ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी
‘रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई’
लगता है आज भी कुछ ऐसे महापुरुष हैं जो इस कहावत का अक्षरश: पालन करते हैं, और इन्हीं में एक है असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा। जब सनातन धर्म के प्रति अपना प्रेम दिखाने की बात आती है, तो हिमन्ता सनातन उतने ही निष्ठावान हैं, जितना उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, त्रिपुरा के बिप्लब कुमार देब या फिर मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा हो। अभी हाल ही में उन्होंने सनतानियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः स्पष्ट हुए कहा कि भारत सनातनियों का देश है, जहां उनके आने जाने पर कोई रोक टोक नहीं लगेगी।
टाइम्स नाऊ द्वारा आयोजित एक विशेष कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या वे बांग्लादेशी हिंदुओं का भारत में स्वागत करेंगे, इसपर उन्होंने स्पष्ट कहा, “बांग्लादेश छोड़िए, संसार के किसी भी स्थान में रह रहे किसी भी हिन्दू का भारत में स्वागत है। भारत सनातनियों का देश है। इंडियन “शब्द” तो 1947 में आया है, हम 7000 से भी अधिक वर्षों से हिंदुओं के नाम से जाने जाते थे। मैं सभ्यता में विश्वास करता हूँ, और हमारी सभ्यता सनातन सभ्यता है। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात जब हमारा संविधान लागू हुआ तो इसे इंडिया बना दिया गया, पर आप हमें हमारी संस्कृति से दूर नहीं कर सकते। जिस भी हिन्दू को समस्या होगी, उसके लिए भारत उसकी माटी है, जहां वह वापस आ सकता है!”
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अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों की दुर्दशा के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए हिमन्ता बिस्वा सरमा ने कहा, “इस समय हमारा कर्तव्य बनता है कि हम नागरिकता संशोधन अधिनियम का समर्थन करें, जिससे धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों, जैसे हिन्दू, सिख, ईसाई, इत्यादि, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आकर भारत में शरण ले सकें!”
लेकिन हिमन्ता की सनातन भक्ति केवल यहीं तक सीमित नहीं है। असम को बांग्लादेशी घुसपैठियों के नियंत्रण से छुड़ाने के लिए हिमन्ता बिस्वा सरमा एड़ी चोटी का ज़ोर लगाने को तैयार हैं। जब Darrang क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने असम पुलिस पर घातक हमला किया था, तब भी हिमन्ता अपने कर्तव्य पथ से टस से मस नहीं हुए, और प्राचीन शिव मंदिर सहित 5000 एकड़ के महत्वपूर्ण भूमि क्षेत्र को उन घुसपैठियों के नियंत्रण से स्वतंत्र कराके ही दम लिया।
इसी प्रकार से अभी हाल ही में लुमडिंग आरक्षित वन क्षेत्र में हिमन्ता बिस्वा सरमा ने अतिक्रमण मुक्ति अभियान चलाया। TFI के ही विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “धन्य भाग्य उत्तर पूर्व का कि वहां पर जनादेश हिमन्ता बिस्वा सरमा के पास है। हिमन्ता दरांग के बाद उस जगह की जांच पड़ताल कर रहे है, जहां सरकारी जमीन है और वहां अधिग्रहण किया गया है।असम सरकार ने 8 नवंबर को होजई जिले के लुमडिंग आरक्षित वन में अतिक्रमणकारियों को वन भूमि से बेदखल करने के लिए एक बेदखली अभियान चलाया था।
बेदखली अभियान के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए लुमडिंग आरक्षित वन क्षेत्र में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और असम पुलिस सहित 1000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था”।
ऐसे में टाइम्स नाऊ सम्मिट में हिमन्ता बिस्वा सरमा ने एक बार फिर से अपना रुख स्पष्ट किया – वे सिर्फ बातों के शेर नहीं है, अपितु समय आने पर वास्तव में सनातन धर्म की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण कर सकते हैं, और उनके रहते देश में हर हिन्दू का स्वागत है, और उनके सेवा सुश्रुषा में कोई कमी नहीं होगी!