‘सूर्यवंशी’ की अपार सफलता ने भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड में ऊर्जा का संचार कर दिया है। जिस प्रकार से सूर्यवंशी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की है, वो अपने आप में इस फिल्म की अपार सफलता का एक अनुपम उदाहरण है। हालांकि, इस सफलता में कुछ लोग अपनी जलन से, जी हां! अपनी जलन से उसी प्रकार ‘चार चाँद’ लगाने को तैयार हैं, जिस प्रकार ‘कबीर सिंह’ को एक साधारण हिट फिल्म से वामपंथियों की कुंठा ने ‘ब्लॉकबस्टर’ बनाकर ही दम लिया था।
वो कैसे? असल में वाशिंगटन पोस्ट ने एक लम्बा चौड़ा लेख लिखते हुए ये दिखाने का प्रयास किया है कि किस प्रकार से फिल्म सूर्यवंशी की सफलता हमारे समाज के लिए चिंताजनक है, और इसे किसी और ने नहीं हमारी परम प्रिय वामपंथी पत्रकार राणा अय्यूब ने रचा है!
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‘सूर्यवंशी’ फिल्म पर वाशिंगटन पोस्ट का घृणित करने वाला लेख
इस लेख का शीर्षक है ‘आखिर क्यों एक भारतीय फिल्म की बॉक्स ऑफिस सफलता चिंताजनक है’। अपने ‘बुरे हिन्दू, अच्छे मुसलमान’ के फटे हुए ढोल को पीटते हुए राणा अय्यूब कहती हैं कि “कोविड-19 के लॉकडाउन के बाद प्रदर्शित सूर्यवंशी फिल्म भारतीय सिनेमा के सबसे सफलतम फिल्मों में से एक है। परन्तु, उसकी सफलता उस घृणा और भेदभाव के वातावरण को और भी सशक्त बनाता है, जिसका सामना देश के 200 मिलियन मुसलमानों को हर दिन करना पड़ता है।”
One of the biggest films that is making waves in Indian theatres, is yet another exercise in criminal Islamophobia that seeks to normalise Narendra Modi's anti Muslim agenda. My latest on #Sooryavanashi that feeds into the Muslim as the terrorist narrativehttps://t.co/gntfJyPb2k
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) November 15, 2021
लेकिन इस वामपंथी पत्रकार का विलाप यहीं पर ख़त्म नहीं हुआ! उन्होंने आगे लिखा, “सूर्यवंशी फिल्म के हर तीसरे फ्रेम से इस्लामोफोबिया चीख-चीख कर बोलता है। एक उच्च जाति का हिन्दू चरित्र निभाने वाला अक्षय कुमार देशभक्ति पर ज्ञान देता है, जबकि मुसलमान विलेन घृणा की प्रतिमूर्ति है। वह हमेशा भारतीय मुसलमानों को भड़काने के लिए उद्यत रहता है। जब भी फिल्म का हीरो विलेन को उपदेश देता है, जिस थियेटर में मैं बैठी थी, उसमें इस कृत्य पर सभी सीटियां और तालियां बजा रहे थे।”
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रोहित शेट्टी ने वामपंथी पत्रकार की लगाई थी क्लास!
शायद ऐसे पत्रकारों की वजह से ही रोहित शेट्टी ने द क्विंट को दिए अपने साक्षात्कार में वामपंथियों की ऐसी-तैसी कर दी थी। जब सूर्यवंशी में मुसलमानों के चित्रण पर द क्विंट की पत्रकार अबीरा धर ने उन्हें घेरने का प्रयास किया, तब रोहित शेट्टी ने बीच में ही उनकी बात को काटते हुए कहा था कि, “सिंघम में जयकांत शिकरे तो एक मराठी हिन्दू था। उसके सीक्वेल में एक हिन्दू बाबा विलेन था। सिम्बा में भी दुर्वा रानाडे महाराष्ट्र का ब्राह्मण था। ये तीनों नकारात्मक शक्तियां हिन्दू थी, तब आपको कोई समस्या नहीं हुई, तो अब क्यों?”
जिसके बाद अपने आप को घिरता हुआ देख जब अबीरा धार ने गोलमोल तर्क दिए और अपने हास्यास्पद तर्क का बचाव करने में जुट गई, तो रोहित शेट्टी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा, “बात यही नहीं है। जब कोई आतंकी पाकिस्तान से आता है, तो क्या आप उसकी जात देखते हो? लेकिन कुछ पत्रकारों के मत पढ़ने के बाद मेरे विचार अवश्य बदल चुके हैं, क्योंकि वे ब्रैकेट में बाकायदा लिख कर कह रहे थे कि यह देखो, बुरे मुसलमानों को उच्च जाति के हिन्दू नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं, और ये प्रवृत्ति गलत है!”
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शायद रोहित शेट्टी अप्रत्यक्ष रूप से राणा अय्यूब जैसों की ही कुंठा की ओर संकेत दे रहे थे, जो अब सूर्यवंशी पर वैसे ही निशाना साध रहे हैं, जैसे कुछ वर्ष पहले संदीप रेड्डी वंगा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘कबीर सिंह’ पर साधा गया था! जिस प्रकार से वाशिंगटन पोस्ट ने ऐसे घृणित लेख को बढ़ावा दिया है, उससे वामपंथियों की जलन स्पष्ट दिखाई पड़ती है और एक बात तो राणा जी से पूछनी बनती है – जली न, तेरी भी जली न?