जिस देश में नेतृत्वकर्ताओं के कर्म बुरे हों, उस देश के विरूद्ध आवाज उठना तो एक बेहद ही स्वाभाविक सी बात है। पूरे विश्व को कोरोनावायरस की त्रासदी देने वाले चीन के खिलाफ अब कई देशों में आक्रोश है, किन्तु इस आक्रोश का नेतृत्व निश्चित तौर भारत ही कर रहा है, क्योंकि भारत के साथ सीमाओं पर चीनी सैनिकों ने जिस तरह का छरछंदी रवैया अपनाया, उससे चीन के लिए सैन्य मोर्चे पर सर्वाधिक मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। वहीं सैन्य मोर्चे से इतर अब मोदी सरकार ने चीनियों के लिए भारत में नो-एंट्री घोषित कर दी है। खास बात ये है कि चीन के साथ उसका उपनिवेश हॉन्ग-कॉन्ग भी अब नो-एंट्री वाले जोन में शामिल हो गया है। भारत का यही रुख अब चीन और उसके नागरिकों के लिए नई अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती का पर्याय बन रहा है।
चीन को करारा झटका
जैसे-जैसे दुनिया कोविड 19 से ऊबर रही है, वैसे-वैसे अंतराराष्ट्रीय उड़ानों का दौर भी शुरू हो रहा है। भारत भी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के संचालन को लेकर सक्रिय है। ऐसे में हाल ही में मोदी सरकार ने नई वीजा पॉलिसी लागू की है, जिसके तहत विश्व के 156 देशों को भारत के लिए आसानी से ई-वीजा मिल सकेगा, किन्तु ये पूरी पॉलिसी चीन के लिए मुसीबत बन कर आई है। भारत ने चीन के नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक टूरिस्ट वीजा नहीं देने का फैसला किया है, अर्थात् चीनियों के लिए भारत एक नो-इंट्री जोन घोषित हो गया है। खास बात ये है कि कोविड के पहले 171 देशों को ई-वीजा की सुविधा दी गई थी, लेकिन अब मोदी सरकार ने चीन को तो झटका दिया ही है, साथ कुछ अन्य देशों को भी लपेट लिया है।
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इन देशों को भी वीजा नहीं
चीन के साथ टकराव के बीच ई-वीजा को कैंसिल किया गया है, लेकिन अब कुछ अन्य देशों के नागरिकों को भी भारत ने ई-वीजा देने से इंकार कर दिया है। यही कारण है कि इस फैसले में मोदी सरकार की वैश्विक आक्रामकता प्रतिबिंबित हो रही है। खबरों के मुताबिक, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, ईरान, मलेशिया, इंडोनेशिया, और सऊदी अरब, के नागरिकों को भी अब भारत ई-वीजा नहीं देगा l हालांकि, ताइवान, वियतनाम, सिंगापुर और अमेरिका समेत 152 अन्य देशों के नागरिक अभी भी ई-वीजा ले पाएंगे।
मिला हुआ था स्पेशल स्टेटस
ऐसा नहीं है कि चीन के साथ भारत ऐसा ही करता आया है। खबरों के मुताबिक, भारत ने 2015-16 में चीनी पर्यटकों के लिए प्रायर रेफरल कैटेगरी (PRC) नियमों में ढील दी थी और चीन को ई-वीजा पाने वाले 171 देशों के साथ शामिल किया था। इन देशों में चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, सूडान के अलावा पाकिस्तानी मूल के विदेशी नागरिक भी पीआरसी के तहत आते थे, लेकिन जब कर्म अच्छे न हो तो लताड़ लगाना स्वाभाविक सी बात है, और अब भारत वही कर रहा है।
चीन से विशेष आक्रोश
चीन के नागरिकों को ई-वीजा न देकर भारत ने निश्चित तौर सीमा पर चल रहे तनाव को आधार बनाया है। संभवतः यही कारण है कि चीन के अंतर्गत आने वाले मकाऊ और हॉन्ग-कॉन्ग को भी ई-वीजा से वंचित रखा गया है, जिससे चीनी मूल का कोई नागरिक भारत में दाखिल ही न हो सके। लद्दाख में पिछले लगभग डेढ़ साल से चीन भारतीय सेना के साथ टकराव का माहौल बनाए हुए हैं, जिसका नतीजा ये है कि भारतीय सेना सीमा पर अपना दमखम दिखा कर चीनी पीएलए के सैनिकों को घिग्गी बन चुकी है। ऐसे में ध्यान भटकाने के लिए चीनियों ने उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने की कोशिश की, तो भारतीय जवानों ने वहां भी चीनियों को सबक सिखाया। अवैधानिक तरीके से देश में घुसने की कोशिश करने वाले चीन के सैनिकों से बदला लेने के लिए अब कूटनीतिक तरीका अपनाते हुए भारत ने चीनी नागरिकों के वैधानिक प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
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जैसे को तैसा वाली नीति
वहीं भारत सरकार अन्य देशों के साथ कड़ा रुख इसलिए अपना रही है, क्योंकि इनमें से कई देशों ने भारत के नागरिकों को वीजा देने के लिए या तो नियमों को पहले से अधिक कड़ा कर रखा है, और या फिर उन्होंने भी भारतीयों को वीजा न देने का ऐलान कर रखा है। ऐसे में मोदी सरकार बिल्कुल जैसे को तैसा वाली नीति पर चल रही है, जो कि एक सहज और सशक्त भारत की स्थिति को प्रतिबिंबित करता है। इसके पहले भी हम देख चुके हैं कि जब तक ब्रिटेन ने भारतीय वैक्सीन और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को मान्यता नहीं दी थी, और भारतीयों का ब्रिटेन में क्वारंटीन खत्म नहीं किया था, तब तक भारत सरकार ने भी ठीक वैसी ही स्थिति को अपनाते हुए ब्रिटेन को उसकी हैसियत बता दी थी। इसका नतीजा ये था कि भारत के सामने ब्रिटेन घुटनों पर आ गया था। ठीक ऐसा ही को वैक्सीन को मान्यता देने के मुद्दे पर मोदी सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ किया, और दान देने वाली वैक्सीन की सप्लाई ही धीमी कर दी, और नतीजा ये कि सशक्त भारत के सामने WHO तक ने हाथ जोड़ लिए।
स्पष्ट तौर पर कहें तो भारत सरकार अब चीन समेत उन सभी देशों को सबक सिखाने की तैयारी कर चुकी है जो आए दिन भारत को कमतर समझ कर वैश्विक पटल भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहते हैं, जिनमें सबसे आगे चीन और कनाडा जैसे देश हैं, लेकिन अब भारत सरकार की ई-वीजा पॉलिसी उन सभी देशों के लिए झटका बनने वाली है।