चीन एक ऐसा देश है जो कि वैचारिक तौर पर दूसरे देशों की राजनीति को भी प्रभावित करता रहता है, भारत में कई ऐसे लोग हैं जो कि पर्दे के पीछे से चीनी एजेंडा चलाते रहते हैं। वहीं अब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री पॉल कीटिंग का बयान दिखाता है कि उन्होंने भी चीन के सामने घुटने टेक दिए हैं, और अपने ही देश की सत्ताधारी पार्टियों की आलोचना वो केवल इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि वर्तमान पीएम स्कॉट मॉरिसन चीन से अधिक तवज्जो भारत को दे रहे हैं। ऐसे में उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि चीन को भारत से अधिक तवज्जो मिलनी चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने अमेरिकी परमाणु संचालित पनडुब्बियों के लिए किए गए सौदे की आलोचना करते हुए इसे अमेरिका को चीनी परमाणु हमले से बचाने का उद्देश्य घोषित किया है।
पॉल कीटिंग का चीन प्रेम
1991 से 1996 तक मध्यमार्गी-वामपंथी लेबर पार्टी सरकार का नेतृत्व कर चुके पूर्व ऑस्ट्रेलियाई पीएम पॉल कीटिंग का चीन प्रेम सामने आया है। उन्होंने फ्रांस के साथ ऑस्ट्रेलिया की डीजल-विद्युत पनडुब्बियों का बेड़ा तैयार करने की डील को ऑस्ट्रेलिया द्वारा रद्द करने को पॉल कीटिंग ने अनुचित बताया है। साथ ही चीन के साथ अपने रिश्तों को सहज करने का प्रस्ताव रखा है उन्होंने कहा, “ऑस्ट्रेलिया अब अमेरिका और ब्रिटेन के साथ नए करार के तहत अमेरिकी प्रौद्योगिकी के उपयोग वाले आठ परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का अधिग्रहण करेगा।”
और पढ़ें- चीन ने ऑस्ट्रेलियाई कोयले पर लगाया बैन तो भारत ने उसे खरीद चीनी दांव को किया फेल
भारत के खिलाफ उगला जहर
कहते हैं न कि सांप चाहें जितना भी बूढ़ा क्यों न हो जाए वो डंक मारना नहीं छोड़ना, कुछ वैसा ही पूर्व ऑस्ट्रेलियाई पीएम के साथ भी है। उन्होंने भारत और ऑस्ट्रेलिया के मजबूत होते रिश्तों को लेकर चिंता जता दी है, साथ ही पीएम मोदी को मानवाधिकार का हनन करने वाला बता दिया है। उन्होंने कहा, “हमें हमेशा मानवाधिकारों की बात करनी चाहिए, हमें मानवाधिकारों पर बोलने का अधिकार हमेशा सुरक्षित रखना चाहिए. चाहे वह चीन में उइगर हों, लेकिन क्या मैं यह भी कह सकता हूं कि यह कश्मीर में मुसलमान के साथ हो रहे अत्याचारों पर मिल रहा हैं। यहां प्रधानमंत्री मोदी हैं, वे भले ही हमारे नए दोस्त हैं, लेकिन ये वहीं हैं जिन्होंने 94% मुस्लिम आबादी वाले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाकर उनसे स्वायत्तता छीन ली है, जिस पर मीडिया का ध्यान ही नहीं जाता है।”
उन्होंने कहा, “मेरा मतलब है, भारत एक सहयोगी है। हम सहयोगियों के बारे में बात नहीं करते हैं, हम केवल काल्पनिक दुश्मनों के बारे में बात करते हैं।” स्पष्ट है कि वो चीन को काल्पनिक दुश्मन मान रहे हैं, और भारत से अच्छे होते रिश्तों को गलत बताते हुए चीन से रिश्तों को बेहतर करने की पहल करने का सुझाव दे रहे हैं। उन्होंने अपने बयान में कश्मीर में हो रहे मुसलमानों के खिलाफ कथित अत्याचार का मुद्दा उठाया है जिसका वर्तमान में यथार्थ से लेट मात्र भी सरोकार नहीं है।
और पढ़ें- चीन ऑस्ट्रेलिया का इस्तेमाल कर अपनी ताकत दिखाना चाहता था, उसके सभी दांव उल्टे पड़ गये
डील की आलोचना
अमेरिका और ब्रिटेन के साथ हुई ऑस्ट्रेलिया की पनडुब्बी और परमाणु डील पर पॉल कीटिंग ने कहा, “चीन के खिलाफ आठ पनडुब्बियां हमें 20 साल में मिलेंगी, यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान होगा। इतना ही नहीं इस डील से चीन और ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों में खटास आ सकती है। उन्होंने कहा, “इस ब्रिटेन और अमेरिका के साथ किए गए करार ने ऑस्ट्रेलिया-चीन रिश्तों को बदल दिया है।” उन्होंने ऑकस नामक नए संगठन को ही चीन और फ्रांस के साथ खराब हो रहे ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों की वजह बताया है। स्पष्ट है कि कीटिंग को अपनी चीन के साथ दोस्ती के दिन याद आ रहे हैं,और इसीलिए वो खराब होते रिश्तों को सही करने का एक तरफ सुझाव दे रहे हैं, तो दूसरी और भारत के खिलाफ बयानबाजी करके भारत और ऑस्ट्रेलिया के मजबूत हुए रिश्तो को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।