लंदन, न्यूयॉर्क, सिडनी और लॉस एंजिल्स में चीन की रियल एस्टेट परियोजनाएं धूल फांक रही हैं

धराशायी होते जा रही हैं चीन की वैश्विक रियल एस्टेट कंपनियां!

चीन रियल एस्टेट

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चीन में चल रहा रियल एस्टेट संकट अब चीन की सीमाओं को लांघ पश्चिमी दुनिया में चीन की प्रतिष्ठा और सॉफ्ट पावर को नष्ट कर रहा है। रॉयटर्स के मुताबिक चीन के रियल एस्टेट का संकट अब लंदन, न्यूयॉर्क और सिडनी जैसे शीर्ष अंतरराष्ट्रीय शहरों में कुछ प्रतिष्ठित मेगा-प्रोजेक्ट्स के लिए परेशानी का सबब बन सकता है, क्योंकि संबंधित डेवलपर्स अब नकदी के लिए तरस रहे हैं।

दरअसल, चीनी रियल एस्टेट दिग्गजों ने पिछले एक दशक में दुनिया भर में ऊंची गगनचुंबी इमारतों के निर्माण के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा किया है। लेकिन चीन में चल रहे कर्ज संकट और चीनी रियल एस्टेट की बड़ी कंपनियों के डूबने के कारण, ऐसा लगता है कि अब उन्हें अपने कर्ज को पूरा करने के लिए अपनी संपत्ति बेचनी होगी।

उदाहरण के लिए शंघाई स्थित ग्रीनलैंड होल्डिंग्स को देखें, तो यह एवरग्रांडे की तरह ही अपनी बैलेंस शीट में बढ़ते ऋण के कारण नाजुक स्थिति में है। इस कंपनी ने सिडनी के सबसे ऊंचे आवासीय टॉवर सहित कुछ प्रमुख परियोजनाओं का निर्माण किया है। यही नहीं, यह कंपनी लंदन में भी ऐसा ही करने की योजना बना रही है और ब्रुकलिन, लॉस एंजिल्स, पेरिस और टोरंटो जैसे दुनिया भर के कुछ सबसे बड़े हाई-प्रोफाइल शहरों में अरबों डॉलर की परियोजनाओं में शामिल है।

ग्रीनलैंड होल्डिंग्स ने वादा किया है कि कंपनी 235 मीटर ऊंचे Spire London tower सहित अपनी प्रमुख परियोजनाओं को अंतिम स्वरुप देगी। हालांकि, अब कंपनी की हालत बिगड़ रही है और इसे इस साल की शुरुआत में ही लंदन की अपनी एक प्रमुख साइट को बिक्री के लिए रखना पड़ा था।

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डिफॉल्ट हो चुकी हैं कई चीनी कंपनियां

ग्रीनलैंड होल्डिंग्स तो सिर्फ एक उदाहरण है। इसके अलावा कई अन्य कंपनियां, अपना ऋण पूरा करने के लिए अपनी संपत्ति बेचने की कोशिशों में लगी हुई हैं। एवरग्रांडे और Kaisa Group, जो 2015 में डिफॉल्ट हो चुका था, वो अपनी अल्पावधि देनदारियों को पूरा करने के लिए हांगकांग की इमारतों को बेचने पर विचार कर रहे हैं। दूसरी ओर, Oceanwide Holdings के सैन फ्रांसिस्को के सबसे ऊंचे टॉवर को असंतुष्ट लेनदारों ने जब्त कर लिया था।

कई चीनी फर्मों ने नए टॉवर के निर्माण के लिए प्रमुख स्थानों को सुरक्षित करने के लिए बाजार दरों से अधिक का भुगतान किया था। हालांकि, अब उनके पास आगामी देनदारियों को पूरा करने के लिए फूटी कौड़ी नहीं बची है। इन चीनी फर्मों को Liquidity प्राप्त करने के लिए अपनी संपत्ति बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

R&F पर 8 अरब डॉलर का कर्ज

एक अन्य प्रमुख चीनी रियल एस्टेट डेवलपर Guangzhou R&F Properties भी जांच के दायरे में आ गया है, क्योंकि ये भी एक बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जो चीन के रियल एस्टेट संकट को दर्शाता है। डेवलपर के पास वर्तमान में लंदन में दो अधूरी परियोजनाएं हैं, जिनमें से एक में टेम्स सहित प्रमुख स्थान पर एक दर्जनों गगनचुंबी इमारतें शामिल हैं। यही नहीं इस समूह की ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में भी कई इमारतें हैं।

आर एंड एफ के एक प्रवक्ता ने दावा किया कि वे सभी ब्रिटिश परियोजनाओं के लिए “पूरी तरह से प्रतिबद्ध” है। हालांकि, स्थिति वास्तव में खराब है क्योंकि Guangzhou R&F Properties के पास करीब 8 अरब डॉलर का कर्ज है। इससे भी बुरी बात यह है कि पिछले महीने साल-दर-साल बिक्री में लगभग 30% की गिरावट आई है। जिसके बाद प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का मानना ​​​​है कि Guangzhou R&F Properties को अब अपने कुछ निवेशों को बेचने की आवश्यकता होगी। फिच का अनुमान है कि इस रियल एस्टेट समूह के पास 130 अरब डॉलर की संपत्ति है, जो बेची जा सकती है।

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सदमें में है चीनी रियल एस्टेट

चीनी रियल एस्टेट क्षेत्र ने 2013 से 2018 तक अभूतपूर्व और अनियंत्रित वृद्धि देखी थी। सीएम डेवलपर्स ने अकेले 2018 के दौरान लंदन की परियोजनाओं में 38 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया था। हालांकि, 2021 की पहली छमाही में, कंपनी ने लंदन की परियोजनाओं पर केवल 2 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए हैं। यह 2012 के बाद से लंदन की रियल एस्टेट बाजार में सबसे कम चीनी निवेश है।

वैश्विक चीनी रियल एस्टेट कंपनियां, दिग्गज एवरग्रांडे समूह के पतन और बीजिंग द्वारा अपनी रियल एस्टेट फर्मों द्वारा उधार लेने पर प्रतिबंधों से परेशान हैं। चार डेवलपर्स- Modern Land China, Fantasia Holdings, Sinic Holdings, और China Properties का डिफॉल्ट करना दिखाता है कि चीनी रियल एस्टेट का बाजार सदमें में है। हाल ही में, एवरग्रांडे ग्रुप ने समय पर कूपन भुगतान करके खुद को डिफ़ॉल्ट होने से बचा लिया था।

वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने पिछले महीने रिकॉर्ड 44 चीनी डेवलपर्स के स्कोर को कम कर दिया था। पिछले कई वर्षों से बीजिंग पश्चिमी देशों में सबसे ऊंची गगनचुंबी इमारतों पर अपना पदचिह्न छोड़ना चाहता था। हालांकि, अब ऐसा लगता है कि चीन का अपने सॉफ्ट पावर को बढ़ाने का यह तरीका, उसे ही ले डूबेगा।

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