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पिछले कुछ वर्षों में ऐतिहासिक विषयों को लेकर बॉलीवुड ने अपने चित्रण में व्यापक बदलाव लाने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किया है, चाहे ‘उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक’ हो, ‘द ताशकंद फाइल्स’ हो, या फिर ‘शेरशाह’ हो, बॉलीवुड धीरे धीरे ही सही, परन्तु अब वास्तविक नायकों के साथ न्याय करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हालाँकि अभी भी ‘भुज’और ‘सरदार उधम’ जैसे कलंक ढोने पड़ते हैं, परन्तु यदि डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी अपने स्वभाव के अनुरूप ‘पृथ्वीराज’ के साथ न्याय करने में सफल रहे, तो वे एक बार फिर भारतीय सिनेमा में अपनी अलग छाप छोड़ने में सफल रहेंगे!