किसी देश के खिलाफ मोर्चा खोलना है तो आज के दौर में सबसे खतरनाक मोर्चा है आर्थिक मोर्चा! गलवान के बाद भारत ने चीन के खिलाफ यह मोर्चा खोल रखा है। इसी क्रम में भारत सोलर एनर्जी क्रांति में भी एक बड़ा कदम उठने जा रहा है। हाल ही में COP26 की घोषणाओं के अनुसार, देश ने 2030 तक 500 गीगावाट (GW) अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है और इसका अधिकांश भाग सौर संयंत्रों से आना है। भारत में वर्तमान में स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता 103 गीगावॉट है, जिसमें से 48 गीगावॉट सोलर ऊर्जा है। अन्य 50 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन है और 32 गीगावाट बोली के विभिन्न चरणों में है।
अब भारत सरकार ने एक कदम बढ़ते हुए, PLI स्किम के तहत दिए जाने वाले आर्थिक सब्सिडी को बढ़ा दिया है। हाल ही में हुई एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में, औद्योगिक व्यापार को बढ़ावा देने वाले विभाग (DPIIT) ने योजना के आवंटन को बढ़ाकर 19,500 करोड़ रुपये करने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की सिफारिश का समर्थन किया है। शुरुआत में इस योजना के तहत 4,500 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे यानी आवंटन को चार गुना बढ़ाया गया है।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत की अध्यक्षता में, DPIIT सचिव अनुराग जैन और MNRE सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी ने भाग लिया था। बैठक यह तय करने के लिए बुलाई गई थी कि ऑटो और ऑटो घटक PLI योजनाओं से 30,984 करोड़ रुपये की जो बचत हुई है, उसका उपयोग कहाँ हो सकता है।
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आपको बताते चलें कि सरकार ने ऑटो सेक्टर में PLI योजना के लिए परिव्यय को शुरू में 57,043 करोड़ रुपये से घटाकर 26,058 करोड़ रुपये कर दिया था। फाइनेंसियल एक्सप्रेस द्वारा समीक्षा की गई बैठक के मिनटों के अनुसार, कांत ने उल्लेख किया कि, “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि ये (सोलर ) प्रस्ताव पहले से ही हाथ में है और सीधे लागू किए जा सकते हैं, MNRE को 19,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि आवंटित करने का एक ठोस कारण है। उच्च दक्षता वाले सोलर मॉड्यूल पर PLI का कार्यान्वयन भविष्य में लाभ देगा।”
अतिरिक्त फंड आवंटन की सिफारिश करते समय इस क्षेत्र में आयात निर्भरता, ग्लासगो प्रतिबद्धताओं के संदर्भ और हरित हाइड्रोजन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए घरेलू सोलर विनिर्माण की आवश्यकता को भी ध्यान में रखा गया था। इसमें उन क्षेत्रों को ध्यान में रखा जाएगा, जो आयात पर 80% निर्भर है।
रिलायंस, अडानी समूह को सबसे ज्यादा लाभ होगा
सोलर मैन्युफैक्चरिंग के लिए लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम से सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया, अडानी इंफ्रास्ट्रक्चर, लार्सन एंड टुब्रो, रेन्यू सोलर, टाटा पावर सोलर, वारी एनर्जी, विक्रम सोलर, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर और एफएस इंडिया सोलर वेंचर्स सहित 15 कंपनियों को उत्पादन के तहत प्रोत्साहन की पेशकश की जाएगी क्योंकि इस स्कीम का दायरा बड़ा होना तय है और यह कम्पनियां भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित हो रही हैं।
रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर, आंध्र प्रदेश स्थित ट्रांसफार्मर निर्माता शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स, बीसी जिंदल समूह की जिंदल इंडिया सोलर एनर्जी को 4,500 करोड़ रुपये के प्रारंभिक आवंटन के आधार पर सोलर पैनल निर्माण के लिए PLI योजना के लाभार्थियों के रूप में चुना गया था।
ये कंपनियां योजना के तहत संचयी रूप से लगभग 12,000 मेगावाट (मेगावाट) विनिर्माण क्षमता स्थापित करेंगी। हालांकि, MNRE ने यह भी बताया है कि उसे कुल 18 योग्य PLI बोलियां प्राप्त हुई थीं और यदि सभी बोलीदाताओं को समायोजित करने के लिए PLI आवंटन 24,000 करोड़ रुपये तक जाता है, तो विनिर्माण प्रतिबद्धता 54,809 मेगावाट तक जा सकती है। इसी कार्य को पूरा करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र ने जुलाई 2018 में चीन और मलेशिया से सोलर आयात पर दो साल के लिए 25% सुरक्षा शुल्क लगाया था, जिसे 15% की दर से जुलाई 2021 तक बढ़ा दिया गया था। FY23 की शुरुआत से, सोलर मॉड्यूल और सेल आयात पर क्रमशः 40% और 25% का मूल सीमा शुल्क लगेगा।
यानी एक तरीके से यह कदम चीन पर भारत की निर्भरता को एकदम खत्म कर देगा। अब अगर भारत ऐसे लक्ष्यों के लिए प्रोत्साहन देगा तो भारत भविष्य में सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा खिलाड़ी बन सकता है। एक तरीके से यह भारत ने दो निशानों पर एक साथ हमला करके लाजवाब काम किया है। इस झटके के लिए तो चीन कहीं से तैयार नहीं होगा।