देश में हिंदुओं की आबादी 80 फीसदी के करीब है, लेकिन ये काफी पहले से ही देखने को मिलता रहा है कि किसी भी मामले में इनका जोर नहीं चलता। वहीं, दूसरी ओर अल्पसंख्यक, विशेषकर मु्स्लिम समुदाय को सरकार और प्रशासन से अपनी बात मनवाने के लिए ज्यादा पापड़ नहीं बेलने पड़ते! ये सत्य है कि अल्पसंख्यक तुष्टीकरण ने सदैव देश को हानि पहुंचाई है। आज इसी का परिणाम है कि कई समुदाय सड़कों और सार्वजनिक संपत्तियों को अपनी निजी संपत्ति समझकर अपनी रीतियों का अनुसरण करते दिखते हैं। भारत में उदारवादी जनता की कोशिश रहती है कि देश में धर्मनिरपेक्षता बरकरार रहे। ये कोशिश आज से नहीं, वर्षो से चल रही है लेकिन यह कोशिश अक्सर एक तरफा ही होती है। पिछले कुछ महीने से बीजेपी शासित हरियाणा से सार्वजनिक स्थलों पर नमाज को लेकर लगातार खबरें सामने आ रही हैं, जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है।
खेल के मैदान में नमाज अदा करने की कोशिश
दरअसल, हाल ही में गुरुग्राम से सार्वजनिक स्थल पर नमाज अदा करने को लेकर स्थानीय लोग और अल्पसंख्यर समुदाय के बीच विवाद छिड़ गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को इस मामले में बीच-बचाव करना पड़ा। इस विवाद की शुरुआत गुरुग्राम के सेक्टर-37 में हुई, जहां 15-20 लोगों ने एक खेल के मैदान में नमाज अदा करने की कोशिश की। जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध जताया और उस सार्वजनिक संपत्ति पर नमाज ना होने देने के लिए प्रदर्शन करना भी शुरु कर दिया।
जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पुलिस स्टेशन ले जाकर पूछताछ किया। पुलिस के मुताबिक पूछताछ के दौरान प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि वे साइट पर क्रिकेट खेलना चाहते थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे अगले सप्ताह से साइट पर नमाज की अनुमति नहीं देंगे। ऐसे में अब आने वाले जुम्मे को फिर किसी ना किसी बवाल की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, जिस साइट पर यह बवाल मचा, वो सार्वजनिक संपत्ति उन स्थानों की सूची में शामिल है, जहां प्रशासन ने नमाज अदा करने की अनुमति पहले से ही दे रखी है।
आपको बताते चलें कि जिला प्रशासन द्वारा 37 सार्वजनिक स्थलों पर मुस्लिम समुदाय को नमाज की अनुमति दी गई थी। उन जगहों पर शुरुआत में 10-15 लोग नमाज पढ़ने के लिए जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या ज्यादा होने लगी। जिसे लेकर स्थानीय लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो गया। फिर स्थानीय लोगों ने इसे लेकर विरोध जताया, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने 37 में से 8 स्थलों पर नमाज की अनुमति वापस ले ली थी। ऐसे में स्थानीय लोगों के प्रदर्शन के बाद अब इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि सेक्टर-37 के इस साइट पर भी नमाज की अनुमति को प्रशासन द्वारा वापस लिया जा सकता है।
गुरुद्वारे में नहीं पढ़ी गई नमाज
गुरुग्राम में पिछले कुछ हफ़्तों से हिन्दू समुदाय द्वारा खुले में सरकारी सम्पति पर नमाज पढ़ने का विरोध किया जा रहा है। जिसके बाद गुरुद्वारा समिति द्वारा यह पेशकश की गई थी कि मुसलमान चाहे तो गुरुद्वारे में नमाज पढ़ सकते हैं। बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज भी होनी थी। लेकिन शुक्रवार को गुरुग्राम में गुरुद्वारा सिंह सभा में नमाज अदा नहीं की गई, क्योंकि सिख समुदाय के कुछ सदस्यों ने वहां मुस्लिमों को नमाज अदा करने की अनुमति देने के गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि अगर गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने मंदिर परिसर में नमाज अदा करने के फैसले को आगे बढ़ाया, तो वे इसका विरोध करेंगे। नतीजतन गुरुद्वारे में भी नमाज नहीं पढ़ी गई।
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गौरतलब है कि गुरुग्राम में हिंदुओं के साथ-साथ सिख भी जागृत होते दिख रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर इस बात पर चर्चा भी जरुरी है कि सार्वजनिक उद्यान स्थानीय लोगों के टहलने, खेलने आदि के लिए बनते हैं, न कि इसलिए कि वहां 200 लोग जुटें और नमाज पढ़ें! सरकार वैसे भी टैक्स के पैसे का एक बड़ा हिस्सा मस्जिदों को दान कर रही है, वक्फ बोर्ड के पास भी बड़ी मात्रा में भूमि संचित हो चुकी है। अतः नई मस्जिद बनाकर समस्या सुलझाई जा सकती है, लेकिन मुस्लिम समुदाय की ज़िद के आगे प्रशासन हमेशा की तरह अपनी पंगुता के कारण झुक रहा है!