लगभग डेढ़ साल पहले, कोरोनावायरस महामारी के पहले लॉकडाउन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण के लिए आह्वान किया था। तब 12 मई 2020 को प्रधान मंत्री मोदी ने कहा था, “दुनिया की स्थिति आज हमें सिखाती है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ एकमात्र मार्ग है। यह हमारे शास्त्रों में कहा गया है – एषः पंथः यानी आत्मनिर्भर भारत।”
पिछले डेढ़ वर्षों में, सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमता के विकास के लिए कई कदम उठाए और विदेशी और घरेलू कंपनियों को भारत में निर्माण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना शुरू की।
इसी दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए अब सरकार की योजना उन सामानों की पहचान करने की है, जिनका आयात कम किया जाएगा और घरेलू कंपनियों को मांग पूरी करने का मौका दिया जाएगा। पिछले कुछ महीनों में ऐसी वस्तुओं का आयात बढ़ रहा है और अब सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसा न हो।
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इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन सामानों में कंप्यूटर, यूरिया, कपास, दाल, कैमरा, ट्रैक्टर के पुर्जे और मशीनरी और लगभग 100 अन्य उत्पाद शामिल हैं। पीयूष गोयल के नेतृत्व में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इन्हें ‘प्राथमिकता वाले उत्पादों’ के रूप में पहचाना है और संबंधित मंत्रालयों से अपने घरेलू उत्पादन और आयात में कमी सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
पहचान किए गए उत्पादों को संबंधित मंत्रालयों, जैसे कपड़ा, इस्पात, तेल और प्राकृतिक गैस, उर्वरक, और आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ साझा किया गया है। घटनाक्रम से परिचित एक अधिकारी ने कहा, “उच्च घरेलू उत्पादन क्षमता वाले कई उत्पादों के आयात में वृद्धि हुई है। यह चिंता का विषय है।”
इनमें से अधिकांश वस्तुओं का पिछले तीन वित्तीय वर्षों के लिए 500 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक का आयात मूल्य है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में कुल आयात में इन उत्पादों की हिस्सेदारी लगभग 57 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि अगर आने वाले वर्षों में इन वस्तुओं के आयात को काफी हद तक कम जाए, तो भारत आयात पर होने वाले खर्च को आधा कर सकता है और करोड़ो डॉलर बचा सकता है।
रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग के लिए अधिकतम 18 उत्पादों की पहचान की गई है, उद्योग विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के लिए 14, और भारी उद्योग और खनन मंत्रालयों के लिए 10 उत्पादों की पहचान की गई है।
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102 चयनित वस्तुओं में से अधिकांश में या तो पिछले तीन वर्षों में उच्च आयात वृद्धि दर देखा गया है या आने वाले वर्षों में वृद्धि होने वाली है। तेल की कीमतों में वृद्धि और अर्थव्यवस्था में समग्र सुधार के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत का आयात खर्च तेजी से बढ़ा है जिससे डिमांड में सुधार हुआ है। हालाँकि, निर्यात में भी वृद्धि हुई है इसलिए यह चिंता का विषय नहीं है। हालांकि यह कदम स्वदेशी उद्योग को विकसित करने और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए, उठाया गया है।
भारत केवल आयात प्रतिस्थापन का अनुसरण ही नहीं कर रहा है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि देश में निर्यात आधारित औद्योगीकरण हो जिससे घरेलू कंपनियाँ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अप्रतिस्पर्धी न बने और अन्य देशों की कंपनियों को टक्कर देती रहें।
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मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है। सितंबर तक, यानी चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में, उस लक्ष्य का लगभग आधा हिस्सा हासिल कर लिया गया था। इस साल सितंबर तक भारत से निर्यात 197 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह एक साल पहले (2020) की अवधि में 56.92 प्रतिशत और अप्रैल-सितंबर 2019 की तुलना में लगभग 23.84 प्रतिशत की वृद्धि है। पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में, भारत का निर्यात 125.61 बिलियन अमरीकी डालर था।
आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को पूरा करने के लिए अब विभिन्न मंत्रालयों द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं। प्राथमिकता वाले सामानों की पहचान भी उसी दिशा में एक कदम है और इसमें भारत के आयात खर्च को आधा करने की क्षमता है।