‘गुरुद्वारा नमाज़ के लिए नहीं,’ गुरुद्वारे में नमाज अदा करने के फैसले ने लिया नया मोड़

गुरुद्वारे में नमाज पढ़ने के फैसले पर गुरुद्वारा सिंह सभा ने लिया U-turn!

गुरुद्वारे में नमाज

भारत में उदारवादी जनता की कोशिश रहती है कि देश में धर्मनिरपेक्षता बरकरार रहे। ये कोशिश आज से नहीं, वर्षो से चल रही है, लेकिन यह कोशिश अक्सर एक तरफा ही होती है। इसी क्रम में गुरुग्राम के गुरुद्वारे में नमाज करने वाले मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि जिस गुरुद्वारे ने अपने पांच स्थलों पर नमाज पढ़ने की पेशकश की थी, उसने अब अपना फैसला बदल लिया है।

आपको बताते चलें कि गुरुग्राम में पिछले कुछ हफ़्तों से हिन्दू समुदाय द्वारा खुले में सरकारी सम्पति पर नमाज पढ़ने का विरोध किया जा रहा था। इसके बाद गुरुद्वारे द्वारा यह पेशकश की गई थी कि मुसलमान चाहे तो गुरुद्वारे में नमाज पढ़ सकते हैं। कल जुमे की नमाज भी होनी थी।

लेकिन शुक्रवार को गुरुग्राम में गुरुद्वारा सिंह सभा में नमाज अदा नहीं की गई क्योंकि सिख समुदाय के कुछ सदस्यों ने वहां मुस्लिमों को नमाज अदा करने की अनुमति देने के गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के फैसले का विरोध किया है । उन्होंने कहा कि अगर गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने मंदिर परिसर में नमाज अदा करने के फैसले को आगे बढ़ाया, तो वे इसका विरोध करेंगे।

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शुक्रवार को जैसे ही गुरुग्राम में पांच गुरुद्वारों द्वारा शहर के मुसलमानों को अपने परिसर में साप्ताहिक प्रार्थना करने का अवसर देने की पेशकश की गई, हिंदुत्व समूहों ने “गुरुद्वारा की समिति के सदस्यों को यह याद दिलाने के लिए एक अभियान शुरू किया कि मुगलों ने सिख गुरुओं के साथ क्या-क्या किया था।” उन्होंने सिखों से गुरुद्वारा समिति के उन सदस्यों को हटाने का भी आग्रह किया, जिन्होंने मुसलमानों को यह प्रस्ताव दिया था।

गुरुद्वारों द्वारा प्रचारित पहल के बावजूद दिन के अंत तक शहर के किसी भी सिख धर्मस्थल पर नमाज नहीं हुई। गुरुद्वारा समिति के एक प्रतिनिधि ने कहा कि अगले सप्ताह की प्रार्थना परिसर में आयोजित करने के बारे में बाद में निर्णय लिया जाएगा।

आपको बताते चलें कि सितंबर से हिंदुत्व समूहों द्वारा मुसलमानों को सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना करने से रोकने के लिए शुरू किए गए एक अभियान के बाद गुरुद्वारों द्वारा बहुप्रतीक्षित पेशकश की गई थी। खुले मैदान, सड़क , पार्क आदि सार्वजनिक जगहों पर जुमे की खुली नमाज के जरिये कट्टरपंथियों द्वारा अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया था।

हिन्दू समूह अपने साथ नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर की एक किताब की 2,500 प्रतियां साथ में लाये थे। इस पुस्तक का शीर्षक “हिंदू धर्म की रक्षा के लिए दी गई शहीदी की महान गाथा, गुरु तेग बहादुर, हिंद दी चादर था।”

पुस्तक का उद्देश्य सिखों को मुस्लिम शासकों के दबाव के बावजूद हिंदू धर्म के साथ उनके लंबे जुड़ाव की याद दिलाना था। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की आलोचना करने के बाद सितंबर में छह साल के लिए भारतीय जनता पार्टी से निकाले गए कुलभूषण भारद्वाज ने कहा, “देखिए, उन्हें सच्चाई की याद दिलाना हमारा काम है।”

भारद्वाज ने कहा, “ऐसा लगता है कि वे भूल गए हैं कि कैसे गुरु तेग बहादुर ने हिंदुओं को जबरन धर्मांतरण से बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।”कैसे उन्हें और अन्य लोगों को मुगल सम्राट ने क्रूर तरीके से मार डाला। यह किताब बताती है कि कैसे मुगलों ने जबरन धर्म परिवर्तन कराया और कैसे गुरु इसके खिलाफ खड़े हुए।”

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इस विरोध का असर भी खूब हुआ। शाम तक सिख समुदाय के सदस्यों ने गुरुद्वारा सिंह सभा में मुसलमानों द्वारा नमाज अदा करने पर आपत्ति जताई। रिपोर्टों के अनुसार, कई सिख गुरुद्वारा प्रबंधन के इस विचार का विरोध कर रहे थे कि मुसलमानों को पवित्र मंदिर के परिसर के भीतर जुम्मा-नामा की पेशकश करने की अनुमति दी गई है।

घटना के बारे में बोलते हुए, जवाहर सिंह नाम के एक स्थानीय ने कहा, “वे गुरुद्वारे में नमाज नहीं पढ़ सकते। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी इसकी इजाजत नहीं देते। प्रबंधक (प्रबंधन) समिति ने उन्हें नमाज अदा करने की अनुमति दी लेकिन हम इसके पक्ष में नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि इस साल 21 नवंबर को त्योहारों की समाप्ति के बाद निर्णय की समीक्षा की जाएगी।

 

गुरुचरण सिंह नाम के एक अन्य स्थानीय निवासी ने आगे स्पष्ट किया, “सभी धर्मों के लोगों का स्वागत है लेकिन एक गुरुद्वारे में केवल गुरबानी हो सकती है और कुछ नहीं। गुरुद्वारा की संपत्ति का उपयोग किसी भी ऐसे उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के मर्यादा (रिवाज) के खिलाफ जाता है।”

उदारवादिता के नशे में चूर रहने वाले भारतीय लोगों की यही समस्या है कि वह इतिहास की तारीखों को अपने दिमाग में नहीं रखते हैं। गुरुग्राम में भी इसी भूलने की बीमारी चलते एक woke फैसला लिया गया था, जिसपर हिन्दू पक्ष की बातें सामने आने पर वोकिस्म का भगवाकरण हो गया। खैर, हिन्दू समूह द्वारा कोई ऐसी बात नहीं बोली गई थी जो कि तार्किक ना हो, बशर्ते गुरुद्वारे में काम करने वालों को भी यह समझ विकसित करनी होगी।

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